हाईकार्ट: सरकार को कुलगुरू के खिलाफ कानून बनाने के अधिकार, चौधरी की याचिका खारिज करने की मांग

  • हाईकार्ट में शपथपत्र दायर करते हुए रखी भूमिका
  • डॉ. सुभाष चौधरी की याचिका खारिज करने की मांग
  • उच्च तकनीकी शिक्षा विभाग के जारी कारण बताओ नोटिस को चुनौती

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-15 15:01 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर. बॉम्बे हाईकोर्ट के नागपुर खंडपीठ में राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के निलंबित कुलगुरू डॉ. सुभाष चौधरी ने दोबारा जांच को लेकर राज्यपाल के जारी कारण बताओ नोटिस को चुनौती दी है। इस मामले पर सोमवार को न्या. विभा कंकणवाडी और न्या. वृषाली जोशी के समक्ष हुई सुनवाई में राज्य सरकार ने शपथपत्र दायर करते हुए कहा कि द यूनिफॉर्म स्टैचूट (एक समान कानून) के अधिनियम के तहत सरकार की शक्ति केवल विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और मान्यता प्राप्त संस्थानों के शिक्षकों, अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के संबंध में कानून बनाने तक ही सिमित नहीं है। अधिनियम की धारा 10 के अनुसार, कुलगुरू भी एक अधिकारी है और कुलगुरू के खिलाफ कानून बनाने का सरकार को अधिकार है। इस कारण याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का ऐसा कोई मामला नहीं बनता है। इसलिए डॉ. चौधरी की याचिका खारिज करने की मांग राज्य सरकार ने कि है।

बता दे कि, हाई कोर्ट ने डॉ. सुभाष चौधरी की याचिका मंजूर करते हुए राज्यपाल द्वारा दिया गया निलंबन का फैसला रद्द किया था। इसके चलते 11 अप्रैल को डॉ. चौधरी ने नागपुर विश्वविद्यालय के कुलगुरू का फिर से कार्यभार संभाला। लेकिन कार्यभार संभालते ही उच्च तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा डॉ. चौधरी पर जांच बैठायी गई। विभाग के उप सचिव अशोक मांडे समिति द्वारा यह जांच पूरी की गई। जैसे ही उच्च तकनीकी शिक्षा विभाग को रिपोर्ट सौंपी गई वैसे ही पत्र भेजते हुए डॉ. सुभाष चौधरी से कमेटी की रिपोर्ट पर जवाब मांगा गया। शिक्षा विभाग के इस कारण बताओ नोटिस के खिलाफ डॉ. चौधरी ने कोर्ट में याचिका दायर करते हुए अंतरिम स्थगन की मांग की थी। साथ ही समान कानून को भी चुनौती दी है। इस मामले में कोर्ट ने यूनिवर्सिटी के चान्सलर तथा राज्यपाल रमेश बैस को नोटिस जारी करते हुए जवाब दायर करने के आदेश दिए थे। साथ ही कोर्ट ने डॉ. चौधरी की जांच पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार किया था। इसीके चलते सोमवार को हुई सुनवाई में राज्य सरकार ने शपपथत्र दायर करते हुए याचिका खारिज करने की मांग की है। डॉ. चौधरी की ओर से एड. फिरदौस मिर्झा और राज्य सरकार की ओर से मुख्य सरकारी वकिल देवेन चौहान ने पैरवी की।

इसलिए डॉ. चौधरी दूसरी बार निलंबित

नागपुर खंडपीठ ने डॉ. चौधरी की जांच पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार करने के बाद राज्यपाल रमेश बैस ने डॉ. चौधरी को उनका बयान सुनने के लिए राज्यपाल कार्यालय में बुलाया था। इसके चलते डॉ. चौधरी ने अपना लिखित जवाब पेश कर दो दिन का मेडिकल अवकाश मांगा। लेकिन डॉ. चौधरी द्वारा दिए गए लिखित जवाब से संतुष्टी नहीं होने से राज्यपाल ने डाॅ. चौधरी को दूसरी बार निलंबित किया था। डॉ. सुभाष चौधरी के खिलाफ कई शिकायतों पर राज्यपाल ने जांच कमेटी गठित की थी। इसी कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर राज्यपाल ने यह कार्रवाई की।

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