सख्त चेतावनी: सड़क हादसों को लेकर गडकरी बोले - जिम्मेदार अधिकारियों पर गैर जमानती केस दर्ज कराएंगे

  • फुटपाथ खाली कराने के निर्देश, अतिक्रमण हटाने सख्त हो कार्रवाई
  • जिले में साल भर में औसतन 1000 लोगों की होती है हादसों में मौत
  • पीड़ितों को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए एंबुलेंस ही नहीं चिकित्सकों का दल रखे तैयार

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-28 13:50 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिले में सड़क हादसों को रोकने की उपाययोजनाआें पर चर्चा करते हुए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितीन गडकरी ने कहा है कि हादसों के लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय की जाएगी। जिम्मेदार अधिकारियों पर गैर जमानती केस दर्ज कराए जाएंगे। उन्होंने कहा है कि हादसों पर नियंत्रण की सामूहिक जिम्मेदारी है। नियमों का कड़ाई से पालन आवश्यक है। नियमों के आड़े आनेवालों को भी नहीं बख्शा जाए। जिले में औसतन 1000 लोगों की सड़क हादसों में सालाना मौत हो रही है। इनमें 20 से 34 वर्ष तक के युवाओं की संख्या अधिक हैं। उनमें भी इंजीनियरिंग, मेडिकल सहित अन्य उच्च शिक्षा से जुड़े युवा शामिल है। हादसे में पीड़ितों को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए एंबुलेंस ही नहीं चिकित्सकों का दल तैयार रखना होगा। रविवार को रविभवन सभागृह में नागपुर जीरो फैटलिटी डिस्ट्रिक रिव्यूह व जिला सड़क सुरक्षा समिति की बैठक आयोजित की गई। इसी बैठक में जिले में सड़क हादसों की स्थिति की समीक्षा कर गडकरी ने अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। जिला सड़क सुरक्षा समिति के अध्यक्ष जिलाधिकारी विपीन इटनकर, पुलिस आयुक्त रवींद्र सिंगल, मनपा आयुक्त अभिजीत चौधरी, पुलिस अधीक्षक हर्ष पोद्दार सहित विविध विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।

दोपहर में अधिक हादसे

अधिकतर हादसे दाेपहर में हो रहे हैं। स्वयंसेवी संस्था सेव लाइफ के प्रवीण तिवारी ने शहर व ग्रामीण क्षेत्र में सड़क हादसों की जानकारी दी। उन्होंने हादसों के प्रकार, कारण, अव्यवस्था, उपाययोजना के बारे में भी जानकारी दी। बताया गया कि ग्रामीण क्षेत्र में पिछले साल 440 लोगों की सड़क हादसे में मौत हुई थी। इस वर्ष 4 प्रतिशत कमी हुई है। शहर में 308 लोगों की मृत्यु हुई है। शहर में दुर्घटना मामले में 57 संवेदनशील स्थल चिन्हित किए गए हैं। दोपहिया वाहनोेें से अधिक हादसे हो रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र में उपचार की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। हादसोें के बाद पीड़ितों को मेयो या मेडिकल अस्पताल लाया जाता है। इस बीच पीड़ित की मौत हो जाती है।

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