कोर्ट-कचहरी: एनडीसीसी बैंक घोटाले में लिप्त पूर्व मंत्री सुनील केदार जेल से छूटे, स्वागत में उमड़े समर्थक
- केदार ने भी खुली जीप पर विजयी मुद्रा में कार्यकर्ताओं का आभार माना
- टाइगर इज बैक, एक ही किंग जैसे नारे लगाए
- पहले जमानत अर्जी हो गई थी नामंजूर
Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-11 04:49 GMT
डिजिटल डेस्क, नागपुर। एनडीसीसी बैंक घोटाले में लिप्त पूर्व मंत्री सुनील केदार जमानत पर छूटे। जेल से निकलने के पहले ही उनके समर्थकों की भीड़ उमड़ आई थी। बकायदा स्वागत रैली निकाली गई। केदार ने भी खुली जीप पर विजयी मुद्रा में कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त किया। टाइगर इज बैक, एक ही किंग जैसे नारे लगाए गए। जिला व सत्र न्यायालय ने दी सजा के बाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केदार को जमानत दी। कागजी कार्यवाही के बाद केदार जमानत पर जेल से बाहर आए।
समर्थकों ने पटाखे फोड़े : एनडीसीसी बैंक घोटाला प्रकरण में केदार को दोषी ठहराते हुए 5 वर्ष की सजा सुनाई गई है। उसके बाद से केदार न्यायालय में विविध अर्जी लगा रहे हैं। 30 दिसंबर 2023 को सत्र न्यायालय ने उनकी अर्जी अस्वीकृत की। तब 2 जनवरी को उन्होंने उच्च न्यायालय में जमानत व सजा को खारिज करने की अर्जी दी। राज्य सरकार के उत्तर के बाद न्यायालय ने केदार की दोनों अर्जी 1 लाख रुपए के मुचलके पर स्वीकृत की। प्रत्येक माह 1 तारीख को सत्र न्यायालय में हाजिर रहने की शर्त रखी। जेल से छूटने पर समर्थकों ने केदार के समर्थन मेें रैली निकाली। पटाखे फोड़े गए। जिला परिषद अध्यक्ष रश्मि बर्वे, उपाध्यक्ष कुंदा राऊत, सदस्य अवंतिका लेकुरवाले सहित कई प्रमख पदाधिकारी रैली में शामिल थे। संविधान चौक पर बाबासाहब आंबेडकर की प्रतिमा पर केदार ने माल्यार्पण किया। इस दौरान राकांपा शरद पवार गुट के सलिल देशमुख, दुनेश्वर पेठे, शैलेंद्र तिवारी सहित अन्य पदाधिकारी भी थे। यह भी चर्चा है कि कुछ भाजपा नेताओं के घर के सामने केदार समर्थकों ने पटाखे फोड़े।
इन धाराओं के तहत दोषी ठहराया गए थे केदार : पांच बार विधायक रहे केदार को भारतीय दंड संहिता की धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात), 409 (लोक सेवक द्वारा आपराधिक विश्वासघात), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 471 (जो कोई भी धोखाधड़ी या बेईमानी से किसी भी दस्तावेज को वास्तविक के रूप में इस्तेमाल करता है, जिसे वह जानता है), 120 (बी) (आपराधिक साजिश) और 34 (सामान्य इरादा) के तहत दोषी ठहराया गया है। छह दोषियों पर 10-10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था।
क्या था पूरा मामला : अभियोजन पक्ष के मुताबिक, एनडीसीसीबी को 2002 में सरकारी प्रतिभूतियों में 125 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था, क्योंकि होम ट्रेड प्राइवेट लिमिटेड के जरिए धन का निवेश करते समय नियमों का उल्लंघन किया गया था। केदार तब बैंक के चेयरमैन थे।