विधानसभा चुनाव की तैयारी: विदर्भ में महायुति के मित्रदलों की बढ़ेगी परेशानी, निर्दलीयों को साधने का प्रयास
- विधानसभा चुनाव की तैयारी दूसरे व तीसरे क्रमांक पर रही सीटों पर भी भाजपा का दावा
- विधानसभा चुनाव की तैयारी जुटे नेता
डिजिटल डेस्क, नागपुर, रघुनाथसिंह लोधी। लोकसभा चुनाव के अनुभव के बाद विधानसभा चुनाव में भाजपा अत्यधिक आत्मविश्वास में नहीं रहेगी। मतों के विभाजन की रणनीति पर अधिक जोर दिया जाएगा। साथ ही महायुति में वह अधिक सीटों पर दावा रखेगी। 2019 के चुनाव में दूसरे व तीसरे क्रमांक पर रही सीटों पर उसका प्रमुखता से दावा रहेगा। महायुति में भाजपा के नए मित्रदल शिवसेना शिंदे व राकांपा अजित भी सीट साझेदारी में अपने दावे प्रमुखता से रखेंगे। लेकिन विदर्भ में इन मित्रदलों को भाजपा अधिक सीट नहीं दे पायेगी। ऐसे में इन दलों की परेशानी बढ़ना तय माना जा रहा है। भाजपा के चुनाव रणनीति के जानकार एक वरिष्ठ पदाधिकारी के अनुसार विधानसभा चुनाव के लिए सीटों का वर्गीकरण किया जा रहा है। भाजपा के लिए ए वर्ग में राज्य में सर्वाधिक सीटें विदर्भ में है। इन सीटाें पर पहले से अधिक ध्यान दिया जाएगा।
मत विभाजन का मिला था लाभ
2019 में भाजपा व अविभाजित शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़ा था। हालांकि उस समय भी भीतरखाने दोनों दल में सीटों को लेकर पूरी सहमति नहीं बन पायी थी। कई सीटों पर बागी उम्मीदवार उतरे या फिर उतारे गए थे। लेकिन मत विभाजन का लाभ भाजपा को मिला था। 2014 के मुकाबले 2019 में राज्य में छोटे दल व निर्दलीयों के मत प्रतिशत बढ़े थे। 2014 में छोटे दल व निर्दलीयों ने 14 प्रतिशत मत पाया था। 2019 में 23 प्रतिशत मत पाए। इस चुनाव में भाजपा ने 25.7 प्रतिशत ही मत पाए थे। उम्मीदवारी नहीं मिल पाने से बागियों की संख्या बढ़ी थी। 50 बागियों ने निर्दलीय चुनाव लड़ा। उनमें से 13 निर्दलीय चुनाव जीते। 2014 में प्रकाश आंबेडकर की बहुजन वंचित आघाडी ने प्रभाव दिखाया था। लेकिन 2019 में वह सफल नहीं रही। वंचित के उम्मीदवार 10 सीटों पर दूसरे क्रमांक पर थे। वहां भाजपा शिवसेना ने चुनाव जीता। बहुजन विकास पार्टी 3, एएमआईएम 2, सपा 2, प्रहार जनशक्ति 2 सहित अन्य छोटे दलों ने सीटें जीतकर अपना प्रभाव दिखाया था।
विदर्भ की स्थिति
छोटे दल व निर्दलीयों के मामले में विदर्भ में भाजपा को झटका लगा था। पूर्व विदर्भ में 4 निर्दलीय उम्मीवार जीते। पश्चिम विदर्भ में प्रहार जनशक्ति के 2 व स्वाभिमान पार्टी के एक उम्मीदवार जीते। फिलहाल प्रहार जनशक्ति का गठबंधन संबंधी रुख स्पष्ट नहीं है। स्वाभिमान पार्टी के विधायक रवि राणा की पत्नी व पूर्व सांसद नवनीत राणा भाजपा में शामिल हुई है। रामटेक से निर्दलीय विधायक आशीष जैस्वाल मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ नजर अवश्य आते हैं लेकिन उन्होंने शिवसेना शिंदे गुट में प्रवेश नहीं लिया है। भंडारा से निर्दलीय जीते नरेंद्र भोंडेकर दो दिन पहले ही शिवेसना शिंदे गुट में शामिल हुए हैं। उन्होंने साफ कहा है कि वे भाजपा में भी प्रवेश कर सकते थे। पूर्व राज्यमंत्री परिणय फुके के कारण भाजपा से दूर रहे। गोंदिया के निर्दलीय विधायक विनोद अग्रवाल भाजपा में शामिल हुए हैं। चंद्रपुर के निर्दलीय विधायक किशोर जोरगेवार महायुति के समर्थक हैं। गोंदिया जिले के अर्जुनी मोरगांव विधानसभा क्षेत्र से तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री राजकुमार बडोले राकांपा के मनोहर चंद्रिकापुरे से 718 मतों के अंतर से पराजित हुए थे। अब चंद्रिकापुरे अजित पवार के साथ हैं। लिहाजा अर्जुनी मोरगांव में भाजपा के साथ ही राकांपा अजित गुट का भी दावा रहेगा। ऐसी ही कुछ सीटों पर महायुति के मित्रदलों की अड़चन होगी। 2019 में भाजपा ने 164 सीटाें पर चुनाव लड़कर 105 सीट जीती थी। इस बार उसका दावा 170 सीटों का रह सकता है।