नागपुर: जीत की हैट्रिक रामटेक में गढ़ का सवाल, हॉट सीट बने हैं दोनों क्षेत्र

  • रामटेक में दो दशक से शिवसेना

Bhaskar Hindi
Update: 2024-06-03 11:28 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर. लोकसभा चुनाव के परिणाम मंगलवार को आएंगे। कई तर्कों, सर्वे व एक्जिट पोल की चर्चाओं के बीच जिले में दो सवाल अहम बने हैं। पहला, नागपुर में भाजपा कितनी आसानी से जीत की हैट्रिक बना पाएगी, दूसरा सवाल यह कि रामटेक में गढ़ जीतने के संघर्ष में कौन सफल होगा, कांग्रेस या शिवसेना? खास बात है कि इस बार भाजपा व कांग्रेस गठबंधन में सीधा मुकाबला हुआ है। मत विभाजन की संभावनाएं कम हैं। ऐसे में मतों को लेकर किसका गणित बिगड़ेगा‌? विविध चुनाैतियों को लेकर सभी राजनीतिक दावेदारों की धड़कनें बढ़ गई हैं। खास बात यह भी है कि नागपुर व रामटेक क्षेत्र इस चुनाव में हॉट सीट बना हुआ है। यहां तक दावे किए गए हैं कि पहले चरण के चुनाव के लिए 19 अप्रैल को इन क्षेत्रों के लिए हुए मतदान के बाद ऐसे कुछ संकेत मिले कि राजनीतिक दलों को चुनावी रणनीति बदलनी पड़ी। मुद्दे व सभाओं का नियोजन भी बदल गया।

भाजपा की हैट्रिक?

नागपुर में आरंभ से ही दावा किया जा रहा है कि भाजपा उम्मीदवार नितीन गडकरी जीत की हैट्रिक बनाएंगे। इससे पहले कांग्रेस के विलास मुत्तेमवार ने जीत की हैट्रिक बनाई थी। इस बार कांग्रेस ने विधायक विकास ठाकरे को उम्मीदवार बनाकर जीत का दावा किया है। अब अहम सवाल यही है कि कांग्रेस भाजपा को जीत की हैट्रिक का रिकार्ड तोड़ने देगी या नहीं? सभी जानते हैं कि नागपुर में पहले कांग्रेस का काफी प्रभाव था। स्वयं नितीन गडकरी भाषणों में कहते रहे हैं कि भाजपा के पास उम्मीदवारी के लिए कार्यकर्ता भी नहीं थे, लेकिन अब स्थिति बदली है। भाजपा काफी मजबूत स्थिति में है। ऐसे में चुनौती यही रहेगी कि कांग्रेस, भाजपा को किस स्तर की चुनौती दे पाएगी।

गढ़ का संघर्ष

रामटेक को जीत के मामले में कभी कांग्रेस का गढ़ कहा जाता था। अब शिवसेना का गढ़ बन चला है। ऐसे में इस बार का चुनाव इन दलों के लिए गढ़ के संघर्ष समान है। यह क्षेत्र चुनाव के पहले से ही चर्चा में रहा। भाजपा ने उम्मीदवार उतारने की तैयारी की थी, लेकिन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे नहीं माने। भाजपा की ओर कदम बढ़ा चुके कांग्रेस के विधायक राजू पारवे को शिंदे की शिवसेना में प्रवेश दिलाया गया। भाजपा गठबंधन का उम्मीदवार बनाया गया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले इस क्षेत्र में विशेष ध्यान देते रहे। कांग्रेस में उम्मीदवारी को लेकर पहले अपनों से संघर्ष हुआ बाद में प्रशासन से। कांग्रेस ने रश्मि बर्वे की नामांकन रैली निकाली थी। लेकिन रश्मि की उम्मीदवारी रद्द हो गई। उनके पति श्याम बर्वे को उम्मीदवार बनाया गया।

ऐसा रहा है परिणाम : 1952 में नागपुर लोकसभा क्षेत्र का गठन हुआ। कांग्रेस की अनुसया काले पहली लोकसभा सदस्य चुनी गई थी। 1957 में भी उन्होंने जीत कायम रखी। जांबुवंतराव धोटे इस क्षेत्र से दो बार लोकसभा सदस्य रहे हैं। 1971 व 1980 में। बनवारीलाल पुरोहित 3 बार चुने गए, लेकिन जीत की हैट्रिक नहीं बना पाए थे। 1984 व 1989 में कांग्रेस व 1996 में भाजपा की टिकट पर उन्होंने चुनाव जीता था। नागपुर में 4 बार लोकसभा चुनाव जीते कांग्रेस नेता विलास मुत्तेमवार ने हैट्रिक बनाई थी। 1998, 1999, 2004 व 2009 में उन्होंने चुनाव जीता। 2014 व 2019 में जीते गडकरी इस बार जीतेंगे तो उनकी जीत की हैट्रिक होगी।

रामटेक में दो दशक से शिवसेना : चुनाव में जीत के विविध दावों के बाद अब सवाल किया जा रहा है कि आखिर यह गढ़ किसका होगा? दरअसल 1957 में अस्तित्व में आए इस लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस 12 बार जीती है। पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव रामटेक से दो बार लोकसभा सदस्य रहे हैं। 1974 में निर्दलीय राम हेडाऊ की जीत को छोड़ दिया जाए तो 1998 तक रामटेक जीत के मामले में कांग्रेस का गढ़ रहा। 1999 में शिवसेना के सुबोध मोहिते जीते। केंद्र में मंत्री बने। 2004 में भी वे जीते थे। स्थिति यह बनी कि रामटेक को शिवसेना का गढ़ मानते हुए बाल ठाकरे रामटेक तक पहुंचे थे। नारायण राणे की बगावत के बाद सुबोध मोहिते राणे के साथ कांग्रेस में चले गए थे। तब उपचुनाव हुआ। उसमें भी शिवसेना के प्रकाश जाधव जीते। 2009 में कांग्रेस के मुकुल वासनिक की जीत को छोड़ दिया जाए ताे दो दशक से रामटेक लोकसभा शिवसेना का गढ़ बना है।


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