नागपुर: शहर सहित ग्रामीण क्षेत्र में बढ़ रहे गलसुआ के मरीज, बच्चों पर इसका ज्यादा असर

  • एक से दूसरे में बढ़ रहा संक्रमण
  • गालों में सूजन आने के साथ जबड़े में सूजन आती है

Bhaskar Hindi
Update: 2024-05-20 15:17 GMT

डिजिटल डेस्क, बेसा। नगर पंचायत और बेसा ग्रामीण क्षेत्र में भी गलसुआ (मम्स) के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है। ठंड के मौसम से जब गर्मी का मौसम शुरू हुआ तब से गलसुआ का संक्रमण बढ़ गया है। पिछले माह से गलसुआ के मरीज बढ़ गए हैं। इसके लक्षणों में पैरामाइक्सोवायरस के कारण होने वाली संक्रामक बीमारी की गिरफ्त में सबसे ज्यादा बच्चे आ रहे हैं। शहर के बालरोग विशेषज्ञ के अनुसार पिछले महीने में गलसुआ के सैंकड़ों नए मामले दर्ज किए गए हैं। यह वायरस हवा में थूक के कणों, छींक, खांसी और गले से निकलने वाले संक्रामक एयरड्रोपलेट्स के माध्यम से फैल रहा है। बच्चों में गलसुआ के लक्षण अधिक देखे जा रहे हैं।

यह हैं लक्षण

गालों में सूजन आने के साथ जबड़े में सूजन आती है

तेज बुखार

मसल्स में दर्द

थकान

भूख न लगना

टीकाकरण जरूरी

डॉ. वैभव वराडकर, बालरोग विशेषज्ञ के मुताबक एमएमआर वैक्सीन से इस बीमारी से बचाव संभव है। यह वैक्सीन मीजल्स, मम्स और रूबेला से सुरक्षा प्रदान करती है और बच्चों को 12-15 महीनों की उम्र में और फिर 4-6 साल की उम्र में दी जाती है। पिछले माह इसके मरीजों में बेतहाशा वृद्धि हुई थी। रोजाना पांच से छह मरीज गलसुआ के इलाज के लिए आ रहे हैं। पिछले माह 300 से अधिक मरीजों ने इलाज कराया है।

डॉ. संजय भिसिकर, बालरोग विशेषज्ञ के मुताबिक मौसम में आ रहे बदलाव के कारण वायरल बीमारियों की गिरफ्त में बड़ों से लेकर छोटे बच्चे आ रहे हैं। ऐसे में हमें सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि रोगप्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ने पर लोग संक्रामक बीमारियों की गिरफ्त में आ रहे हैं। ऐसी ही संक्रामक बीमारी गलसुआ की गिरफ्त में सबसे ज्यादा बच्चे आ रहे हैं। गालों पर सूजन आने के कारण खाने में तकलीफ होती हैं, जो बहुत दर्दनाक होती है। इसके सबसे अधिक मरीज इलाज करवाने के लिए आ रहे हैं।

एक से दूसरे में बढ़ रहा संक्रमण

गलसुआ वायरस एक से दूसरे व्यक्ति में संक्रमित हो रहा है। इसके प्रमुख लक्षणों में गाल और जबड़े के पास सूजन, बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और भूख न लगना आदि लक्षण पाए जाते हैं। चिकित्सकों का कहना है कि, बच्चों में यह लक्षण पाए जाने पर फौरन चिकित्सक की सलाह लें और उसे अन्य बच्चों से अलग रखें। सतर्कता बरतना बहुत जरूरी है। इन दिनों मेडिकल, मेयो और शहर भर के सरकारी अस्पतालों में गलसुआ बीमारी से संक्रमित सैंकड़ों की तादाद में बच्चों से लेकर बड़े तक इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। चिकित्सकों की मानें, तो गलसुआ होने पर पांच दिन तक तेज बुखार रहता है। ऐसे में इस बीमारी से बचा जा सकता है, इसमें समय पर टीकाकरण और उचित देखभाल से इस बीमारी को होने से रोका जा सकता है।



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