आरोप: सुरजागढ़ खदान को लेकर विवाद , हाई कोर्ट में दूसरी बार जनहित याचिका दायर

  • विदर्भ के बाहर लौह बेचने का दावा
  • केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी
  • लॉयड्स कंपनी पर समझौते का उल्लंघन करने का आरोप

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-10 10:44 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बाॅम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में गड़चिरोली जिले की एटापल्ली तहसील की विवादित सुरजागढ़ लौह खदान के विरोध में दूसरी बार जनहित याचिका दायर कर विदर्भ के बाहर लौह बेचने का दावा किया गया है। मामले में न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष हुई सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र एवं राज्य सरकार सहित अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए 14 मार्च तक जवाब दायर करने का आदेश दिया है। नागपुर खंडपीठ में प्रकृति फाउंडेशन ने यह जनहित याचिका दायर की है।

यह है मामला : याचिका के अनुसार 2007 में लॉयड्स मेटल एंड एनर्जी कंपनी को इस खदान के लिए सुरजागढ़ में 348.09 हेक्टर जमीन 50 साल के लीज पर दी गई। एमओयू के मुताबिक लॉयड्स कंपनी को इस खदान से उतना ही लौह निकालना है, जितनी उसे जरूरत है। साथ ही क्षमता से ज्यादा लौह निकाले जाने पर उसे विदर्भ के उद्योगों को उचित मूल्य पर बेचना अनिवार्य है, लेकिन प्रकृति फाउंडेशन ने दावा किया है कि, लॉयड्स कंपनी समझौते का उल्लंघन कर रही है और विदर्भ के बाहर लौह बेच रही है। इसके चलते फाउंडेशन ने दूसरी बार हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता की ओर से एड. महेश धात्रक, केंद्र सरकार की ओर से एड. नंदेश देशपांडे और राज्य सरकार की ओर से एड. ए.एस. फुलझेले ने पैरवी की।

इसलिए दोबारा की याचिका : प्रकृति फाउंडेशन ने इस संबंध में पहली बार संबंधित विभागों को निवेदन सौंपे बिना सीधे हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, इसलिए 18 जनवरी 2023 को कोर्ट ने फाउंडेशन को पहले संबंधित विभागों को निवेदन देने का निर्देश देते हुए कहा था कि, फाउंडेशन के निवेदन देने के बाद संबंधित विभाग उस पर कानून के मुताबिक फैसला लें। साथ ही याचिका का निपटारा कर दिया गया। इसके अलावा फाउंडेशन के निवेदन को नजरअंदाज करने पर फिर अदालत में अपील करने की अनुमति दी थी, लेकिन फाउंडेशन के निवेदन पर कोई भी फैसला नहीं लिया गया, इसलिए दोबारा जनहित याचिका दायर की गई है।

निवेदन पर फैसला नहीं लेने पर फटकार : कोर्ट के ओदश के अनुसार 3 फवरी 2023 को प्रकृति फाउंडेशन ने संबंधित विभाग को निवेदन सौंपा था, लेकिन निवेदन पर कोई फैसला नहीं लिया गया, इसलिए कोर्ट ने प्रतिवादीयों को फटकार लगाते हुए नोटिस जारी किया।

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