नागपुर: मनपा का खाता खाली, बैंक ने लौटाए चेक, दोबारा जमा कराई रकम, कहा-अब चेक जमा करो
- शर्मिंदगी झेलनी पड़ी
- गडकरी का ड्रीम प्रोजेक्ट है
- धनादेश जमा करते समय सूचित करना होता है
डिजिटल डेस्क, नागपुर. पुराना भंडारा रोड पर मेयो हॉस्पिटल से लेकर सुनील होटल तक 60 फीट चौड़ा डीपी रोड बनना है। इसके लिए स्थानीय 57 रहवासियों की जमीन अधिग्रहण कर सरकार द्वारा तय रकम अनुसार उन्हें मुआवजा दिया गया था। मुआवजा धनादेश के रूप में दिया गया, लेकिन जब पीड़ितों ने अपने बैंक खातों में यह धनादेश जमा कराए तो कुछ दिन बाद यह धनादेश उनके घर पर वापस आ गए। पीड़ितों को लगा कि कहीं उनके साथ ठगी तो नहीं हुई है।
शर्मिंदगी झेलनी पड़ी
सवाल उठा कि 339 करोड़ रुपए की लागत से बन रहे डीपी रोड के प्रभावितों को देने के लिए मनपा के बैंक खातों में पैसा तक नहीं है। खबर आग की तरफ फैली। मनपा को इसकी सूचना दी गई। मनपा ने भी माना की जिस समय यह धनादेश बैंक में जमा किया गया था, उस समय खाते में रखी रकम पर्याप्त नहीं थी। अंतत: सोमवार को बैंक और कार्यालय खुलते ही मनपा ने अपने खातों में पैसा जमा कर नगर रचना विभाग को यह सूचना दी कि संबंधित पीड़ितों को दोबारा धनादेश जमा करने को कहें। इस घटनाक्रम के बीच मनपा को किरकिरी सहित शर्मिंदगी झेलनी पड़ी।
गडकरी का ड्रीम प्रोजेक्ट है
केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी का यह ड्रीम प्रोजेक्ट है। वर्ष 2000 में मेयो हॉस्पिटल से सुनील होटल तक रोड चौड़ा करने की घोषणा की गई थी। इसे 60 फीट चौड़ा बनाना है। 25 साल से यह मामला लंबित है। पिछले साल किसी तरह इस मार्ग का भूमिपूजन हुआ। इससे पहले भूमि अधिग्रहण को लेकर कई विवाद हुए। लोग कोर्ट तक गए। बड़ी मुश्किल से मामला सुलझा। सरकार ने इसके लिए 339 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। इसमें 70 प्रतिशत राशि राज्य सरकार और 30 प्रतिशत राशि नागपुर महानगरपालिका को देनी है। पिछले साल प्रस्तावित सड़क में जिनकी घर-जमीनें जा रही हैं, ऐसे 57 लोगों की भूमि अधिग्रहित कर मुआवजा राशि बांटी गई। धनादेश देकर उनकी जमीन का कब्जा लिया गया। इसमें पीड़ित इंद्रजीत हरिकेशप्रसाद वाजपेयी भी शामिल हैं, जिन्हें 10.43 लाख रुपए का धनादेश दिया गया था।
जल्द काम शुरू किया जाए
मध्य नागपुर विकास आघाड़ी के अध्यक्ष भूषण दडवे ने कहा कि मनपा के बैंक खातों में रकम नहीं होना शहर विकास के दावे पर प्रश्न चिन्ह लगाता है। मनपा आयुक्त व प्रशासक को इसका संज्ञान लेना चाहिए। त्वरित मुआवजा देकर रजिस्ट्री व कब्जा पत्र लेकर बाधितों को मुक्त किया जाए।
धनादेश जमा करते समय सूचित करना होता है
सदाशिव शेलके, प्रमुख वित्त व लेखा अधिकारी, मनपा के मुताबिक हमने धनादेश नगर रचना विभाग को दिया था। हम उसका आरटीजीएस करते हैं। विभाग को सूचना दी थी कि धनादेश बैंक में जमा करने से पहले वित्त व लेखा विभाग को सूचित करें, लेकिन धनादेश जमा करते समय यह सूचना नहीं मिली। अब खाते में रकम जमा कर दी गई है और संबंधित को इसकी सूचना दे दी गई है। कई बार तय तारीख से काफी देरी से धनादेश जमा करने पर भी यह स्थिति बनती है।