कोर्ट में सेंध: कोर्ट के 55 केसों में हेरा-फेरी करने वाला आरोपी निकला दो बार 10वीं फेल
- ऐसे दस्तावेज तैयार किए जिसमें कोर्ट को दूसरे की जमीन पर उसे हक देना पड़ा
- पत्नी 8वीं पास, 55 से 22 मामलों में दूसरों की संपत्ति की मालकिन बन गई
- कोर्ट के दांव-पेच में अच्छे-अच्छे पढ़े लिखों को उलझा दिया
सुनील हजारी , नागपुर। इन दिनों 12वीं फेल फिल्म के हीरो की आईएएस बनने की काबिलियत की चर्चा है। इसके विपरीत नागपुर कोर्ट की न्याय व्यवस्था में सेंध लगाने वाला जगदीश जैस्वाल 10वीं फेल है। वह दो बार में भी 10वीं पास नहीं कर सका। इन सब के बावजूद कोर्ट-कचहरी के ऐसे दांव-पेच सीखे जिसके आधार पर दूसरे के हिस्से की 55 संपत्तियां अपने नाम कर लीं, जो करीब 150 करोड़ से अधिक की थीं। 8वीं फेल उसकी पत्नी ममता जैस्वाल भी इससे पीछे नहीं रही। 55 में से 22 दूसरों की संपत्तियों को अपने नाम करने का कोर्ट में दावा कर दिया। अधिकांश मामलों में जगदीश ने संपत्तियों की पॉवर ऑफ अटर्नी तैयार की और उसकी पत्नी के नाम रजिस्ट्री कर दी।
रंजीत ने जगदीश को बनाया मास्टरमाइंड : इस पूरे मामले में कानून की ए.बी.सी.डी. जगदीश को उसके दोस्त रंजीत सारडे ने सिखाई, जो एक वकील भी हैं। पीड़ित बताते हैं कि, उन्हीं के मार्गदर्शन में यह ठगी का कारोबार चलता है। अधिकांश मामलों में वही जगदीश के वकील भी हैं।
जगदीश-ममता के कारनामों की एक बानगी :
संजय भैयालाल जैस्वाल ने किशोर आदमने से मानेवाड़ा में एक 1500 स्क्वेयर फीट का प्लॉट लिया। उसकी रजिस्ट्री भी करवा ली। इसके बाद संजय ने अपनी बहन विद्या सुरेश जैस्वाल को एक गिफ्ट डीड के माध्यम से करीब 50 लाख का प्लॉट दे दिया। सालों बाद अचानक एक दिन विद्या के पास कोर्ट का नोटिस आया कि, वह संबंधित प्लॉट का पजेशन ममता जैस्वाल को दे, जो जगदीश जैस्वाल की पत्नी है। इस पर जब विद्या ने पता किया, तो वह चौंक गईं। ममता ने विद्या के ऊपर एक सिविल सूट लगाया था। इसमें बताया गया कि, ममता संबंधित प्लॉट की मालिकन है।
फर्जी पॉवर ऑफ अटर्नी बना दी : जगदीश ने इस कारनामें को करने के लिए संजय के नाम से प्लॉट की पॉवर ऑफ अटर्नी बना ली, जिसमें संजय के नाम से हस्ताक्षर भी कर लिए। उस पॉवर अटर्नी के आधार पर प्लॉट की रजिस्ट्री पत्नी ममता जैस्वाल के नाम कर दी और ममता ने इसके आधार पर प्लॉट के पजेशन के लिए सिविल सूट दायर कर दिया।
पुलिस को जानकारी दी, पर मामला दर्ज नहीं हुआ : संजय ने इस फर्जीवाड़े की शिकायत सक्करदरा थाने को दी और बताया कि, उसके फर्जी हस्ताक्षर से पॉवर ऑफ अटर्नी बनाई गई है। जिसके सबूत भी दिए, मगर उसकी एक नहीं सुनी और सिविल मैटर कहकर टाल दिया गया।
आखिर चल क्या रहा है, कोर्ट-कचहरी को भी नहीं बख्शा : विद्या ने भास्कर को बताया कि, जगदीश के इस फर्जी केस के कारण मैं मुंबई से बार-बार नागपुर आ रही हूं। परेशान हो गई हूं। बार-बार यही सोचती हूं कि, मेरा कसूर क्या है, जो मुझे कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। जगदीश जैसे लोगांे ने न्याय-व्यवस्था को मजाक बना रखा है और वह धड़ल्ले से यह सब कर रहा है।