असुविधा: सालाना 2000 से अधिक मरीज मेयो से जाते हैं सुपर स्पेशलिटी, सुविधाओं का टोटा
- हृदयरोग, सीवीटीएस, नेफ्रोलॉजी, यूरोलॉजी व न्यूरोलॉजी विभाग नहीं
- मरीज मेयो से जाते हैं सुपर स्पेशलिटी
डिजिटल डेस्क, नागपुर. उपराजधानी का सबसे पुराना सरकारी अस्पताल है मेयो। यहां विविध विकास योजनाओं पर काम हो रहा है। लेकिन यहां विशेषोपचार की सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। यहां आनेवाले नेफ्रोलॉजी, यूरोलॉजी न्यूरोलॉजी आदि बीमारी से संबंधित मरीजों को मेडिकल से संलग्न सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल में भेजा जाता है। इससे गरीब मरीजों पर आर्थिक बोझ बढ़ता है। बताया जाता है कि सालभर में 2000 से अधिक मरीज सुपर स्पेशालिटी में भेजे जाते हैं।
हृदयरोग से लेकर किडनी रोग की बीमारियाें का प्रमाण बढ़ रहा है। ऐसे में सरकारी अस्पतालों में उपचार सुविधाएं होना जरूरी है। लेकिन शहर के सबसे पुराने सरकारी अस्पताल इंदिरा गांधी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेयो) में अब भी अत्याधुनिक उपचार सुविधाओं की कमी है। यहां हृदयरोग, सीवीटीएस, नेफ्रोलॉजी, यूरोलॉजी, न्यूरोलॉजी आदि विभाग नहीं है। पिछले 50 सालों में सरकार ने मेयो अस्पताल में यह सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई हैं।
इसलिए इन बीमारियों से संबंधित मरीज मेयो में आने पर उन्हें सुपर स्पेशलिटी का रास्ता दिखाया जाता है। ऐसा करते समय मरीजों को सरकारी एंबुलेंस उपलब्ध करा दी जाती। इसलिए मेयो से सुपर तक 108 की तर्ज पर एंबुलेंस शुरू करने की मांग की जा रही है। ताकि मरीजों पर आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा। कई बार गरीब मरीजों को मेयो से सुपर तक पैदल चलकर जाना पड़ता है। ऑटो व ई रिक्शा वाले मजबूरी में मनमाना किराया वसूलते हैं।
सरकार को प्रस्ताव भेजा है
मेयो में पिछले कुछ समय से विविध विकासकार्य किए गए हैं। इसमें सर्जिकल कॉम्प्लेक्स, अाधुनिक सर्जरी सुविधाएं आदि का समावेश है। जल्द ही 144 करोड़ रुपए से मेडिसिन कॉम्पलेक्स तैयार होगा। नई प्रशासकीय इमारत बन चुकी है। कुछ काम बाकी है। लेकिन हृदयरोग, किडनी रोग , यूरोलॉजी, न्यूरोलॉजी, रुमैटोलॉजी विभाग नहीं बन पाए हैं। परिणामस्वरूप मेयो से सालाना 2000 से अधिक मरीज सुपर में भेजे जाते हैं। मेयो में सुपर स्पेशलिटी की तर्ज पर विशेषोपचार नहीं होता। जबकि सुपर स्पेशालिटी पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए सरकार के पास प्रस्ताव भेजा गया है।