एफडीए का हाल: कैसे होगी कार्रवाई - 77 मिल्क प्रोडक्ट की सैंपल रिपोर्ट अभी तक नहीं आई

  • पनीर की नहीं हो रही सैंपलिंग
  • लैब कम और काम ज्यादा, इसलिए देरी

Bhaskar Hindi
Update: 2024-06-16 11:54 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर. अन्न व औषधि विभाग जिस तरह सैंपलिंग प्रक्रिया में सुस्त है, उससे ज्यादा सुस्त लैब रिपोर्ट देने में है। नियमानुसार किसी भी सैंपल की जांच रिपोर्ट 15 दिन के भीतर आना जरूरी है, लेकिन वर्तमान में केवल मिल्क प्रोडक्ट की बात करें, तो महीनों से 77 सैंपल की रिपोर्ट ही नहीं आई है। ऐसे में मिलावटखोरों के हौसलें बुलंद हैं। बाजार में दूधजन्य पदार्थों की भरमार है, जिसमें पनीर से लेकर मावा आदि हैं। इन पदार्थों की ज्यादा बिक्री होती है। त्योहारों में काफी बढ़ जाती है। कई मिलावटखोर मिल्क प्रोडक्ट में धड़ल्ले से मिलावट करते हैं। ऐसे में एफडीए की जिम्मेदारी है कि, वह इन पर लगाम कसे, लेकिन आंकड़े देखने पर विभाग का रवैया सुस्त दिख रहा है। गत एक साल में केवल 242 मिल्क प्रोडक्ट की सैंपलिंग की गई है। इसमें 134 प्रमाणित पाए गए हैं। 24 कम दर्जे के, 4 असुरक्षित व 3 मिथ्याछाप पाए गए हैं। 77 सैंपल की रिपोर्ट अभी लंबित है।

पनीर की नहीं हो रही सैंपलिंग

गत सालभर के आंकड़े देखें, तो मिलावटी पनीर को लेकर केवल 2 कार्रवाई विभाग के खाते में जुड़ी है, जबकी सूत्रों की मानें, तो प्रति दिन लाखों रुपए का मिलावटी पनीर बाजार में बेचा जा रहा है। दरअसल यह एनलॉग पनीर है। जिसे मिल्क पावडर व पाम तेल से बनाकर बेचा जा रहा है। यह बेचना प्रतिबंधित नहीं है, लेकिन इसे रैंप कर बेचना पड़ता है, ताकि ग्राहकों को पनीर खरीदते समय प्रोडक्ट की जानकारी रहे, लेकिन एफडीए के इसके प्रति उदासीन रवैये के कारण कई मिलावटखोर बिना रैपिंग एनलॉग पनीर को दूध पनीर के नाम से बेच रहे हैं। जिससे लोगों का स्वास्थ्य खतरे में पड़ रहा है। दूसरी ओर उनके साथ धोखाधड़ी हो रही है।

लैब कम और काम ज्यादा, इसलिए देरी

कृष्णा जयपुरकर, सह आयुक्त, अन्न व औषधि विभाग के मुताबिक मिल्क प्रोडक्ट में खामियां पाने पर 6 लोगों पर मामला दर्ज किया है। नियमित जांच होती है। लैब कम और काम ज्यादा होने से रिपोर्ट आने में थोड़ी देरी हो जाती है।


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