RTI खुलासा: नवंबर में मेडिकल के 29 अधिकारी-डॉक्टर्स पूरे महीने रहे अनुपस्थित, कुछ HOD ड्यूटी के समय गायब
- कार्रवाई करने फोरम ने दिया पत्र
- 29 अधिकारी-डॉक्टर्स पूरे महीने अनुपस्थित रहे
- सूचना अधिकार से प्राप्त जानकारी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। मध्य भारत के सबसे बड़े शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेडिकल) में विभाग प्रमुखों, अधिकारियों व डॉक्टरों की उपस्थिति को लेकर कई बार सवाल उठाए गए है। बावजूद यहां के हालात बदले नहीं है। कुछ अधिकारी-डॉक्टर्स डयूटी के समय में अनुपस्थित रहते है। सरकार से पूरा वेतन लेने के बावजूद उपस्थिति के मामले में उनकी मर्जी चल रही है। सरकारी अस्पतालों की व मरीजों की समस्या हल करनेवाले पेशंट राइटस् फोरम को सूचना अधिकार कानून अंतर्गत प्राप्त जानकारी में इसका खुलासा हुआ है। नवंबर महीने में 29 अधिकारी-डॉक्टर्स पूरे महीने अनुपस्थित रहे है।
सूचना अधिकार से प्राप्त जानकारी
फोरम के अनुसार उन्होंने विभाग प्रमुख व वर्ग एक के अधिकारियों की उपस्थिति को लेकर सवाल उठाया था। सूचना अधिकार कानून के तहत उपस्थिति की जानकारी मांगी थी। प्राप्त जानकारी में कुछ विभाग प्रमुख व अधिकारी-डॉक्टर्स डयूटी समय में अनुपस्थित रहने का खुलासा हुआ है। उन पर कार्रवाई करने की मांग अधिष्ठाता डॉ. राज गजभिये से की गई है। सूचना अधिकार कानून के तहत नवंबर 2023 से 31 जनवरी 2024 तक की उपस्थिति की जानकारी मांगी गई। इसमें निम्नलिखित जानकारी सामने आयी है।
1. नवंबर 2023 में कुल 29 अधिकारी-डॉक्टर्स एक भी दिन कार्यस्थल पर उपस्थित नहीं हुए।
2. महीने में 20 दिन से अधिक कालावधि में उपस्थित रहनेवाले डॉक्टरों की संख्या केवल 3 है।
3. महीने में 15 दिन से अधिक कालावधि में अस्पताल में उपस्थित रहनेवाले डॉक्टरों की संख्या केवल 10 है।
4. 63 फीसदी अधिकारी-डॉक्टर्स महीने में केवल 5 से 10 दिन उपस्थित रहते हैं।
5. बायोकेमेस्ट्री, रेस्पिरेटरी मेडिसिन, गायनिक, ऑप्थामॉलोजी इन विभाग प्रमुखों का 3 महीने का कालावधी अनुपस्थिति का है।
बायोमिट्रिक मशीन के ब्योरे पर आधारित संख्या
फोरम के अनुसार सरकार ने 7 जुलाई 2009 को अधिसूचना जारी कर सभी सरकारी दफ्तरों में कर्मचारी व अधिकारियों की उपस्थिति बायोमीट्रिक करने का निर्देश दिया था। यह मैैन्युअली हाजरी लगना बंद करने की अधिसूचना थी। कार्यालय प्रमुखों को सुबह 9.55 को अपने कार्यालय की उपस्थिति की जांच करने को कहा गया था। जो कर्मचारी व अधिकारी नियमों का उल्लंघन करता है, उनके खिलाफ कार्यवाही के निर्देश दिये गए थे। इसके बाद सभी कार्यालयों में बायोमीट्रिक मशीनें लगाकर पंच लेकर ही उपस्थिति दर्ज की जाती है। फाेरम को मेडिकल से प्राप्त जानकारी के अनुसार यहां कुल 32 बायोमीट्रिक मशीनें हैं। इनमें से 31 मशीनें शुुरु है। सूचना अधिकार कानून अंतर्गत जो जानकारी सामने आयी है, व इन्हीं बायोमीट्रिक मशीनों के ब्योरे पर आधारित बतायी गई है।
कार्रवाई करने फोरम ने दिया पत्र
मेडिकल की ओपीडी में हर रोज औसत 2500 मरीज जांच व उपचार के लिए आते हैं। इसके अलावा भर्ती मरीज, आपात काल में आनेवाले मरीजों की संख्या अलग है। फोरम ने बताया कि विभाग प्रमुख या अधिकारी स्तर के डॉक्टरों की अनुपस्थिति के चलते मरीजों को चक्कर काटने पड़ते है। यहां आनेवाले मरीज गरीब वर्ग के होते है। पहले से ही आर्थिक रुप से कमजोर मरीजों को विभाग प्रमुखों से मिलने के लिए बार-बार खर्च करके आना पड़ता है। एक तरह से उनके साथ खिलवाड़ होता है। फाेरम ने बताया कि कुछ डॉक्टर्स अपने निजी अस्पतालों पर अधिक ध्यान व समय देते हैं। सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था बिगड़ने में यह एक प्रमुख कारण है। इन सारी समस्याओं को लेकर पेशंट राइटस् फोरम के राज खंडारे ने मेडिकल के अधिष्ठाता डॉ. राज गजभिये को पत्र दिया है। पत्र में समस्या का उल्लेख कर कामकाज को लेकर समयबद्धता व अनुशासन लाने की मांग की गई है। जो लोग बार-बार अनुपस्थित रहते है, उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए पत्र दिया गया है।