परेशानी: कम्प्यूटर विजन सिंड्रोम के मरीजों में 6 % से अधिक युवा

हर रोज औसत 175 मरीजों की जांच

Bhaskar Hindi
Update: 2023-12-22 10:21 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर । शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेडिकल) के नेत्ररोग विभाग में आने वाले कुल मरीजों में से 6 फीसदी से अधिक युवा कम्प्यूटर विजन सिंड्रोम (सीवीएस) से पीड़ित पाए जा रहे हैं। विभाग की ओपीडी में हर रोज औसत 175 मरीजों की जांच व उपचार होता है। इनमें से औसत 12 युवा मरीज सीवीएस ग्रस्त पाए जा रहे हैं। 

सीवीएस में युवाओं का प्रमाण अधिक

सीवीएस यानी कम्प्यूटर विजन सिंड्रोम का नाम कम्प्यूटर से होनेवाली बीमारी को दिया गया है। इसके अलावा मोबाइल, लैपटॉप आदि से होने वाली आंखों की बीमारी को भी सीवीएस श्रेणी में ही रखा जाता है। लंबे समय तक मोबाइल, लैपटॉप, कम्प्यूटर पर काम करने वालों को सीवीएस का खतरा होता है। इसमें भी एसी में बैठकर काम करने वालों को इसका खतरा सर्वाधिक होता है। मेडिकल के नेत्ररोग विभाग में हर रोज 175 लोगों की जांच व उपचार किया जाता है। इनमें से 12 मरीज सीवीएस के पीड़ित होते हैं और सभी युवा मरीज होते हैं।

लंबे समय तक स्क्रीन देखना बीमारी का कारण

सीवीएस बीमारी होने के पीछे प्रमुख कारण लगातार स्क्रीन देखना है। अाजकल युवा वर्ग लंबे समय तक मोबाइल से चिपके रहते हैं। वहीं लैपटॉप या कम्प्यूटर के बिना कोई काम नहीं होता। कार्यालयों में भी लंबे समय तक कम्प्यूटर पर ही काम होता है। कई स्थानों पर एसी में रहकर काम करना पड़ता है। इससे सीवीएस का असर होता है। वहीं एसी से निकलनेवाली सूखी हवा आंखों की नमी को सोख लेती है। अधिक दुधिया प्रकाश में काम करने से भी आंखों पर असर होता है। ऊपर से दिन ब दिन बढ़ता वायु प्रदूषण सीवीएस बीमारी में सहायक बनता जा रहा है। इन कारणों के चलते इस बीमारी का प्रमाण बढ़ रहा है। सीवीएस में आंखों की नमी खत्म होना, आंखें सूखना, खुजली, आंखों में जलन, भारीपन, लाल आंखें, धुंधलाहट, सिरदर्द, गर्दन व पीठ में दर्द, मांसपेशियों में थकान, मस्तिष्क में भारीपन आदि शामिल है। हालांकि सीवीएस के कारण आंखों को स्थायी नुकसान नहीं हाेने का मामला सामने नहीं आया है, लेकिन यह बीमारी आंखों की सामान्य शैली को प्रभावित करती है।

प्रकाश व्यवस्था में बदलाव से चश्मा लगाने तक विकल्प

सीवीएस से बचने के लिए सबसे पहले तो कमरे की प्रकाश व्यवस्था में सुधार करना जरूरी बताया गया है। एसी की हवा में रहने से आंखें सूखती हैं। स्क्रीन का कंट्रास्ट या चमक कम कर रखना चाहिए। स्क्रीन को 20 से 26 इंच दूर रखना जरुरी हैै। झूककर स्क्रीन देखने से गर्दन व पीठ की तकलीफ होती है, इसलिए स्क्रीन को सीधे रखकर देंखे। मॉनिटर 4 से 8 इंच दूर होना चाहिए। आंखों व मांसपेशियों की थकान कम करने के लिए आंखों को थोड़े-थोड़े समय बाद कुछ पल के लिए आराम देना चाहिए। बार बार पलकें झपकाने से भी आंखों को आराम मिलता है। कमरे में कम नमी या धुआं भी आंखों की नमी कम कर देता है। इसके लिए डॉक्टरों की सलाह से आंखों की सुरक्षा के लिए चष्मा पहनने से आंखों को सीवीएस से बचाया जा सकता है।

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