नागपुर: अंतर धर्मीय विवाह को लेकर हाईकोर्ट में हाई-वोल्टेज ड्रामा, बंदोबस्त के बीच माता-पिता के घर रवानगी
- युवती की मर्जी से पुलिस बंदोबस्त के बीच माता-पिता के घर रवानगी
- फिर आया नया मोड़
डिजिटल डेस्क, नागपुर. अंतर धर्मीय प्रेम विवाह को लेकर हाई कोर्ट में हाई-वोल्टेज ड्रामा हुआ। पहले युवती ने पति के साथ रहने की हामी भरी। युवती का जवाब सुनकर अदालत इस नतीजे पर पहुंची कि दोनों बालिग हैं, इसलिए वह मर्जी से साथ रह सकते हैं। यह निर्णय सुनकर युवती की माता को चक्कर आ गया और वह बेहोश हो गई। यह देख युवती का मन परिवर्तन हो गया। उसने वापस अदालत में पहुंचकर माता-पिता के साथ जाने इरादा व्यक्त किया। अंतत: अदालत ने फैसला बदलकर पुलिस सुरक्षा के साथ युवती को माता-पिता के घर पहुंचाने का आदेश दिया।
यह है पूरा मामला
यवतमाल जिले के नेर तहसील में 20 अप्रैल 2024 को युवक-युवती ने मंदिर में जाकर अंतर धर्मीय विवाह रचाया। युवती के परिजनों ने पुलिस में शिकायत दर्ज की। पुलिस ने युवती को हिरासत में लेकर जिला महिला व बाल कल्याण विभाग के सुपुर्द किया। वहां से उसे निवारा गृह में रवाना किया गया। युवक ने पत्नी को निवारा गृह से छुड़ाने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की। 26 अप्रैल को न्यायालय ने नेर पुलिस और महिला व बाल कल्याण अधिकारी को याचिकाकर्ता की पत्नी को न्यायालय में उपस्थित करने के आदेश दिए। मंगलवार को न्यायमूर्ति विनय जोशी और न्यायमूर्ति वृषाली जोशी के समक्ष प्रकरण की सुनवाई हुई।
फिर आया नया मोड़
न्यायालय ने प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए पहले अपने कक्ष में युवती का पक्ष पूछा। युवती ने पति के साथ रहने की हामी भरी। फिर से भरी अदालत में पूछने पर भी वह अपनी बात पर अड़ी रही। युवक-युवती बालिग हैं, उसे देखते हुए युवती की इच्छा अनुसार अदालत ने पति के साथ रहने की रजामंदी दी। अदालत का निर्णय सुनकर युवती की माता को झटका लगा। वह चक्कर आकर बेहोश हो गई। माता को सदमा लगा देख युवती का मन पसीज गया। पौन घंटे बाद युवती वापस अदालत में पहुंची और माता-पिता के साथ रहने की इच्छा व्यक्त की। यह सुनकर अदालत भी कुछ समय के लिए सोचने पर मजबूर हो गई। आखिरकार अदालत ने फैसला बदलकर युवती को पुलिस संरक्षण में माता-पिता के घर पहुंचाने का आदेश दिया। याचिकाकर्ता की ओर से एड. अब्दुल सुभान, युवती के पालक की ओर से एड. अक्षय जोशी और सरकार की ओर से एड. तृप्ति उदेशी ने पक्ष रखा।