नागरिक दे रहे पानी: पीडब्ल्यूडी के लगाए पौधों का संवर्धन नहीं, बेसा-पिपला नपं की जिम्मेदारी थी

  • सैर पर जाते पानी का कैन लेकर निकलते हैं
  • संवर्धन के अभाव में मुरझा रहे थे पौधे

Bhaskar Hindi
Update: 2024-06-02 08:57 GMT

डिजिटल डेस्क, बेसा. रेवतीनगर से ओंकार नगर मार्ग के सीमेंटीकरण के बाद पिछले नौ माह पूर्व 20 से 25 पेड़ मार्ग किनारे लगाए गए थे। इसके संवर्धन की जिम्मेदारी बेसा-पिपला नगरपंचायत ने ली थी। लेकिन नपं की ओर से पौधों को नियमित पानी नहीं देने के कारण बढ़ रहे पौधे मुरझा गए हैं। कुछ पेड़ तो टूट गए हैं। किसी की टहनिया झुकी हैं तो कुछ पौधे उखड़ गए हैं। ऐसे में पेड़ों की दुर्दशा रेवतीनगर के कुछ पर्यावरण प्रेमियों से देखी नहीं गई और वे पिछले कुछ महीनों से घर से कैन में पानी लाकर पौधों को दे रहे हैं। तो टूटी हुई टहनियों को रस्सी से बांधकर उसे आधार दे रहे हैं। हालांकि नपं रेवतीनगर से ओंकार नगर मार्ग पर लगे पौधों का संवर्धन नियमित किए जाने का हवाला दे रही है।

पेड़ों का संवर्धन इस अभियान में रेवती नगर और इसके आसपास के इलाके के लोग सुबह सैर पर निकलते वक्त हाथ में पानी की बड़ी कैन लेकर निकलते हैं और बढ़ रहे पेड़ों को नियमित पानी दे रहे हैं। अभियान से जुड़े राजेश मोटघरे, जसविंदर सिंह, प्रकाश त्रिवेदी, मनोज चापले, सुनील देशकर, अनिल खाणोरकर गोविंद वाघमारे, मुकुंद चन्ने, श्रीनिवास भालेराव, शाम थापेकर, दामोदर खरबीकर, अनिल सोनवाने, मोहन मेश्राम, अशोक सातोरकर आदि लोग शामिल हैं।

संवर्धन के अभाव में मुरझा रहे थे पौधे

राजेंद्र शेगांवकर के मुताबिक रेवतीनगर से ओंकार नगर मार्ग पर लगे पौधे पीडब्ल्यूडी निर्माण कार्य विभाग की ओर से मार्ग के दोनों ओर से लगाए गए थे। जिसका जिम्मा नपं की ओर सौंपा गया था। लेकिन नपं की ओर से पौधों का संवर्धन नहीं किए जाने के कारण पेड़ मुरझा रहे हैं। इन पेड़ों को जीवित रखने के लिए सुबह की सैर पर निकलते हैं तो हाथ में पानी की कैन लेकर निकलते हैं और पेड़ों को पानी देकर पेड़ों को जीवित रखने का प्रयास कर रहे हैं।

पौधों को दिया आधार

मदन कोहले के मुताबिक नौ माह पूर्व लगाए गए पौधे अब दस फुट तक बढ़ गए हैं। लेकिन दिन-ब-दिन बढ़ते तापमान के कारण पेड़ों की दुर्दशा हो चुकी है। पौधों की टहनिया टूट गई थीं। ऐसे में टूटी हुई पेड़ों की टहनियों को रस्सी से बांधा गया और उसे जीवित रखने के लिए पानी दिया जा रहा है। ताकि यह पेड़ बढ़कर राहगीरों को छाव दे सकें।


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