नागपुर: जलवायु परिवर्तन से निपटने जल्द कारगर योजना और जल भंडारण दोगुना करना आवश्यक
- जलाशयों और बांधों में जल भंडारण दोगुना करना आवश्यक : माहेश्वरी
- जल भंडारण दोगुना करना आवश्यक है
डिजिटल डेस्क, नागपुर. जलवायु परिवर्तन का असर अब साफ दिखाई देने लगा है। जल्द से जल्द इससे निपटने की योजना बनाना जरूरी हो गया है। पेड़, पौधे लगाने के साथ ही खेतों को भी साल भर हरा-भरा रखना होगा, इसके लिए जलाशयों में जल भंडारण दो से तीन गुना करना आवश्यक है। प्राकृतिक संसाधन विशेषज्ञ प्रदीप माहेश्वरी के अनुसार वर्षों से जलाशयों, तालाबों और बांधों की सफाई नहीं हुई है। इनकी तलहटी में भारी मात्रा में मिट्टी जमा हो गई है, जिससे इनकी भंडारण क्षमता आधी से भी कम हो गई है। गर्मी का मौसम आते ही जलाशय, तालाब और बांध सूखने लगते हैं। इनकी सफाई और गहराईकरण कर जल भंडारण क्षमता बढ़ाई जा सकती है। जलाशयों के भीतर जमा मिट्टी काफी उपजाऊ होती है, इसे किसानों को अत्यंत कम दरों पर दिया जा सकता है। जल भंडारण क्षमता बढ़ने से आस-पास के कुओं का जल स्तर बढ़ेगा और गांवों में पानी की किल्लत भी नहीं होगी।
फ्लोटिंग सोलर से वाष्पीकरण रोका जा सकता है : माहेश्वरी के अनुसार जलाशयों और बांधों पर फ्लोटिंग सोलर लगाकर बिजली का उत्पादन किया जा सकता है। इससे पानी का वाष्पीकरण भी कम होगा। कई राज्यों में अड़ानी और टाटा समूह इसमें निवेश कर रहे हैं, कई प्रकल्पों में उत्पादन शुरू भी हो चुका है। चंद्रपुर के इरई बांध पर भी एक ऐसा प्रकल्प प्रस्तावित है। इससे गर्मी में बिजली-पानी की कमी से निपटा जा सकता है और कोयला आधारित बिजली पर निर्भरता कम की जा सकती है।
पाइप लाइन से नदियों को जोड़ना जरूरी : पानी की उपलब्धता गंभीर विषय है और 2-3 साल की व्यवस्था होना आवश्यक है। जलाशयों और तालाबों को पाइपलाइन के माध्यम से नदी से जोड़ना भी जरूरी है, ताकि ज्यादा बारिश में पानी नदी में छोड़ा जा सके और कम हो, तो नदी से पानी लेकर जलाशयों को भरा जा सके।
बिजली की बचत होगी : माहेश्वरी के अनुसार जैसे महानगरों और शहरों में पाइपलाइन द्वारा जलापूर्ति ग्रेविटी से करते हैं, उसी प्रकार किसानों को समय पर पानी देकर मुफ्त दी जाने वाली बिजली की बचत की जा सकती है। यही बिजली उद्योगों को कम दर पर देकर भरपूर उद्योग और निवेश आकर्षित किए जा सकते हैं।
किसानों को साल भर मिलेगा पानी : उन्होंने बताया कि, पानी की समय पर उपलब्धता से खेत-खलिहानों को सालभर पानी उपलब्ध कराया जा सकता है। इससे तापमान 2-3 डिग्री कम किया जा सकता है। जलाशयों और बांधों पर पैदा होने वाली बिजली द्वारा ओवरहेड टैंक में पानी भरकर गुरुत्वाकर्षण द्वारा पाइपलाइन से किसानों को समय पर पानी दिया जा सकता है। एक अध्ययन द्वारा देखा गया है कि, किसानों को साल में सिर्फ 100 दिन पानी की आवश्यकता होती है। बरसात और ठंड में कम पानी लगता है। नहरों द्वारा सिंचाई में पानी का नुकसान और वाष्पीकरण रोकना जरूरी है।
जेक वेल से की जा सकती है पेयजल व्यवस्था
माहेश्वरी के अनुसार विदर्भ की तीनों नदियों पर गहरे जेक वेल बनाकर पेयजल की व्यवस्था की जा सकती है। प्रत्येक 50 किमी पर जैक वेल बनाकर भरपूर पानी की व्यवस्था की जा सकती है। विदर्भ का औद्योगिकीरण अभी तक पूरा नहीं हुआ है, लेकिन बड़े उद्योगों के आने से पूर्व भरपूर पानी की व्यवस्था होनी चाहिए, इस ओर सरकार का ध्यान आकर्षित होना चाहिए।