नागपुर: डिमेंशिया बीमारी खत्म नहीं होती, उपचार से होती है नियंत्रित, संतुलित जीवनशैली जरूरी

  • 65 साल से अधिक उम्र वालों को बीमारी
  • भ्रम होता है और घटनाएं याद नहीं रहतीं

Bhaskar Hindi
Update: 2024-06-07 09:59 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर, चंद्रकांत चावरे| बढ़ती उम्र के साथ खुद को स्वस्थ रखना किसी चुनौती से कम नहीं होता। नियमित दिनचर्या, संतुलित जीवनशैली, खान-पान का विशेष ध्यान, शरीर स्वस्थ रखने नियमित व्यायाम आदि पर विशेष ध्यान देना जरूरी होता है। कुछ लोग ही नियमों का जागरूकता से पालन करते हैं। जिन लोगों की दिनचर्या व जीवनशैली असंतुलित होती है, उन्हें समय के साथ कोई ना कोई बीमारी घेर लेती है। शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेडिकल) के मनोचिकित्सा विभाग में हर साल 240 डिमेंशिया पीड़ित मरीजों का उपचार किया जाता है। इस बीमारी को बढ़ने से नियंत्रित करने जीवनभर दवा लेनी पड़ती है। यह बीमारी खत्म नहीं होती।

65 साल से अधिक उम्र वालों को बीमारी, आजीवन लेनी पड़ती है दवा

25 फीसदी नए व 75 फीसदी पुराने मरीज : मरीजों की उम्र 65 से अधिक बताई गई है। उम्रदराज लोगों को ही यह बीमारी होती है। इससे कम आयु वर्ग को यह बीमारी न के बराबर होती है। पीड़ितों में 25 फीसदी मरीज यानि 60 मरीज नए होते हैं। वहीं 75 फीसदी यानि 180 मरीज पुराने होते हैं। इन मरीजों को जीवनभर डॉक्टरों की सलाहनुसार दवाएं लेनी पड़ती हैं। यह याददाश्त से जुड़ी बीमारी है। इसमें मरीजों को भ्रम होता है। मरीजों को याददाश्त की समस्या होती है।

70 फीसदी को अल्जाइमर

मरीजों में डिमेंशिया के अनेक लक्षण पाए जाते हैं। इससे संबंधित व्यक्ति का जीवन प्रभावित हो जाता है। डिमेंशिया अंतर्गत अल्जाइमर बीमारी सामान्य होती है। 70 फीसदी मरीजों में अल्जाइमर होता है। अन्य प्रकारों में वैैस्कुलर डिमेंशिया में मस्तिष्क तक रक्त नहीं पहुंच पाता है। फ्रंटोटेंपोरल डिमेंशिया में मस्तिष्क के फ्रंटल और टेम्पोरल हिस्सा प्रभावित हाेता है। लेवी बॉडी डिमेंशिया में नर्व सेल्स में प्रोटीन का जमाव मस्तिष्क तक संकेत भेजने में रुकावट पैदा करता है। इससे मस्तिष्क काम नहीं करता व याददाश्त कमजोर होने लगती है। सिर में चोट लगने से, टयूमर होने से, विटामिन की कमी से, धूम्रपान, शराब का सेवन, पौष्टिक आहार की कमी से, व्यायाम न करने से, उच्च रक्तदान होने पर, डायबिटीज होने पर, हृदय रोग होने पर, तनावग्रस्त रहने पर, पहले से फैमिली हिस्ट्री होने पर आदि कारणों से डिमेंशिया होने का खतरा बना रहता है।

भ्रम होता है और घटनाएं याद नहीं रहतीं

डिमेंशिया पीड़ितों की याददाश्त कमजोर होने दैनिक कार्यों को पूरा करने में समस्या आती है। महत्वपूर्ण घटनाएं याद नहीं रह पातीं। एक ही बात बार-बार पूछने की आदत होती है। हमेशा आवाजाही करनेवाले स्थान से भटकना या गुम हो जाना। पीड़ित में चिड़चिड़ापन, बेचैनी, उदासी आदि बदलाव दिखाई देते हैं। रात को अचानक उठ जाना, किसी बात को लेकर भ्रम होना आदि डिमेंशिया के मरीजों में लक्षण दिखाई देते हैं।

उपचार से बीमारी बढ़ने पर ऐसे रोक लगती है

मनोरोग विभाग के एक डॉक्टर के अनुसार डिमेंशिया को खत्म करने का कोई इलाज नहीं है। लेकिन इसके लक्षणों को बढ़ने से रोकने का इलाज संभव है। मनोराेग विभाग के विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा मरीजों की अलग-अलग स्तर पर मस्तिष्क जांच की जाती है। मस्तिष्क के किस हिस्से में समस्या है, इसका पता लगाया जाता है। उस आधार पर डिमेंशिया को बढ़ने से रोकने उपचार किया जाता है। उन्हें दवाओं के अलावा विविध थेरेपी दी जाती है। उपचार के बाद मरीजों को राहत मिलती है। इसके लिए नियमित जांच व दवाएं लेना जरूरी होता है।

रैली निकालकर लोगों को पेड़ लगाओ, पेड़ बचाओ का दिया संदेश

बेसा. पर्यावरण दिन के उपलक्ष्य में सेवा सर्वदा बहुउद्देशीय संस्था, भीमनगर नागपुर की ओर से रामटेके नगर में चलाए जा रहे कॉन्वेंट के बच्चों ने पौधारोपण किया। साथ ही नन्हें-मुन्नों ने बारिश को देखते हुए लोगों को पौधारोपण करने के लिए प्रेरित भी किया, ताकि बारिश में पौधे पनपकर भविष्य में छायादार पेड़ बने, इससे एक ओर पर्यावरण का संतुलन बना रहेगा। दूसरी ओर छायादार पेड़ इंसानों को मिलते रहेंगे। बच्चों ने रैली के माध्यम से परिसर के लोगों को पेड लगाओ और पेड़ बचाने का संदेश दिया। कार्यक्रम संगठन के संचालक खुशाल ढाक के नेतृत्व में संपन्न हुआ।


 

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