सराहनीय: मां-पिता में विवाद, पढ़ाई छोड़ बाल मजदूर बना बच्चा - संस्था ने परिवार को समझाया

  • बेटे ने कहा-हां, पढ़ाई छोड़ने मजबूर होना पड़ा
  • बाल मजदूरी करना अपराध

Bhaskar Hindi
Update: 2024-05-13 13:10 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर. मनपा के समाज विकास विभाग व कल्पना बहुउद्देशीय महिला मडंल अंतर्गत स्व. अनुसयाबाई काले महिला व बाल समुपदेशन केंद्र में पारिवारिक वाद-विवाद में बच्चे की प्रताड़ना का मामला सामने आया। मां-पिता के विवाद में 16 साल के बच्चे को बाल मजदूरी करने पर मजबूर होना पड़ा। इसके लिए उसे ग्यारहवीं की पढ़ाई तक छोड़नी पड़ी। मामला मनपा के महिला व बाल समुपदेशन केंद्र में पहुंचा तो केंद्र अधिकारियों ने परिवार का समुपदेशन कर बच्चे की बाल मजदूरी छुड़ाई और उसे ग्यारहवीं की परीक्षा देने लगाया। इस प्रकार एक बच्चे का भविष्य संवारने में समुपदेशन केंद्र की महत्वपूर्ण भूमिका सामने आई।

बेटे ने कहा-हां, पढ़ाई छोड़ने मजबूर होना पड़ा

पत्नी ने पति के विरोध में सतरंजीपुरा जोन अंतर्गत कल्पना बहुउद्देशीय महिला मंडल अंतर्गत स्व. अनुसयाबाई काले महिला व बाल समुपदेशन केंद्र में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में बताया पति उससे रोजाना मारपीट करता है। घर चलाने के लिए पैसे नहींं देता। वह काम पर जाती है तो शक करता है। शक की वजह से उसने गुस्से में आकर खुद को आग भी लगा ली थी। आग के कारण वह विद्रूप हो गई है। पैसे के लिए वह अब भी परेशान करता है और पैसे लेकर शराब पीता है। नहीं देने पर मारपीट करता है। उसका 16 साल का बेटा है। वह पढ़ाई छोड़कर मंडप डेकोरेशन का काम करता है। इसके अलावा जो काम मिलता है, वह करता है। जानकारी मिलने पर समुपदेशन केंद्र अधिकारियों ने उसके बेटे को भी समुपदेशन केंद्र में बुलाया। बेटे ने बताया कि मां-पिता के विवाद के कारण उसने पढ़ाई छोड़ दी है।

बाल मजदूरी करना अपराध

वह ग्यारहवीं में कॉमर्स का स्टूडेंट है। शहर के एक नामांकित कॉलेज में उसका एडमिशन है, किन्तु पैसे के अभाव में कॉलेज नहीं जाता है। उसे समझाया गया कि पढ़ाई छोड़कर बाल मजदूरी करना अपराध है और जो काम करवा रहा है उस पर भी कार्रवाई हो सकती है। उसे करियर के बारे में जानकारी देकर सरकारी योजनाओं से भी अवगत कराया गया। केंद्र के अधिकारियों द्वारा समुपदेशन करने पर वह मान गया। लेकिन कॉलेज परीक्षा में बैठने देंगे या नहीं? इसे लेकर चिंता भी जताई। इसके बाद समुपदेशन केंद्र की संचालिका कल्पना फुलबांधे ने कॉलेज संचालक से मोबाइल पर बात कर स्थिति से अवगत कराया और उन्हें बच्चे को परीक्षा में बैठने देने का आग्रह किया। बाल मजदूरी कराने पर मां-पिता को भी कार्रवाई का डर बताकर समझाया गया।

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