फैसला: गोद देने का मामला: दंपति को हाई कोर्ट से नहीं मिली राहत

दत्तक बेटे को पाने के लिए दायर की थी याचिका

Bhaskar Hindi
Update: 2023-11-11 13:08 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अपने ही रिश्तेदार को दत्तक दिए तीन साल के बेटे को पाने के लिए उसके माता-पिता ने बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर खंडपीठ में हैबियस कॉर्पस की याचिका दायर की थी। मामले पर हुई सुनवाई में न्या. विनय जोशी और न्या. महेंद्र चांदवानी ने सभी का पक्ष सुनते हुए याचिकाकर्ता मां-बाप को राहत देने से इनकार किया। कानून के अनुसार बेटे को पाने के लिए मां-बाप ने अन्य उपायों का सहारा लेने के निरीक्षण देते हुए अदालत ने याचिका का निपटारा कर दिया।

शर्तों का उल्लंघन

नागपुर निवासी याचिकाकर्ता दंपति की 2 फरवरी 2012 को शादी हुई थी। 2 अक्टूबर 2020 को दंपति को एक साथ तीन बच्चे हुए। इस महिला के बहन और बहनोई को एक भी बच्चा नहीं था, इसलिए उन्हाेंने दंपति से एक बच्चा दत्तक देने की मांग की। बच्चे के मूल मां-बाप हम ही रहेंगे, बच्चे से हमें मिलने देना होगा, बच्चे के जन्मदिन और त्योहार के मौके पर उसे घर ले जा सकेंगे आदि शर्तों पर यह दंपति बच्चा दत्तक देने के लिए राजी हो गया। 500 रुपए के स्टॉम्प पर एग्रीमेंट भी हुआ, लेकिन 2 अक्टूबर 2023 को बच्चे के जन्मदिन पर बच्चे को मां-बाप से मिलने नहीं दिया गया। ऐसे में दत्तक दिए बेटे  की मांग करते हुए मां-बाप ने यह याचिका दायर की थी। मामले पर हुई सुनवाई में कोर्ट ने सभी का पक्ष सुनते हुए मां-बाप को राहत देने से इनकार किया है। याचिकाकर्ता की ओर से एड. शिल्पा गिरटकर, बहन और बहनोई की ओर से एड. एम. शरीत और एड. आदिल मिर्जा, राज्य सरकार की ओर से एड. हैदर ने पैरवी की।

यह हैबियस कॉर्पस का मामला नहीं

महिला ने दत्तक दिया हुआ बेटा उसकी बहन और बहनोई के पास पिछले तीन साल से रहता है। वह बच्चा स्कूल भी जाता है। ऐसी परिस्थिति में यह नहीं कहा जा सकता कि उन्होंने गैरकानूनी तरीके से बच्चे को लिया है, इसलिए यह हैबियस कॉर्पस का मामला नहीं हो सकता। ऐसा भी हाई कोर्ट ने अपने निरीक्षण में कहा।

फैमिली कोर्ट में याचिका लंबित

बच्चे से मिलने से इनकार करने की वहज से मां की ममता जागी और उसने बहन और बहनोई के खिलाफ सक्करदरा पुलिस थाने में शिकायत दर्ज की, लेकिन पारिवारिक मामला होने के कारण पुलिस ने अागे कोई कार्रवाई नहीं की। बाद में मां-बाप ने बच्चे के लिए सत्र न्यायालय में याचिका दायर की। अदालत ने मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी। दूसरी ओर बहन और बहनोई ने भी फैमिली कोर्ट में कानूनी पालक घोषित करने के लिए याचिका दायर की है, जो प्रलंबित है।

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