कारनामा: डमी कंपनियों के जरिए काली कमाई के मामले में इनकम टैक्स ने 400 नोटिस भेजे
- डमी कंपनियों के जरिए ब्लैक मनी को वाइट करने का मामला
- माफियाओं ने बचने के लिए शहर के बड़े वकील को खड़ा किया
डिजिटल डेस्क, नागपुर, सुनील हजारी | डमी कंपनियों के माध्यम से काली कमाई को सफेद करने के मामले में इनकम टैक्स विभाग ने शहर के 400 लोगों को नोटिस जारी किए हैं, जिसमें भाजपा-कांग्रेस के बड़े नेताओं सहित, शहर व मुंबई के कई बड़े उद्योगपति, सीए, स्टील की कई बड़ी कंपनियों के मालिक, डिब्बा और सट्टा व्यापार से जुड़े लोग भी शामिल हैं। इन्हें 31 मार्च 2024 के पहले तक हिसाब देने को कहा गया है। नोटिस में पांच बड़े प्वांइट हैं, जिन पर जानकारी चाही गई है
यह है मामला
शहर में पंकज मेहाड़िया ने लोकेश जैन, कार्तिक जैन, बालमुकुंद केयाल के साथ मिलकर पांच डमी कंपनियां बनाई थीं। इसमें मेहाड़िया सेल्स ट्रेड कार्पोरेशन, मेहाड़िया सेल्स ट्रेड कार्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड, नंदलाल डी मेहाड़िया, लोकेश मेटेलिक्स, सद्गुरु इंटरप्राइजेज, नंद सन्स लॉजिस्टिक लिमिटेड, इन कंपनियों का मुख्य काम केवल कागजों पर ट्रांजेक्शन दिखाकर लोगों की ब्लैक मनी को ह्वाइट करना था। 2017-18, 2018-19 में इन कंपनियों में करीब 400 लोगों ने लगभग 1000 करोड़ रुपए का लेन-देन अपने खातों में बताया। इनकम टैक्स ने जब इसकी जांच की तो अधिकांश एंट्री फर्जी निकली। कंपनियों में जो भी खरीदी-बिक्री दिखाई जाती थी, वह डमी थीं।
यह जानकारी मांगी
इनकम टैक्स के नोटिस में 2017-18 का इनकम टैक्स रिटर्न की जानकारी के साथ ही इसी फाइनांशियल ईयर का बैंक स्टेटमेंट, प्रॉफिट-लॉस एकाउंट की जानकारी, संबंधित साल में लिए लोन की जानकारी, 2017 का ओपनिंग और 31 मार्च 2018 का क्लोजिंग बैंलेंस की जानकारी मांगी गई है।
असली खेल लोन में हुआ
इनकम टैक्स विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, डमी कंपनियों से शहर के कई नामी लोगों ने लोन लेना दिखाया, जो फर्जी है। दरअसल एक हाथ से कैश लिया गया और उसके बदले उसकी ही राशि को लोन लेना दिखाया गया। इस काम के बदले 10 से 15 प्रतिशत का कमीशन लिया जाता था। अब इसी लोन के पीछे की जांच में काली कमाई का राज छिपा हुआ है।
माफियाओं ने बचने के लिए शहर के बड़े वकील को खड़ा किया
इस मामले में पंकज मेहाड़िया के खातों में उलझे कई माफियाओं ने मिलकर बचने के लिए शहर व देश के एक नामी वकील को खड़ा किया है, जिसकी केस में एक बार हाजिर रहने की फीस ही 7 लाख रुपए है। दरअसल, माफिया अपने खिलाफ दर्ज ईडी का प्रकरण रद्द करवाना चाह रहे हैं, ताकि जांच ही खत्म हो जाए और मामले के राज नहीं खुलें। हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट में मामला चला गया है। इन माफियाओं का नेता घाट रोड स्थित एक बड़े स्टील कंपनी का मालिक है, जो खुद इस मामले में सबसे ज्यादा फंसा हुआ है।