आरोप: बोखारा ग्राम पंचायत में अनियमितता नहीं- आर्थिक धांधली हुई, कुंदा राऊत का फूटा गुस्सा

  • जिप स्थायी समिति की बैठक में उपाध्यक्ष कुंदा राऊत प्रशासन पर बरसीं
  • बोखारा ग्राम पंचायत में आर्थिक धांधली का मामला

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-30 14:13 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर। महानगर से सटी बोखार ग्राम पंचायत में लाखों रुपए का भ्रष्टाचार होने के स्थायी समिति में आरोप लगने पर जांच की गई। रिपोर्ट में तत्कालीन दो ग्राम विकास अधिकारी और एक ग्रापं सचिव पर अनियमितता की मुहर लगाई गई। 30 जुलाई को हुई स्थायी समिति की बैठक में उपाध्यक्ष कुंदा राऊत ने जांच रिपोर्ट के एक-एक पहलुओं पर सवाल उपस्थित कर प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि नियमों को ताक पर रखकर आर्थिक व्यवहार हुआ है, उसे प्रशासकीय अनियमितता नहीं कहा जा सकता। वह  आर्थिक धांधली है। जिला परिषद ने उनके खिलाफ कोई भी कारवाई नहीं करने से प्रशासन पर जमकर बरसीं। जिला स्तर पर कमेटी गठित कर प्रकरण की फिर से जांच करने की मांग रखी। अध्यक्ष मुक्ता कोकड्डे ने उनकी मांग स्वीकृत कर जांच कमेटी गठित करने के प्रशासन को निर्देश दिए। उसी के साथ निकृष्ट निर्माणकार्यों का टेंडर रद्द कर नए सिरे से टेंडर निकालने के निर्देश दिए गए।

जांच में सामने आए तथ्य

बोखारा ग्राम पंचायत में 25-15 हेड पर मंजूर विकासकार्यों की निविदा प्रक्रिया में अनियमितता, मजदूरी 30 लाख रुपए बैंक से विड्रॉल कर मजदूरों को नगद भुगतान करने व सामान्य फंड 10 लाख, 52 हजार 354 रुपए कैश बुक में दर्शाए बिना खर्च करने की जांच में पुष्टि हुई है। इस प्रकरण में 2 तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी और वर्तमान प्रभारी ग्रापं सचिव पर अनियमितता के लिए दोषी ठहराया गया। जून महीने की स्थायी समिति की बैठक में तीनों को निलंबित करने का प्रस्ताव पारित किया। जिन पर अनियमितता की मुहर लगाई गई, उनमें तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी ज्ञानेश्वर नेहारे, विष्णु पोटभरे व वर्तमान प्रभारी ग्रापं सचिव सचिन पाटील के नाम शामिल हैं।

यह गलती भारी पड़ी 

बोखारा ग्राम पंचायत को वित्तीय वर्ष 2023-2024 में सीमेंट रोड, भूमिगत नाली व सुरक्षा दीवार के लिए 25-15 हेड से निधि मंजूर की गई थी। इन विकासकार्यों पर काम करने वाले मजदूरों की मजदूरी उनके बैंक खाते में जमा करना अनिवार्य है। ग्रापं के तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी ने 30 लाख रुपए बैंक से विड्रॉल कर मजदूरों को नगद भुगतान किया। बैंक खाते से रकम निकालने के लिए बैठक में प्रस्ताव तक नहीं लाया गया। नियम को दरकिनार कर नगद भुगतान करने पर अनियमितता की जांच कमेटी ने मुहर लगाई। विविध विकासकार्यों के लिए आवश्यक सामग्री खरीदी के लिए नियम के अनुसार ई-निविदा अथवा बंद लिफाफा पद्धति को दरकिनार कर ज्यादा दाम में सामग्री खरीदी की गई। बाजार मूल्य से ज्यादा दाम में खरीदी कर सरकारी निधि की बंदरबांट लगाई गई।

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