सफलता: शराब दुकान के खिलाफ आंदोलन ने मजदूर के बेटे को बना दिया नेता, अब संसद चुने गए

  • रामटेक लोकसभा क्षेत्र से निर्वाचित श्याम बर्वे की सफलता
  • व्यक्ति की दिशा और कई मामलों में दशा ही बदल जाती

Bhaskar Hindi
Update: 2024-06-05 14:07 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर, रघुनाथसिंह लोधी. जिंदगी के सफर में ऐसे कई मोड़ आते हैं जहां व्यक्ति की दिशा और कई मामलों में दशा ही बदल जाती है। अर्श से फर्श व फर्श से अर्श पर आने में देर नहीं लगती है। रामटेक लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीते श्याम बर्वे का राजनीतिक सफर भी अनोखा है। परिवार व परिचितों के बीच अब भी बबलू के नाम से पुकारे जानेवाले बर्वे का बचपन उन लाखों-करोड़ों गरीब व मजदूर परिवार के बालकों के समान गुजरा जो दिन दुनिया से दूर तरक्की के कोई सपने भी नहीं देख पाते हैं। शराब दुकान नहीं खुलने देने के आंदोलन ने बबलू के लिए राजनीति की नई राह खोल दी। पहले वे ग्राम पंचायत के नेता बने।

अब देश की सबसे बड़ी पंचायत में दिखेंगे। 12 अक्टूबर 1980 को बबलू का जन्म हुआ। उनके पिता दौलत बर्वे काेयला खदान में मजदूर थे। सामान्य दलित परिवार के बच्चों की अक्सर शिकायत रहती है कि उनके साथ समाज में समान व्यवहार नहीं होता है। लेकिन बबलू कम उम्र से ही सार्वजनिक कार्यों में सहभागी होने लगे थे। बकौल बबलू- सरकारी खदान क्षेत्र में पूरा भारत बसता है। खदान में काम करने के लिए विविध राज्यों से मजदूर,कर्मचारी, अधिकारी आते हैं। संस्कार, संस्कृति का आदान प्रदान होता है। वर्ष 2006 में मित्रजनों व पड़ोसियों की सहायता से बबलू ने अपने आवास क्षेत्र में शराब नहीं खुलने देने का आंदोलन किया। आंदोलन सफल रहा। दुकान नहीं खुल पायी। उसके बाद खदान मजदूरों के अलावा अन्य क्षेत्र के मजदूरों के लिए आंदोलन में भी शामिल होने लगे। 2007 में उपसरपंच चुने गए। उसी वर्ष विवाह हो गया।

बबलू ने कांद्री ग्राम पंचायत में प्रभाव रखा। उनके नेतृत्व में ग्राम पंचायत पदाधिकारियों की टीम चुनी गई। 12 वीं तक शिक्षा के बाद वह व्यवसाय बढ़ाने में व्यस्त हो गए। पत्नी रश्मि को राजनीति में आगे बढ़ाने के लिए प्रयास करने लगे। रश्मि नागपुर की जिला परिषद अध्यक्ष चुनी गई थी। रश्मि को ही सांसद बनाने का प्रयास किया जा रहा था। कांग्रेस ने रश्मि को ही उम्मीदवारी दी। लेकिन जाति प्रमाण पत्र के साथ रश्मि की उम्मीदवारी खारिज हो गई। ऐसे में बबलू को चुनाव लड़ने का मौका मिला। उन्होंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे व उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पसंदीदा उम्मीदवार राजू पारवे को पराजित कर दिया।

बर्वे उपनाम व कांद्री के दूसरे सांसद

रामटेक में 1980 में जीते जतिराम बर्वे ने रिकार्ड मतों के अंतर से जीतने का रिकार्ड बनाया था। इंदिरा गांधी के बाद देश में सर्वाधिक मतों के अंतर से जीतने वाले नेता थे। जतिराम बर्वे व श्याम बर्वे का समाज अलग है। लेकिन जतिराम के बाद श्याम के नाम से बर्वे उपनाम का दूसरा सांसद रामटेक को मिला है। खास बात है कि 2004 में उपचुनाव जीतकर सांसद बने प्रकाश जाधव भी कांद्री के ही निवासी हैं। श्याम बर्वे कांद्री के दूसरे सांसद बन गए।

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