जाग रही जीने की उम्मीद...: समुपदेशन से 70% मरीज कैंसर से लड़ने हो रहे तैयार

मेडिकल में नियमित उपचार के लिए किया जा रहा प्रेरित

Bhaskar Hindi
Update: 2023-10-16 05:08 GMT

चंद्रकांत चावरे, नागपुर । दो साल पहले मेडिकल के कैंसर रोग विभाग के विद्यार्थियों से सर्वे कराया गया था। इसमें कैंसर रोगियों की मानसिक स्थिति पर आधारित विविध विषयों का समावेश था। यह सामने आया कि कैंसर हाेने का पता चलते ही लोग अवसादग्रस्त हो जाते हैं। यदि घर के मुख्य कर्ता पुरुष को कैंसर हो जाता है तो, परिवार के अन्य सदस्य मां-बाप, पत्नी, बच्चे आदि भी अवसाद ग्रस्त हो जाते हैं। शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेडिकल) के कैंसर रोग विभाग द्वारा पहले व दूसरे चरण के मरीज व उनके परिजनों को अवसाद से बाहर निकालने के लिए समुपदेशन किया जाता है। इसके लिए अलग-अलग विभागों से संबंधित 8 लोगों की मदद ली जाती है। उपचार से जीने की नई उम्मीद जागती है।

30% की आयु 40 से कम : मेडिकल के कैंसर राेग विभाग में हर साल लगभग 2200 नए कैंसर रोगियों का पंजीयन होता है। इनमें से 70 फीसदी मरीज यानी लगभग 1540 मरीज पहले व दूसरे चरण के होते हैं। इन मरीजों में से 30 फीसदी की अायु 40 साल से कम होती है। जांच के बाद जब पता चलता है कि कैंसर है तो मरीज अवसादग्रस्त हो जाता है। जीने की आस टूट जाती है। कम उम्र के मरीजों के साथ परिजन भी अवसाद के शिकार हो जाते हैं। आज भी सामान्य वर्ग में कैंसर के प्रति यही धारणा है कि इसका उपचार संभव नहीं है, लेकिन यह गलत है। इस बीमारी को हरा पाना संभव है।

समुपदेशन के बाद अवसाद से बाहर : मेडिकल के कैंसर रोग विभाग में अवसादग्रस्त मरीजों का पहली जांच से ही समुपदेशन शुरू हो जाता है। मरीजों को बताया जाता है कि नियमित उपचार से इस बीमारी को हराया जा सकता है। देश-दुनिया के नामी लोगों के उदाहरण दिए जाते हैं, जो कैंसर रोगी थे। नियमित उपचार कर चुके सामान्य वर्ग के मरीजों के भी उदाहरण दिए जाते हैं, जो कैंसर को हरा चुके हैं। इसके लिए मनोचिकित्सक, सोशल वर्कर, डॉक्टर्स व अन्य सहायक कर्मियों की मदद ली जाती है। कुल 8 लोगों द्वारा आवश्यकतानुसार मरीज व उनके परिजनों का समुपदेशन किया जाता है, तब जाकर मरीज उपचार के लिए तैयार हो जाता है। नियमित उपचार के सकारात्मक परिणाम सामने आने शुरू होने पर मरीज व परिजन अवसाद से बाहर आते हैं। इस पहल के बाद सैकड़ों मरीजों को नया जीवन मिलने लगा है।

सकारात्मक परिणाम : नियमित औषधोपचार से इस बीमारी को मात दिया जा सकता है। हमारे यहां समुपदेशन में नियमित उपचार के लिए प्रेरित किया जाता है। पौष्टिक आहार, खान-पान का विशेष ध्यान, परिजनों को सकारात्मक भाव रखना, दिनचर्या का व्यवस्थापन, स्वस्थ हो चुके रोगियों की कहानियां बताकर मार्गदर्शन किया जाता है। अच्छे परिणाम आने लगे हैं। मरीज नियमित उपचार से पहले अवसाद मुक्त होता है और फिर धीरे-धीरे स्वस्थ। - डॉ. अशोक कुमार दीवान, कैंसर रोग विभाग प्रमुख

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