कोर्ट में सेंध: 7/12 पर जगदीश का नाम नहीं चढ़ा सकते थे फिर भी कोर्ट का आदेश बताकर नाम चढ़ा दिया
- जगदीश जैस्वाल के 55 डमी केसों में पुलिस कर रही थी सहायता
- प्रशासन ने भी उसके लिए सभी नियम ताक पर रख दिए
- तरूण कुमार पारधी के जमीन की केस स्टडी
सुनील हजारी , नागपुर । जगदीश जैस्वाल की गैंग फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लोगों की जमीन हड़प रही थी। इसके आधार पर दूसरे की जमीन पर अपने कब्जे के 55 केस तो केवल जिला कोर्ट में लगा दिए। दूसरी तरफ इस गैंग को पुलिस का सहयोग मिला वहीं प्रशासन के अधिकारी भी पीछे नहीं रहे, इसकी एक बानगी तरुण कुमार पारधी के केस में देखी जा सकती है। गलत दस्तावेजों के आधार पर जगदीश ने पारधी की जमीन पर भी कोर्ट में 7/12 पर नाम चढ़ाने की याचिका डाली, कोर्ट ने अपने आदेश में इससे इनकार किया। इसके बाद जिला प्रशासन ने आदेश से उलट जगदीश का नाम 7/12 में चढ़ा दिया। और इसका आधार कोर्ट के आदेश को बताया। हालांकि केवल एक मामले में ही नहीं प्रशासन ने ऐसे कई मामलों में जगदीश का साथ दिया।
कोर्ट ने आदेश में लिखा वह 7/12 पर नाम चढ़ाने का आदेश नहीं दे सकती : कोर्ट जमीन के रिकॉर्ड से संतुष्ट नहीं थी इसलिए इस मामले के फैसले पर ऑर्डर दिया कि वह 7/12 पर नाम चढ़ाने का आदेश नहीं दे सकते। अब पूरे मामले में खास बात यह है कि जब जगदीश को कोर्ट के इस केस से राहत नहीं मिली तो प्रशासन का सहारा लिया।
यह था मामला : तीन साल पहले बेची गई जमीन पर पॉवर बनाया : तरुण कुमार पारधी के पिता प्रभाकर पारधी ने 2005 में मोजा किरनापुर में 2 एकड़ जमीन मोतीराम लेहाड़े से खरीदी। उसकी रजिस्ट्री हुई और कब्जा भी लिया गया। यह जमीन करीब 80 लाख की है। इसके बाद जगदीश लेहाड़े के संपर्क में आया और उसको लालच देखकर उसी जमीन पर पॉवर ऑफ अटार्नी 2008 में ले ली। जो तीन साल पहले वह बेच चुका था।
उसी पॉवर के आधार पर पत्नी के नाम रजिस्ट्री कर दी : उस पॉवर के आधार पर जमीन अपनी पत्नी ममता उर्फ मंदा जैस्वाल के नाम 2008 में रजिस्ट्री कर दी। इसके बाद 2009 में जगदीश और ममता ने लिहाड़े पर केस क्रमांक आरसीएस 23/2009 डाला कि उक्त जमीन उस जमीन के 7/12 पर नाम चढ़ाने और जमीन का पजेशन उसे दिलवाया जाए।
पारधी की जमीन पर प्लाट काटकर भी बेच दिए, तब इस घोटाले की भनक लगी : अब तक इस घोटाले की जानकारी 2 एकड़ जमीन के असली मालिक प्रभाकर पारधी को नहीं लगी थी, वह अपनी जमीन पर उपयोग कर रहे थे। अचानक से कुछ लोग उनकी जमीन पर कब्जा लेने पहुंचे तो पता चला कि जगदीश जैस्वाल ने उस जमीन पर छोटे-छोटे प्लाट काटकर 10 से 20 लाख रुपए में बेच दिए हैं।
अब पारधी परिवार 7/12 से जगदीश का नाम हटाने के लिए एसडीओ कोर्ट पहुंचा : जब पारधी परिवार को इस घोटाले का पता चला तो वह अपनी जमीन के 7/12 पर जगदीश का नाम हटवाने के लिए तरुण कुमार पारधी 2022 में एसडीओ के पास गए और वहां केस दाखिल किया था और एक सिविल कोर्ट में रजिस्ट्री कैंसल करने के लिए याचिका डाली, जो वहां केस चल रहा है।
प्रशासन ने कोर्ट के आदेश का हवाला देकर नाम चढ़ा दिया : जगदीश की गैंग का प्रशासन पर किस तरह दखल था इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि केस में जगदीश के पक्ष में आदेश नहीं होने के बाद भी पटवारी ने 3.12.2009 को 7/12 पर जगदीश का नाम चढ़ा दिया। और रिकॉर्ड में लिखा कि कोर्ट के आदेश पर नाम चढ़ाया गया है।
जगदीश ने कहा, कोर्ट-कचहरी से बचना है तो उसे प्लॉट की आधी कीमत दो : तरुण कुमार पारधी ने भास्कर को बताया कि हमारी जमीन जगदीश जैस्वाल ने फर्जी तरीके से हथियाने की साजिश रची। हम कोर्ट कचहरी में उलझे हुए हैं। वह कई बार हमारे पास आया और आॅफर दे रहा है कि कोर्ट कचहरी से बचना है तो उसे जमीन की कीमत की आधी राशि दे दें। सेटलमेंट के लिए हमें जगदीश के पार्टनर रंजीत सारड़े के कार्यालय में भी बुलाया। जगदीश जैसे अपराधियों ने आम और गरीब लोगों की जमीन हथियाकर उनका जीना हराम कर दिया है। सामान्यत: ऐसे लोग कोर्ट कचहरी नहीं जाते और न ही इसकी समझ रखते हैं। ऐसे हम जैसे लोग कोर्ट गए मगर सालों केस में निकल जाएंगे यह साबित करने में कि हमारे साथ गलत हुआ।