हाईकोर्ट: उपराजधानी में पेड़ों को कंक्रीट मुक्त करें, पर्यावरण विशेषज्ञों की याचिका पर सरकार-मनपा को नोटिस
- हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और मनपा प्रशासन को नोटिस जारी किया
- उपराजधानी में पेड़ों को कंक्रीट मुक्त करें
डिजिटल डेस्क, नागपुर. शहर में पेड़ों के आधार को सीमेंट से ढंकना और चारों ओर कंक्रीट से पेड़ों का अतित्व ही खतरे में आया है। इसलिए शहर के पेड़ों को कंक्रीट मुक्त करने की मांग करते हुए पर्यावरण विशेषज्ञों ने बॉम्बे हाईकोर्ट के खंडपीठ में जनहित याचिका दायर की है। इस मामले में याचिकाकर्ता का पक्ष सुनने के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार, मनपा प्रशासन सहित अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए 11 सितंबर तक जवाब दायर करने के आदेश दिए हैं।
नागपुर खंडपीठ में शरद पाटील और अन्य तीन पर्यावरण विशेषज्ञों ने यह जनहित याचिका दायर की है। याचिका के अनुसार, शहर में इमारतों, टाउनशिप, सड़कों और अन्य क्षेत्रों में हो रहे निर्माण कार्यों के कारण इस महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन की अनदेखी की जा रही है और अक्सर विकास के नाम पर पेड़ों को काटा जा रहा है। जिन पेड़ों को विकास गतिविधियों में शामिल कर काटा नहीं गया ऐसे पेड़ों को सीमेंट और कंक्रीट में दबा दिया जा रहा है, जिससे उनका अस्तित्व पूरी तरह खत्म हो रहा है। इससे पेड़ों की वृद्धि और विकास रुक गया है।
पेड़ का आधार सीमेंट कंक्रीट से ढका होने से पेड़ का दम घुट जाता है। शहर में रस्ते और अन्य विकास कार्यों के दौरान यह सुनिश्चित करना है कि पेड़ों के चारों ओर 1.20 मीटर वर्ग क्षेत्र छोड़ा जाए। लेकिन सीमेंट कंक्रीट सड़कों और सड़कों की तारबंदी या ब्लॉक लगाने के संबंध में किए जा रहे सभी कार्यों के दौरान पेड़ों को चारो ओर से कंक्रीट करने पेड़ों की जड़ें जम गई हैं। इसलिए शहर के पेड़ों को बचाने और उन्हे कंक्रीट मुक्त करने के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की गई है।
इस जनहित याचिका पर न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष हुई सुनवाई में कोर्ट ने उक्त आदेश जारी किए। याचिकाकर्ताओं की ओर से एड. राधिका बजाज और राज्य सरकार की ओर से एड. एन. एस. राव ने पैरवी की।
वृक्ष गणना करने की भी मांग
कानून के तहत अनिवार्य वृक्ष गणना के नियमित संचालन का प्रावधान किया गया है। इसलिए याचिकाकर्ताओं ने शहर के वृक्ष गणना की मांग की है। साथ याचिका में इसरो के क्षेत्रीय रिमोट सेंसिंग केंद्र की जानकारी का आधार लेते हुए कहा गया है कि, नागपुर, जो कभी भारत के सबसे हरे-भरे शहरों में से एक था, लेकिन 1999 से 2018 के बीच बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के कारण शहर ने अपने हरित क्षेत्र का 40 वर्ग किमी से अधिक हिस्सा खो दिया है।