आयोजन: नागपुर के न्यायमूर्तियों ने बढ़ाई न्यायक्षेत्र की प्रतिष्ठा : न्या.भूषण गवई
- अमृत महोत्सव वर्ष पर सेवा. न्यायमूर्ति डागा का सपत्नीक सत्कार
- विदर्भ गौरव प्रतिष्ठान की ओर से किया गया आयोजन
- सम्मान समारोह में शामिल हुए गणमान्य
डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर को वकीली की अच्छी विरासत मिली है। नागपुर का विधि क्षेत्र मुंबई से अधिक समृद्ध है। जिस कारण नागपुर से न्यायमूर्ति हुए सभी ने न्यायक्षेत्र की प्रतिष्ठा बढ़ाने में अमूल्य योगदान दिया है। यह गौरवोद्गार सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति भूषण गवई ने व्यक्त किए।
विदर्भ गौरव प्रतिष्ठान की ओर से रविवार को मुंबई उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति विजय डागा का अमृत महोत्सव सत्कार समारोह आयोजित किया गया था। वीआईपी रोड स्थित वनामति सभागृह में आयोजित कार्यक्रम में न्या. भूषण गवई के हाथों न्या. डागा का सपत्नीक सत्कार किया गया। इस अवसर पर वे बोल रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति विकास सिरपुरकर ने की। मंच पर प्रमुख अतिथि के रूप में कृष्णा इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस, कराड के प्रमुख सलाहकार डॉ. वेदप्रकाश मिश्रा, ज्येष्ठ अधिवक्ता शशांक मनोहर, विदर्भ गौरव प्रतिष्ठान के अध्यक्ष डॉ. गिरीश गांधी, अनंत घारड, बाल कुलकर्णी उपस्थित थे।
प्रकरण को अच्छे से संभालते हैं : न्या. गवई ने कहा कि मुंबई के वकीलों में एक विशिष्ट क्षेत्र में वकीली करने की प्रथा है। इसके विपरीत नागपुर में कार्य करने वाले वकील एक विशिष्ट क्षेत्र तक सीमित नहीं रहते। न्यायमूर्ति होने के बाद इन बातों का फायदा नागपुर के न्यायमूर्तियों को मिलता है। सभी क्षेत्रों में कार्य करने से वे किसी भी प्रकरण को अच्छे तरीके से संभालते हैं। न्या. चंद्रशेखर धर्माधिकारी, न्या. शरद बोबडे, न्या. विजय डागा सहित अनेक उदाहरण हंै।
जीवन अनुकरणीय है : डॉ. वेदप्रकाश मिश्रा ने कहा कि समाज किसका सत्कार कर रहा है, इससे वह समाज की प्रगति का अंदाजा लगाता है। धनवानों का सत्कार कर रहा है तो वह सामान्य समाज है। लेकिन अगर वह गुणवानों का सत्कार कर रहा है तो वह उन्नत समाज के रूप में माना जाता है। उन्होंने कहा कि न्या. डागा का जीवन अनुकरणीय है। प्रास्ताविक भाषण में गिरीश गांधी ने न्या. डागा ने पर्यावरण, आर्थिक क्षेत्र बाबत दिए गए निर्णयों की प्रशंसा की। कार्यक्रम में मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ के प्रशासकीय प्रमुख न्या. नितिन सांबरे, न्या. अविनाश घरोटे, न्या. विनय जोशी सहित विविध क्षेत्र में मान्यवर उपस्थित थे। संचालन शुभदा फडणवीस ने किया। कोमल ठाकरे ने सम्मान पत्र का वाचन किया। आभार प्रदर्शन एड. फिरदौस मिर्जा ने किया।
न्यायमूर्ति को अलग विचार करना पड़ता है : सत्कारमूर्ति न्या. विजय डागा ने अपने जीवन में आए बदलावों का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति को न्याय देने के लिए कभी-कभी अलग तरह से विचार करना पड़ता है। न्याय देने के लिए एक प्रकरण में निर्णय चार वर्ष तक लंबित रखने के उदाहरण भी बताए। वकीलों के लिए नागपुर में किस तरह ग्रंथालय बनाया गया, इसका किस्सा उन्होंने बताया।