नागपुर: पेंच के मगरमच्छ क्षेत्र में मछुआरों को प्रवेश नहीं, नहीं फेकने देंगे जाल

  • 52 मगरमच्छों का अधिवास
  • अनुकूल माहौल बनाया जाएगा
  • मानवी हस्तक्षेप को कम किया जाएगा
  • पहली बार में 30 और दूसरी बार में 52 मगरमच्छों की उपस्थिति

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-11 10:52 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर. पेंच में 52 मगरमच्छों का अस्तित्व सामने आने के बाद इनके संवर्धन के लिए मछुआरे को यहां से दरकिनार किया गया है। कई बार मछली पकड़ने की जाल में फंस जाने से उनकी मौत हो जाती है। बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए वन विभाग की ओर से कई योजनाएं चलाई जाती हैं। करोड़ों रुपए खर्च भी किए जाते हैं, लेकिन तुलनात्मक रूप से मगमच्छों के लिए नागपुर जिले में कोई खास नीति नहीं है। अब वन विभाग इनके लिए अलग से काम कर रहा है। हाल ही में पहली पेंच में मगरमच्छ गणना उपक्रम चलाया गया था।

पहली बार में 30 और दूसरी बार में 52 मगरमच्छों की उपस्थिति देखी गई। वन विभाग की मानें तो इनकी संख्या और भी ज्यादा हो सकती है, लेकिन इन मगरमच्छों की जहां उपस्थिति है, वहां मछलीमार व विभिन्न कारणों के लिए मानवी हस्तक्षेप ज्यादा हो रहा है। इस कारण मगरमच्छ का कुनबा तेजी से नहीं बढ़ने में दिक्कत हो सकती है।

इनका कुनबा तेजी से बढ़ाने के लिए वन विभाग ने एक नीति तैयार की है। नीति के अनुसार, मगरमच्छों की उपस्थिति वाले स्थानों पर मानवी हस्तक्षेप को कम किया जा रहा है। इसी कारण मछली मारने वालों को इस क्षेत्र में मछली पकड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इनके लिए वन विभाग रोजगार उपलब्ध कराएगा। 

अनुकूल माहौल बनाया जाएगा

मगरमच्छ को सांस लेने के लिए बार-बार पानी के उपर आना पड़ता है। इस क्रम में वे मछुआरों की जाल में फंस जाते हैं। पानी से बाहर सांस लेने में तकलीफ से वे मर जाते हैं। आए दिन इस तरह के मामले देखे जा रहे हैं।

इसी तरह बार-बार मानवी हस्तक्षेप के कारण इनकी प्रजनन प्रक्रिया पर भी फर्क पड़ता है। ऐसे में मगरमच्छों के रहने लायक अनुकूल माहौल बनाया जाएगा। उनके खान-पान के लिए भी ज्यादा से ज्यादा विकल्प तैयार किए जाएंगे।


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