नागपुर: डॉ. वेदप्रकाश मिश्रा ने कहा - शिक्षा नीति में परिवर्तन से ही नींव पक्की होगी
- गुणात्मक परिवर्तन की आवश्यकता : गडकरी
- राज्य शिक्षक परिषद का त्रि-वार्षिक सम्मेलन
- शिक्षा नीति में परिवर्तन से ही नींव पक्की होगी
डिजिटल डेस्क, नागपुर. विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास ही शिक्षा का मूल केन्द्र बिन्दु है, इसलिए शहरों से लेकर सुदूर आदिवासी इलाकों तक के स्कूलों में सत्यनिष्ठा, निष्ठा, पारदर्शिता और अनुशासन लाने वाले शिक्षकों की नियुक्ति करनी होगी। शिक्षा नीति में परिवर्तन कर शिक्षकों को उचित वित्तीय लाभ दिया जाना चाहिए, तभी शिक्षा की नींव पक्की होगी। यह विचार दत्ता मेघे अभिमत विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. वेदप्रकाश मिश्रा ने प्रदेश भर से आए शिक्षकों को संबोधित करते हुए रखे। महाराष्ट्र राज्य शिक्षक परिषद, अखिल भारतीय शिक्षक महासंघ, महाराष्ट्र राज्य शिक्षक परिषद की ओर से दो दिवसीय त्रिवार्षिक सम्मेलन का आयोजन किया गया। दूसरे दिन के सत्र में पूर्व विधायक नागो गाणार, भगवान राव सालुंखे, प्रदेश कोषाध्यक्ष राजेंद्र सूर्यवंशी, महिला अघाड़ी प्रमुख हर्षदा माने, महिला अघाड़ी प्रमुख पूजा चौधरी, कार्यालय मंत्री निरंजन गिरि, कोषाध्यक्ष राजेंद्र सूर्यवंशी, केंद्रीय मंत्री किरण भावथंकर मुख्य रूप से उपस्थित थे।
शिक्षा बिना दीक्षा मायने नहीं रखती
कुलपति डॉ. मिश्रा ने कहा कि, शिक्षा के बिना कोई भी दीक्षा मायने नहीं रखती है। नई शिक्षा नीति से शिक्षा व्यवस्था में व्यापक बदलाव आएगा। समय की मांग को समझते हुए इसमें लचीलापन लाना चाहिए। यह सुनिश्चित करने के लिए कि सुदूरवर्ती क्षेत्रों के छात्र दुनिया की किसी भी प्रतिस्पर्धा में पिछड़ न जाएं, अंतिम प्राथमिक विद्यालय तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से कोई समझौता किए बिना नींव को मजबूत करना होगा। एक शिक्षक समाज की नब्ज जानता है। अत: वही संवेदनशील सामाजिक चेतना वाली पीढ़ी का निर्माण कर सकता है। इसकी शुरुआत बुनियादी और प्राथमिक शिक्षा से करनी होगी। उन्होंने यह भी कहा कि, जब तक नींव मजबूत नहीं होगी, कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता।
गुणात्मक परिवर्तन की आवश्यकता : गडकरी
सम्मेलन के मौके पर केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी ने प्रदेश भर के शिक्षकों से ऑनलाइन संवाद करते हुए कहा, कई शिक्षक आज भी सेवा के क्षेत्र में अपना अमूल्य योगदान दे रहे हैं। छात्रों, समाज और देश के विकास में शिक्षकों का योगदान महान है, इसलिए शिक्षकों को समन्वय-सहयोग और संचार के त्रिसूत्र को जोड़कर गुणात्मक परिवर्तन लाने का काम करना होगा। यह देश ज्ञान, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अर्थव्यवस्था और संस्कृति के मामले में विश्व मानचित्र पर अपनी छाप छोड़ रहा है। इसलिए उन्होंने यह भी कहा कि, शिक्षकों को पीढ़ियों को दिशा देने का काम करना चाहिए।
सरकार को 15 संकल्प पत्र दिए जाएंगे
शिक्षा परिषद ने दो दिवसीय विचार-विमर्श के बाद शिक्षकों की समस्याओं और समाधान योजनाओं को लेकर 15 प्रस्ताव पारित किए। इसमें बढे हुई पदों की मंजूरी, सुनिश्चित प्रगति योजना, रिक्त पदों की भर्ती, अतिरिक्त कक्षा टुकड़ों का अतिदेय अनुदान, स्कूल लाइब्रेरियन, पात्रता परीक्षा शर्तों में छूट, गैर-शिक्षण कर्मचारियों की संख्या, अतिरिक्त तनाव से राहत सहित पुरानी पेंशन योजना की मुख्य मांगें शामिल हैं। 7 वें वेतन आयोग, शिक्षा क्षेत्र में त्रुटियों की पूर्ति सहित गैर-शिक्षण कार्यों की। भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने का प्रस्ताव शिक्षा मंत्रालय को सौंपा जाना है। शिक्षकों ने नीतिगत परिवर्तन करके इन सुधारों को लागू करने की नींव भी रखी।