नागपुर: हाईकोर्ट ने कहा - विधवा बहू को नौकरी से वंचित नहीं किया जा सकता

  • आरआर पॉलिसी में कोई प्रावधान नहीं
  • डब्ल्यूसीएल को आवेदन पर दो माह के भीतर निर्णय लेने का आदेश
  • वंचित करना गैरकानूनी

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-08 13:52 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर. बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने विधवा बहू को नौकरी से वंचित नहीं किया जा सकता ऐसा महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। कोर्ट ने वेस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड (डब्ल्यूसीएल) को यााचिकाकर्ता विधवा बहू के आवेदन पर दो माह के भीतर निर्णय लेने का आदेश दिया है।

वंचित करना गैरकानूनी

डब्ल्यूसीएल ने राजुरा तहसील के आनंदराव बेसुरवार की विधवा बहू को नौकरी देने से इनकार कर दिया था। विशेष बात यह है कि खुद खेत (जमीन) मालिक द्वारा सहमति देने के बाद भी विधवा बहू को नौकरी से वंचित रखा गया। इस फैसले के विरोध में आनंदराव बेसुरवार की पत्नी और विधवा बहू ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका के अनुसार डब्ल्यूसीएल में कृषि भूमि जाने से आरआर पॉलिसी के अनुसार बेसुरवार का लड़का नौकरी के लिए योग्य था, लेकिन उसकी मृत्यु हो गई और बेसुरवार के पास नौकरी के लिए अन्य काेई पात्र वारिस नहीं है, इसलिए विधवा बहू को नौकरी देनी चाहिए, क्योंकि वह अपने सास-ससुर की देखभाल कर रही है।

ऐसी बहू को नौकरी से वंचित करना गैरकानूनी और उसके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन होगा, ऐसा दावा याचिका में किया गया। मामले पर न्या. विनय जोशी और न्या. एम. एस. जवलकर के समक्ष हुई सुनवाई में कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद उक्त आदेश जारी करते हुए याचिका का निपटारा कर दिया। याचिकाकर्ता की ओर से एड. अनिल ढवस और डब्ल्यूसीएल की ओर से एड. सी. एस. समुद्रा ने पैरवी की।

आरआर पॉलिसी में कोई प्रावधान नहीं

याचिकाकर्ता के दावे के अनुसार डब्ल्यूसीएल में कृषि भूमि के जाने के बाद आरआर पॉलिसी के अनुसार भूमिधारक के परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का प्रावधान है। इसमें परिवार के सदस्यों के रूप में बेटा, बेटी आदि शामिल हैं, लेकिन बहू या विधवा बहू को नौकरी देने का कोई प्रावधान नहीं है। कई भूमिधारकों के पास बेटा नहीं है या बेटे की मृत्यु के बाद बहू अपने सास-ससुर की देखभाल करती है, लेकिन उस बहू के लिए नौकरी का कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए याचिकाकर्ता ने इसको चुनौती दी थी।

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