जनहित से जुड़ींसेवाएं: अग्निकांड में मिलेगी राहत, तो रेल सफर होगा सुरक्षित और समय की भी होगी बचत
- नागपुर-मुंबई रूट ऑटोमेटिक सिग्नलिंग से लैस होगा
- बजट में 49 करोड़ मिले हैं इस काम के लिए
- बंधी उम्मीद - शहर में बनेंगे और 2 नए अग्निशमन केन्द्र
डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य आपदा एवं पुनर्वसन विभाग के निर्देशों के आधार पर शहर में आपदा प्रबंधन को लेकर उपाय योजना करने पर जोर दिया जा रहा है। ऐसे में मनपा प्रशासन ने दो नए फायर स्टेशन के मास्टर प्लान को मंजूर कर लिया है। इन प्रस्तावों में पांचपावली और वाठोड़ा का समावेश है, जबकि तीसरे फायर स्टेशन को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत पूनापुर में बनाया जा रहा है। इसके साथ ही क्षेत्रीय आपदा प्रबंधन योजना को भी मूर्त रूप देने का प्रयास हो रहा है। साल 2010 में शहर में आपदा प्रबंधन के लिहाज से सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान अग्निशमन सलाह मानक समिति (स्टैडर्ड फायर एडवाइजरी कमेटी) ने शहर में अग्निशमन सेवा को बेहद अपर्याप्त होने की रिपोर्ट दी थी। समिति के मुताबिक 50 हजार से 3 लाख की आबादी पर एक अग्निशमन केन्द्र को स्थापित करना चाहिए, ताकि अग्निशमन उपाय योजना के साथ ही क्षेत्रीय आपदा प्रबंधन को लेकर भी सुरक्षा संभव हो सके। बावजूद इसके अब तक शहर में सलाह को लेकर बेहतर क्रियान्वयन नजर नहीं आ रहा है। बढ़ती आबादी के अनुपात में शहर के अनेक इलाकों में अग्निशमन और आपदा प्रबंधन की कोई सुविधा ही नहीं है। उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में जयताला, पश्चिम क्षेत्र में बोरगांव, चिंचभवन जैसे क्षेत्र दक्षिण नागपुर और शंकरनगर और राम नगर क्षेत्र में भी बुनियादी ढांचे के अनुरूप अग्निशमन केंद्रों की जरूरत है, लेकिन नए केन्द्रों को लेकर संसाधनों और निधि का अभाव बना हुआ है।
उपकरण खरीदी की प्रक्रिया जारी
बी पी चंदनखेड़े, प्रभारी अग्निशमन अधिकारी, मनपा के मुताबिक शहर में बढ़ती आबादी की बेहतर सुरक्षा के लिए अग्निशमन केन्द्रों की संख्या बढ़ाने का प्रयास हो रहा है। दो नए अग्निशमन केन्द्र के मास्टर प्लान को मंजूरी दी जा चुकी है। इसके साथ ही नए उपकरणों को भी खरीदी करने की प्रक्रिया की जा रही है।
वर्तमान में 9 केन्द्र, 3 नए प्रस्तावित-शहर में बढ़ती आबादी के अनुपात में अग्निशमन केन्द्रों की संख्या बेहद सीमित है। पश्चिम और दक्षिण नागपुर क्षेत्र के लिए मनपा मुख्यालय और त्रिमूर्तिनगर फायर स्टेशन ही मौजूद हैं। वर्तमान में करीब 28 लाख की जनसंख्या पर केवल नौ स्टेशन सिविल लाइन्स, त्रिमूर्ति नगर, लकड़गंज, कलमना, कॉटन मार्केट, सुगतनगर, सक्करदरा, गंजीपेठ, नरेन्द्रनगर मौजूद हैं, जबकि तीन नए स्थानों पर फायर स्टेशन को आरंभ करने का प्रस्ताव बनाया गया है। इसमें पूनापुर, पांचपावली और वाठोड़ा का समावेश है।
क्षेत्रीय आपदा प्रबंधन की उम्मीद- शहर के साथ ही क्षेत्रीय आपदा प्रबंधन केन्द्र के रूप में सुविधाओं को लेकर भी अभाव बना हुआ है। शहर के सीमावर्ती क्षेत्रों के साथ ही पड़ोसी जिलों को जोड़कर क्षेत्रीय आपदा प्रबंधन केन्द्र का प्रस्ताव बनाया गया है। करीब 109.96 करोड़ की निधि से गोंदिया, भंडारा, वर्धा, चंद्रपुर और गड़चिरोली को जोड़ा जाएगा। इन इलाकों में आपदा प्रबंधन के लिहाज से अग्निशमन उपकरणों, नए अग्निशमन केन्द्र स्थापना एवं हाइड्रेंट को स्थापना करने पर जोर दिया जाएगा। जिला नियोजन समिति और मनपा प्रशासन से निधि की मांग का प्रस्ताव भेजा गया है।
बजट में 49 करोड़ मिले हैं इस काम के लिए
नागपुर से मुंबई तक अब ऑटोमेटिक सिग्नलिंग होने वाली है। इससे एक ओर जहां गाड़ियों की रफ्तार बढ़ेगी, वहीं दूसरी ओर दुर्घटनाओं की आशंका कम हो जाएगी। अब तक मध्य रेलवे नागपुर मंडल में केवल नागपुर से गोधनी के बीच 5 किमी तक ही यह यंत्रणा काम कर रही है। अब नागपुर से मुंबई तक लाइन को इस प्रणाली से लैस किया जाएगा। बजट में इसके लिए 49 करोड़ रुपए की राशि दी गई है।
महत्वपूर्ण फैसला
मीलों पटरियों पर दौड़ने वाली रेलगाड़ियों को एक ही पटरी पर नहीं चलना पड़ता है। जरूरत के हिसाब से पटरियां बदली जाती है। यह काम कुछ समय पहले तक लीवर की सहायता से होता था। यानी रेल कर्मचारी लीवर खींच कर ट्रेनों का मार्ग बदलते थे। कई बार चूक भी हो जाती थी, लेकिन यह इतिहास बन चुका है। अब पैनल से काम किया जाता है, मगर यह काम भी मैनुअली ही होता है। इस कारण आशंका बनी रहती है। ओडिशा के बालासोर में गलत सिग्नलिंग से बड़ा हादसा हुआ था। सैकड़ों यात्रियों की जान गई थी। ऐसे में अब ज्यादा से ज्यादा जगह ऑटोमेटिक सिग्नलिंग प्रणाली लगाई जा रही है। व्यस्त नागपुर-मुंबई लाइन के लिए अत्याधुनिक प्रणाली महत्वपूर्ण साबित होने वाली है।
अभी ऐसा होता है काम
यदि किसी सेक्शन में गाड़ी है, तो उस सेक्शन में दूसरी गाड़ी को नहीं भेजा जा सकता है। कर्मचारियों द्वारा पैनल पर देख कर ही गाड़ियों के लिए हरा या लाल सिग्नल दिया जाता है, हालांकि यह मैनुअली होने से चूक हो सकती है।
अनहोनी की आशंका नहीं
उपरोक्त प्रणाली संगणकीकृत तरीके से काम करने वाली है। यदि किसी सेक्शन में गाड़ी खड़ी है, तो उस सेक्शन की लाइट दूसरी गाड़ी के लिए ऑटोमेटिक तरीके से लाल ही रहेगी, पटरियों पर लगे सेंसर के माध्यम से ऐसा होगा। इससे कोई भी चूक होने की आशंका न के बराबर रहेगी।