विकास: भारत में वैश्विक एविएशन मार्केट का नेतृत्व करने की क्षमता है : सिंधिया
- एएआर-इंडामेर के एमआरओ का औपचारिक उद्घाटन
- बाधाएं दूर करने तथा प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए
- एयरपोर्ट्स की संख्या दोगुनी होने के कारण हवाई जहाज की मांग काफी बढ़ी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। पिछले 10 साल में केंद्र सरकार ने एयरपोर्ट्स की संख्या 74 से 148 कर दी है। इस कालावधि में 70 नए विमानतल तैयार किए गए हैं। पिछले एक दशक में भारतीय हवाई यातायात क्षेत्र काफी बढ़ गया है। एयरपोर्ट्स की संख्या दोगुनी होने के कारण भारत में हवाई जहाज की मांग काफी बढ़ी है। इससे सिद्ध होता है कि भारत में अब वैश्विक हवाई यातायात क्षेत्र का नेतृत्व करने की क्षमता आ गई है। यह विचार केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने व्यक्त किए। एएआर-इंडामेर कंपनी के मिहान सेज स्थित एमआरओ का औपचारिक उद्घाटन तथा 100 विमानाें का सी चेक पूरा होने के उपलक्ष्य में समारोह का आयोजन किया गया । कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी, सांसद प्रफुल्ल पटेल, एएआर-इंडामेर के संचालक प्रजय पटेल, इंडिगो के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पीटर एलबर्ग, इंडिगो के उपाध्यक्ष (इंजीनियरिंग) एस. सी. गुप्ता, एयरबस के दक्षिण एशिया कस्टमर सर्विस प्रमुख लॉरी एल्डर, पूर्व सांसद विजय दर्डा प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
उड़े देश का आम नागरिक : भारतीय विमान उद्योग के विकास के विविध पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए सिंधिया ने कहा कि 2014 से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार नागरिक उड्डयन क्षेत्र में क्षमता निर्माण करने का प्रयास कर रही है। इस क्षेत्र के विकास में आने वाली बाधाएं दूर करने के लिए तथा प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं, ताकि राष्ट्र को आवश्यक विमान परिवहन मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हो सकें। उड़े देश का आम नागरिक (उड़ान योजना) भी इसी दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है।
4 एविएशन कंपनियों का परिचालन शुरू : सिंधिया ने कहा कि देश की एविएशन इंडस्ट्री ने काफी तेजी से प्रगति की है। पहले एयरलाइंस कंपनियां बंद होती थीं, अब में देश में 4 नई एयरलाइंस कंपनियाें ने परिचालन शुरू किया है। आने वाले 15 वर्ष में देश के 10 शहराें में एक से ज्यादा एयरपोर्ट शुरू होंगे। पिछले 10 साल में भारत में विमानों की संख्या 400 से 713 हो गई है। कुछ महीने पहले एयर इंडिया ने 407 तथा इंडिगो ने 500 विमानाें के ऑर्डर दिए हैं। यात्रियों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। 2030 तक भारत 300 मिलियन की यात्री संख्या पार कर विश्व की तीसरी डोमेस्टिक और अंतरराष्ट्रीय एविएशन इंडस्ट्री बन जाएगी। ड्रोन हवाई क्षेत्र का महत्वपूर्ण घटक है। भारत को विश्व की ड्रोन कैपिटल बनाने का संकल्प सरकार ने लिया है।
विदर्भ में नए उद्योग व रोजगार : सांसद प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि विदर्भ में नए उद्योगों का लाकर बड़े प्रमाण में रोजगार का सृजन करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। एएआर-इंडामेर के संचालक प्रजय पटेल ने कहा कि सरकार का सहयाेग ओर एयरलाइंस कंपनियों द्वारा जताए गए विश्वास के कारण हम केवल 2 साल 4 महीने में 100 विमानाें के सी चेक पूरा कर पाए। यह प्रोजेक्ट कुल 30 एकड़ जगह में फैला हुआ है। इसमें कुछ जगह पर 4 हैंगर में विमानाें का मेंटेनेंस किया जाता है।
एमआरओ इंडस्ट्री में अपार संभावनाएं : केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी ने कहा कि देश की एविएशन आैर एमआरओ इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रही है। नागपुर में एविएशन आैर एमआरओ इंडस्ट्री हब बनने की पूरी क्षमता है। मिहान स्थित एएआर-इंडामेर कंपनी द्वारा 100 विमानाें की सी-चेक महत्वपूर्ण चरण है। भविष्य की जरूरतों को समझते हुए एविएशन-एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम चलाने वाले महाविद्यालयों से एमओयू करना चाहिए। इससे एविएशन तथा एमआरओ इंडस्ट्री के लिए कुशल कर्मचारी मिलेंगे। उन्होंने कहा कि मिहान प्रोजेक्ट के शुरू होने से लेकर अब तक 68 हजार इंजीनियरों को यहां नौकरी मिली है। एयरक्राफ्ट इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों को यदि एमआरओ का प्रशिक्षण दिया जाता है, तो कंपनियों को प्रशिक्षित कर्मचारी मिलेंगे। मिहान सेज में 38 एकड़ जमीन में से केवल 10 एकड़ जगह पर उद्योग शुरू हैं। एमआरओ के विस्तार के लिए भी यहां काफी क्षमता है। शक्कर कारखाने तथा कृषि उपज से भी बायो एविएशन फ्यूल बनाने की योजनाएं लाने की आवश्यकता है, जिससे किफायती दराें में ईंधन उपलब्ध हो सके।