खतरा: अंबाझरी बांध टूटा तो जिम्मेदार कौन
कोर्ट ने नाराजी जताई
डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर खंडपीठ ने अंबाझरी बांध की सुरक्षा को लेकर उचित कदम उठाने के आदेश दिए थे, लेकिन पिछले 5 साल में राज्य सरकार ने बांध की सुरक्षा पर ठोस कदम नहीं उठाए। सरकार के इस रवैये पर हुई सुनवाई में कोर्ट ने नाराजी जताई। कोर्ट ने कहा कि शहर में सितंबर में आई बाढ़ के कारण अंबाझरी परिसर के हजारों लोगों के घर और दुकानें क्षतिग्रस्त हुईं। अगर कल अंबाझरी बांध टूटा तो इसका जिम्मेदार कौन रहेगा? सरकार के पास मेट्रो, सड़क और अन्य विकास कार्यों के लिए पैसा है, लेकिन लोगों की सुरक्षा के लिए क्या प्रावधान किया गया है? यह सवाल भी कोर्ट ने राज्य सरकार से किया।
आरोप : परिसर में किए गए निर्माण गलत
मनपा, नासुप्र और महामेट्रो इन तीनों प्रशासनों ने अंबाझरी व नाग नदी परिसर में किया हुआ निर्माण गलत है। इस कारण परिसर में बाढ़ आई और हजारों लोगों को नुकसान सहना पड़ा। मामले की न्यायालयीन जांच की मांग करते हुए आपदा पीडत़ि रामगोपाल बचुका, जयश्री बनसोड, नत्थुजी टिक्कस इन नागरिकों ने नागपुर खंडपीठ में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में अंबाझरी तालाब और नाग नदी परिसर के अवैध निर्माणों पर सवाल उठाया गया है। इसके अलावा नुकसानग्रस्त प्रति नागरिक 5 लाख और दुकानदारों को 10 लाख रुपए के मुआवजे की मांग की गई है।
शपथ-पत्र दायर करने के आदेश
मामले पर बुधवार को न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष सुनवाई हुई। अंबाझरी बांध के सुरक्षा के मुद्दे पर काेर्ट ने सरकार को जमकर फटकार लगाई। साथ ही 20 दिसंबर तक सभी प्रतिवादियों को शपथ-पत्र दायर करने के आदेश दिए। याचिकाकर्ता की ओर से एड. तुषार मंडलेकर ने पैरवी की। मनपा की ओर से वरिष्ठ विधिज्ञ एस. के. मिश्रा और एड. जेमिनी कासट ने पैरवी की।
सरकार ने फंड ही नहीं दिया
अंबाझरी बांध की सुरक्षा को लेकर हाई कोर्ट में 2018 में जनहित याचिका दायर की गई थी। उस समय कोर्ट ने अंबाझरी बांध की सुरक्षा के लिए कई आदेश दिए थे, लेकिन बुधवार को हुई सुनवाई में कोर्ट के सामने यह बात आई कि ये सभी आदेश पूरे नहीं हुए हैं। इस पर मनपा ने दावा िकया कि बांध की सुरक्षा को लेकर मनपा और मेट्रो ने फंड उपलब्ध कराया, लेकिन राज्य सरकार ने फंड नहीं दिया है।