विदेशी पंछी: जनवरी में नजर नहीं आ रहे विदेशी पंछी, पक्षी मित्रों को करना पड़ रहा इंतजार
- नवंबर में आ जाते हैं हर साल
- अतिक्रमण और मौसम बदलाव है बड़े कारण
- जनवरी के आखिर तक इन पक्षियों के पहुंचने की उम्मीद
डिजिटल डेस्क, नागपुर। अक्सर नवंबर में बड़ी संख्या में आने वाले विदेशी पक्षी इस बार जनवरी की शुरुआत होने के बाद भी पर्याप्त संख्या में नहीं पहुंचे हैं, जिसके कारण पक्षी मित्र विदेशी पक्षियों का इंतजार कर रहे हैं। जानकारों की माने तो किनारों पर अतिक्रमण से लेकर मौसम में लगातार होने वाले बदलाव के कारण विदेशी पक्षी पहले की तरह नहीं आए हैं। जनवरी के आखिर तक इन पक्षियों के पहुंचने की उम्मीद है।
ठंड की शुरुआत होते ही नागपुर के तालाब विदेशी पक्षियों को आकर्षित करते हैं, जिसमें रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, लेसर विस्टलिंग डग, बार हेडेड गीज, रुडी शेलडक, ग्रेलेग गीस, नॉरदन पीन्टल, टफडेड डक, कॉमन पोचार्ड, गार्गनेय, युराशियन विजन, गाडवाल, नॉरदन शॉवेलर जैसे विदेशी पक्षी नागपुर के तलाबों पर बड़ी संख्या में नजर आते हैं, लेकिन इन दिनों नागपुर के विभिन्न तालाबों पर इन्हें केवल नाममात्र ही देखा जा रहा है।
यह पक्षी हर साल चारे की तलाश में ठंड के मौसम में नागपुर के दुधा, अंबाझरी, गोरेवाड़ा आदि तालाबों पर बड़ी संख्या में आते हैं। यहां पर फरवरी माह के दूसरे सप्ताह तक रहते हैं और वापस चले जाते हैं, लेकिन इस बार मौसम में हुए बदलाव के कारण विदेशी पक्षी बड़ी संख्या में पहुंचे ही नहीं है, जिससे पक्षी मित्रों के हाथ मायूसी लग रही है।
कहां से और कैसे आते हैं : सभी प्रजाति के विदेशी पक्षी साइबेरिया, मंगोलिया, रशिया आदि जगह से लगभग साढ़े चार हजार किलोमीटर का सफर तय कर नागपुर परिसर में पहुंचते है। इसका मुख्य कारण चारा है। दरअसल अक्टूबर के बाद पक्षी जिन क्षेत्रों में रहते हैं, वहां बहुत ज्यादा बर्फ गिरता है जिससे बर्फ की चादर बन जाती है। इसके कारण पक्षियों को चारा न के बराबर मिलता है। इसलिए वह मिलों का सफर तय कर नागपुर आते हैं। शहर के अंबाझरी, गोरेवाड़ा, सायकी, पारडगांव, उंदरी तालाब आदि जगहों पर विदेशी पक्षियों को देखा जाता है।
माह के आखिर तक आने की संभावना : लगातार मौसम में होने वाले बदलाव सहित विभिन्न कारणों से इस बार विदेशी पक्षियों की तालाबों पर दस्तक कम है, लेकिन उम्मीद है कि जनवरी माह के आखिर तक पर्याप्त मात्रा में नागपुर के तालाबों पर पहुंच जाएंगे। -अविनाश लोंढे, पक्षी विशेषज्ञ व मानद वन्यजीव रक्षक नागपुर