नागपुर: डॉक्टर बोधनकर ने बच्चों के साथ मनाई होली और दिए खास सावधानी बरतने के टिप्स
- एलर्जी और खांसी वाली समस्या है, तो रंगों से बचे
- इको फ्रेंडली होली खेलें, फूलों के रंग का इस्तेमाल करें
- होली की टोपी और मुखौटे गिफ्ट किए
डिजिटल डेस्क, नागपुर। जाने माने डॉक्टर उदय बोधनकर ने चिल्ड्रन हॉस्पिटल में बच्चों के साथ अलग अंदाज में होली मनाई, साथ ही बच्चों को दिए सावधानी बरतने के टिप्स। डॉक्टर बोधनकर ने अस्पताल आने वाले बच्चों को होली की टोपी और मुखौटे भी गिफ्ट किए, त्यौहार किस तरह सुरक्षित मनाया जाए, इसे लेकर जानकारी दी। डॉक्टर उदय बोधनकर ने बच्चों से कहा कि वे इको फ्रेंडली होली खेलें, फूलों के रंग का इस्तेमाल करें, जिससे स्किन और आंखों को नुकसान नहीं पहुंचता है।
खास टिप्स देते हुए डॉक्टर उदय बोधनकर ने कहा कि होली में कई तरह के केमिकल वाले रंग मिलते हैं, उनकी जगह नेचुरल रंगों का चुनाव करें। केमिकल वाले रंग न केवल पर्यावरण, बल्कि त्वचा को भी नुकसान पहुंचाते हैं।
होली में पानी वाले गुब्बारों का काफी इस्तेमाल होता है, उनमें प्लास्टिक होता है, लेकिन इससे किसी को चोट लगने का भी डर होता है, साथ ही पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। सिर्फ नेचुरल कलर्स या सादे पानी से ही होली खेलें, बाल्टी का प्रयोग करें.
ऐसे बरतें सावधानी
रंग यदि नाक में चला जाए, तो खांसी आ सकती है। इसलिए बहुत आराम से सूखे रंग लगाएं, रंग नाक में न जाने पाए।
कई बार नाक में रंग चला जाता है, जिससे सांस लेने में परेशानी होती है। ऐसा लगे तो तुरंत नाक साफ करें।
नाक, कान में रंग जा रहा है, तो धीरे-धीरे हाथों से पानी से धो लें।
गले में रंग गया है, तो गर्म पानी से भाप लें।
एलर्जी और खांसी वाली समस्या पहले से है, तो रंगों से बचने की जरूरत है।
असल में होली प्रेम और वसंत का त्यौहार है। जो मार्च में भारत, नेपाल, अन्य दक्षिण एशियाई देशों सहित प्रवासी भारतीयों में मनाया जाता है। यह त्यौहार अपने जीवंत रंगों के लिए भी जाना जाता है। यह दिन सकारात्मकता अपनाने और नकारात्मक ऊर्जा को त्यागने का है। वैसे यह पर्व राक्षस हिरण्यकश्यप पर भगवान नरसिम्हा की जीत की याद दिलाता है। जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह नरसिम्हा के रूप में विष्णु की जीत का स्मरण कराता है।