नागपुर: नाटिका घायाळ पाखरा ने बताया शिक्षा का महत्व, महिला धम्म परिषद में 143 वां मंचन

  • "घायाळ पाखरा' का 143 वां मंचन
  • 67 वें धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस की पूर्व संध्या
  • दीक्षाभूमि में आयोजित महिला धम्म परिषद

Bhaskar Hindi
Update: 2023-10-23 14:03 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर | बहुजन रंगभूमि द्वारा वीरेंद्र गणवीर द्वारा लिखित एवं निर्देशित एकांकी "घायाळ पाखरा' का 143 वां मंचन 67 वें धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस की पूर्व संध्या पर दीक्षाभूमि में आयोजित महिला धम्म परिषद में किया गया। यह नाटिका दलित परिवार की महिला शेवंता के जीवन संघर्ष की कहानी है। शारीरिक रूप से विकलांग भीम को शिक्षित करने के लिए समाज से संघर्ष करने वाली एक मां अपने बेटे को बड़ा आदमी होने का सपना देखती है, लेकिन समाज की नकारात्मक प्रवृत्ति उसके मनोबल को लगातार कमजोर करती है। भले ही वह अपनी जाति के कारण पति की हुई हत्या से वह टूट गई हो, लेकिन भीम के पिता की प्रेरणा बनकर अपने बेटे के लिए वह दृढ़ता से खड़ी रहती है। शिक्षा के महत्व को सिद्ध करता "घायाळ पाखरा' एकांकी ने दर्शकों का दिल जीत लिया। पार्श्वसंगीत गौरी वालुकर का था। नाटिका में अस्मिता पाटील, शिवम म्हस्के, प्राची जंभुलकर और तनुष्का गणवीर ने अहम भूमिका निभाई।

बुद्ध विहार में सामूहिक वंदना

वर्षावास के समापन पर सामूहिक वंदना का आयोजन श्रीनगर स्थित रमाई बुद्ध विहार में किया गया। अतिथि के रूप में श्रीनगर के मूल निवासी डॉ. सुधीर कांबले (वर्तमान में ब्रुनेई के रहवासी) उपस्थित थे। उन्होंने विदेश में संगठन कार्य, आंबेडकराइट गतिविधियों की जानकारी दी। बुद्ध विहार के कार्यों की सराहना की। संचालन उपसचिव धर्मेश फुसाटे ने किया। आभार सचिव दिलीप कुमार लेहगावकर ने माना।

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