वैबिनार: दुश्मन नहीं दोस्त है बुखार, इम्युनिटी को फिर से लड़ने के लिए करता है सक्रिय

  • ऑनलाइन चर्चा में 50 हजार से ज्यादा लोग जुटे
  • बच्चों में बुखार को लेकर जानकारी हासिल की
  • दवा और अच्छे खानपान से इम्युनिटी रखें मजबूत

Bhaskar Hindi
Update: 2024-05-17 13:07 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बुखार - दोस्त है या दुश्मन, इस विषय पर उपराजधानी के डॉक्टरों के बीच एक खास वैबिनार का आयोजन किया गया। जिसमें बदलते दौर में छोटे बच्चों के स्वास्थ्य और उपचार को लेकर मंथन किया गया। इस दौरान जानेमाने डॉक्टर उदय बोधनकर ने अपने अनुभव सांझा किए। डॉ बोधनकर के मुताबिक जब शरीर को पता चलता है कि वायरस, बैक्टीरिया या अन्य बैक्टीरिया जैसा खतरनाक कंटेंट मौजूद हैं, तो बुखार इम्युनिटी गैजेट को फिर से लड़ने के लिए सक्रिय करता है। सुरक्षा के एक भाग के रूप में, शरीर का थर्मोस्टेट, जो दिमाग के भीतर होता है, वो तापमान बढ़ाता है। यह तापमान शरीर में प्रवेश करने की कोशिश करने वाले सूक्ष्मजीवों से लड़ने में शरीर को बेहतर ढंग से सक्षम बनाता है, जिससे इम्यून सिस्टम को अच्छा काम करने में मदद मिलती है।


बच्चों के बुखार की बात करें तो शरीर का तापमान सामान्य के आसपास 37°C यानी (98.6°F) होता है। बुखार को एक्सिलरी के रूप में परिभाषित किया गया है। जैसे (बगल) का तापमान ≥ 37.5 OC यानी (99.5°F) रेक्टल के बराबर होता है। इसी तरह तापमान ≥38°C यानी (100.4°O), 40 C (104O F) से अधिक तापमान को हाइपरपाइरेक्सिया कहा जाता है।

अस्वस्थ होने पर हमारे शरीर का तापमान बढ़ जाता है। इसे बुखार कहते है। यह शरीर के कीटाणुओं से लड़ता है। बुखार होने पर हमें गर्मी, कंपकंपी या थकावट का अनुभव होता है। इसका मतलब यह है कि हमारी इम्यून नर्व हमें बेहतर अनुभव कराने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। 

इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (आईएपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. बसवराज और डॉ. वसंत खालतकर ने इस अभियान के महत्व को लेकर जानकारी दी।


डॉ. बसवराज ने जोर देकर कहा कि देश भर में बच्चों की भलाई सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। जिसके तहत बुखार प्रबंधन पर सटीक जानकारी बच्चों के माता-पिता और देखभाल करने वालों को दी जाए, जिससे सेहत और सुरक्षा की भावना प्रबल हो सके।


डॉ. वसंत खलटकर ने कहा कि कई प्रयासों और व्यापक प्रसार के माध्यम से बुखार को लेकर हमारा लक्ष्य गलत धारणाओं को दूर कर सकता है। बुखार प्रबंधन में सर्वोत्तम प्रथाओं को बढ़ावा मिलेगा। जो  बच्चों के समग्र स्वास्थ्य और विकास में योगदान देता है। चर्चा में पाकिस्तान से एपीपीए के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रोफेसर इकबाल मेमन ने भी शामिल हुए।

आपको बता दें इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक आईएपी भारत के योग्य बाल रोग विशेषज्ञों का एकमात्र पंजीकृत एनजीओ है, जिसमें आईएपी के 45 हजार से अधिक फेलो सदस्य हैं। इस चर्चा में आईएपी के निर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. वसंत खलातकर जैसे बाल चिकित्सा क्षेत्र से बड़ी संख्या में दिग्गजों ने भाग लिया।

पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, डॉ. उपेन्द्र किंजवाडेकर, प्रोफेसर अग्रवाल, डॉ. प्रमोद जोग, आईएपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, एचएसजी, कोषाध्यक्ष कुछ जानकारियां सामने रखीं। इससे पहले अगस्त में डॉ मृदुला फड़के , पूर्व वीसी एमयूएचएस और सलाहकार यूनिसेफ और एनआरएचएम की उपस्थिति में सदस्यों को सम्मानित किया गया।


राष्ट्रीय चेयरपर्सन एएचए डॉ गीता पाटिल ने बच्चों और बाल चिकित्सकों की निस्वार्थ सेवाओं का स्वागत किया। डॉ समीर दलवई राष्ट्रीय संयोजक और डॉ. किशोर ने औपचारिक रूप से सभी सदस्यों का धन्यवाद किया।

इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स ने 44,000 से अधिक सदस्यों के साथ बुखार प्रबंधन को लेकर एक शिक्षण मॉड्यूल शुरू किया है। यह मॉड्यूल बच्चों में बुखार के तर्कसंगत प्रबंधन के बारे में जमीनी स्तर पर विशेषज्ञों को और संवेदनशील बनाने के कार्य में जुटा है।  


इस अभियान के संयोजक डॉ. अभय शाह के नेतृत्व में विशेषज्ञों की सम्मानित टीम, डॉ. रेनू बोरालकर, डॉ. रविशंकर एम, डॉ. के पवनकुमार, डॉ. मनीष गुप्ता, डॉ. हुन्सिगिरि के साथ-साथ वैज्ञानिक समिति में डॉ. पियाली भट्टाचार्य शामिल हैं। डॉ. गायत्री बेजबरूआ, डॉ. प्रशांत वी करिया, डॉ. मुबाशिर हसन शाह, डॉ. चेरुकुरी निर्मला, और डॉ. मनमीत कौर सोढ़ी, टीकाकरण के बारे में जानकारी का सटीक और विश्वसनीय प्रसार सुनिश्चित कर रहे हैं। प्रमुख आईएपी अधिकारियों में डॉ. जीवी बसवराज, डॉ. वसंत खलटकर, डॉ. योगेश पारिख, डॉ. अतनु भद्रा और राष्ट्रीय समन्वयक - डॉ. गीता पाटिल, डॉ. समीर दलवई, डॉ. किशोर बैंदूर, डॉ. शांतराज, डॉ. शामिल हैं। अमरेश पाटिल इस अभियान के हिस्से के रूप में जागरूकता पोस्टर का अनावरण करेंगे।



 










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