नागपुर: मेडिकल टूरिज्म पर जोर, प्राथमिकता के साथ डेढ़ लाख वेलनेस सेंटर खोलेंगे
- उपचार, अनुसंधान व शिक्षा सुविधाओं का आधुनिकीकरण होगा : डॉ. पवार
- टेलीमेडिसिन के माध्यम से जुड़े ग्रामीण क्षेत्र
- उपचार पद्धति गुणवत्तापूर्ण करेंगे
डिजिटल डेस्क, नागपुर. कोरोना के बाद दुनिया भर में स्वास्थ्य विषय प्रमुख मुद्दा बन चुका है। वहीं दूसरे देशों की तुलना में देश की चिकित्सा व्यवस्था को सर्वोच्च स्थान पर माना जा रहा है। भारत में गुणवतापूर्ण चिकित्सा सेवा अन्य देशों के मुकाबले किफायती है, इसलिए आने वाले समय में केंद्र सरकार मेडिकल टूरिज्म को प्राथमिकता देने वाली है। इसके लिए देश भर के 22 अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में उपचार, अनुसंधान व शिक्षा सुविधाओं का अत्याधुनिकीकरण किया जा रहा है। हिल इन इंडिया और हिल विद् इंडिया को केंद्र स्थान पर रखकर मरीजों के हितों को प्राथमिकता दी जा रही है। यह जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री डॉ. भारती पवार ने शनिवार को दी।
एम्स में स्थायी संचालक नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के उपक्रम अंतर्गत बीपीएल मरीजों को पांच लाख रुपए तक स्वास्थ्य बीमा का लाभ देने की योजना है। इसे आयुष्मान भारत (आभा) नाम दिया गया है। इस योजना के लाभार्थियों को राज्यमंत्री पवार के हाथों पहचानपत्र वितरित किए गए। इस अवसर पर एम्स में पहुंचे डॉ. पवार ने बताया कि देश भर के 22 एम्स में से 9 में स्थायी संचालक नियुक्त करने की प्रक्रिया जारी है। मरीजों के स्वास्थ्य हित को ध्यान में रखते हुए देश भर के सभी राज्यों में एम्स शुरू करने का लक्ष्य सरकार ने रखा है। वर्तमान 22 संस्थानों में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी है। अकेले नागपुर के एम्स में शुरुआत से अब तक बीते 5 साल में 12 लाख मरीजों ने बाह्यरोग विभाग में उपचार लिया है। यहां की हर रोज की ओपीडी 3500 है। वहीं आईपीडी में अब तक लगभग 44 हजार मरीजों ने उपचार लिया है।
उपचार पद्धति गुणवत्तापूर्ण करेंगे
दैनिक जीवनशैली में बदलाव होने से विविध बीमारियों की आशंकाएं बनी रहती हैं। राज्यमंत्री डॉ. पवार ने कहा कि केंद्र सरकार ने देश भर में डेढ़ लाख वेलनेस सेंटर्स शुरू करने का निर्णय लिया है। इलनेस से अधिक वेलनेस पर लक्ष्य केंद्रित किया जा रहा है। इन सेंटरों से डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, किडनी, हृदयविकार, ओरल, ब्रेस्ट, व सर्वाइकल कैंसर निदान की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। उन्होंने बताया कि भारतीय उपचार पद्धति गुणवत्तापूर्ण व अपडेट होने से यहां के डॉक्टर्स व नर्सेस की मांग दुनियाभर के देशों में हो रही है। इस आवश्यकता को देखते हुए चिकित्सा क्षेत्र में कुशल मनुष्यबल तैयार करने के लिए प्रयास जारी है। इसके लिए चिकित्सा पाठ्यक्रमों में स्नातक, स्नातकोत्तर और पैरामेडिकल स्टॉफ तैयार कर उनके विकास पर जोर दिया जा रहा है।
राज्यमंत्री डॉ. पवार ने बताया कि एम्स के डॉक्टर्स टेलीमेडिसिन के माध्यम से दुर्गम भागों से भी जुड़े हैं। वहां के उपचार केंद्रों के डॉक्टरों व सहायकों के माध्यम से सह्योग किया जा रहा है। नागपुर विभाग के 11 ग्रामीण अस्पताल, 53 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 2 उप जिला अस्पताल एम्स के टेलीमेडिसिन विभाग से जुड़े हैं। दस्तावेज और फाइलों की झंझट से मुक्त करने के लिए एम्स की ओपीडी में आनेवाले सभी मरीजों की डिजिटल हिस्ट्री ली जा रही है। ऐसे मरीज देश के किसी भी अस्पताल में जाने पर उसे साथ में बीमारी से संबंधित दस्तावेज ले जाने की आवश्यकता नहीं है। एक क्लिक पर उस मरीज की सारी स्वास्थ्य विषयक जानकारी मिल जाएगी।