नागपुर: मेडिकल को मिलेंगे 20 नए वेंटिलेटर, 18.90 करोड़ रुपए की निधि को मिली मंजूरी

  • एनआईसीयू को 20 नए वेंटिलेटर मिलनेवाले हैं
  • नवजात शिशुओं को जनरल वार्ड में रखना पड़ता था
  • 40 बाहरी नवजातों के लिए 25 बिस्तरों की सुविधा

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-14 11:39 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर. शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेडिकल) के बाल रोग चिकित्सा शास्त्र विभाग के अतिदक्षता विभाग (एनआईसीयू) को 20 नए वेंटिलेटर मिलनेवाले हैं। इसके अलावा जिन्हें वेंटिलेटर की जरूरत नहीं है, लेकिन ऑक्सीजन की जरूरत है, ऐसे मरीजों के लिए हाई-फ्लो नेसल कैन्यूला (एचएफएनसी) मशीनें उपलब्ध होंगी। इसके अलावा विभाग की आवश्यकता को देखते हुए मॉनिटर सिस्टम, एबीजी मशीन, इको मशीन आदि खरीदी की जाएगी। इसके लिए सरकार ने 18.90 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं।

मेडिकल के बालरोग चिकित्सा शास्त्र विभाग अंतर्गत 3, 5 व 6 कुल 3 वार्ड व 30 बिस्तरों का पीआईसीयू था। यहां प्रसूति के बाद गंभीर अवस्था के शिशुआें को रखा जाता था। वहीं मेयो व अन्य अस्पतालों से उपचार के लिए आनेवाले नवजात शिशुओं को जनरल वार्ड में रखना पड़ता था। इसकी दखल लेते हुए मेडिकल प्रशासन अतिदक्षता विभाग की स्वतंत्र इमारत का निर्माण करवाया। इस इमारत में शल्यचिकित्सा विभाग, औषधवैद्यक शास्त्र विभाग, बालरोग एनआईसीयू है। वर्तमान में बालरोग विभाग में 20 बिस्तरों का पीअाईसीयू व 65 बिस्तरों का एनआईसीयू है।

इसमें मेडिकल के नवजातों के लिए 40 बाहरी नवजातों के लिए 25 बिस्तरों की सुविधा है। वर्तमान में एनआईसीयू में केवल 3 न्यूयोनेटल वेंटिलेटर हैं। नए प्रस्ताव के मंजूरी मिलने से अब इनकी संख्या 20 होगी। सरकार ने बुधवार को 18.90 करोड़ रुपए के प्रस्ताव को प्रशासकीय मंजूरी दी है। अधिष्ठाता डॉ. राज गजभिये बेहतर व गुणवत्तापूर्ण सेवाएं उपलब्ध करा देने के लिए विविध उपाययोजनाओं के माध्यम से प्रयास कर रहे हैं।

हर साल 1500 मरीजों को मिलेगी राहत

मेडिकल के कैंसर रोग विभाग की ब्रेकीथेरेपी मशीन बंद होने से पिछले चार साल में 6000 से अधिक मरीजों को समस्या का सामना करना पड़ा है। महिलाओं में गर्भाशय, पुरुषों में लिवर, मूत्राशय, मस्तिष्क के कैंसर में शरीर के भीतर सोर्स देने के लिए ब्रेकीथेरेपी मशीन महत्वपूर्ण मानी जाती है। लेकिन 2019 से यह मशीन बंद पड़ी है। इस कारण हर साल 1500 मरीजों का ब्रेकीथेरेपी के उपचार से वंचित रहना पड़ रहा है। ऐसे में मरीजों को एम्स में रेफर करना पड़ता है। इस समस्या की दखल लेते हुए मशीन खरीदी को लेकर जल्द ही निर्णय लिया जानेवाला है। 

सोमवार को इस बारे में मुंबई में बैठक आयोजित की गई है। विदर्भ में केवल मेडिकल में ही कैंसर रोग विभाग स्वतंत्र है। 2019 में यहां की ब्रेकीथेरेपी मशीन कालबाह्य हो गई है। इसमें सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है। इस बारे में सरकार काे जानकारी देकर नई मशीन खरीदी का प्रस्ताव भेजा गया था। लेकिन इसपर सकारात्मक पहल नहीं की गई। सोमवार को होनेवाली बैठक में मशीन खरीदी को लेकर सकारात्मक पहल की उम्मीद की जा रही है। मेडिकल के कैंसर राेग विभाग में एमडी स्नातकोत्तर की 5 सीटें मंजूर थीं। मशीनों की कमी के चलते राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) ने इन सीटों पर प्रवेश पर रोक लगाई है।

 

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