प्रशिक्षण शुल्क रद्द: मांग हुई पूरी, गैर अनुदानित आयुर्वेद कॉलेजों के इंटर्न को मिली बड़ी राहत

  • बरसों पुरानी मांग
  • प्रक्रिया तुरंत पूरा करने को कहा
  • बैठक के बाद नीमा के पदाधिकारियों को दिया आश्वासन

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-26 14:27 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर। गैर-अनुदानित आयुर्वेदिक महाविद्यालयों में प्रशिक्षण लेने वाले इंटर्न डॉक्टरों का प्रशिक्षण शुल्क रद्द होगा। ऐसा आश्वासन नॅशनल इंटिग्रेटेड मेडिकल असोसिएशन (नीमा) के पदाधिकारियों को चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ ने दिया है। इस विषय को लेकर हाल ही में एक बैठक आयोजित की गई थी। बैठक में सरकार द्वारा सकारात्मक कदम उठाने का आश्वासन दिया गया है।

बरसों पुरानी है यह मांग

गैर अनुदानित आयुर्वेद महाविद्यालयों में इंटर्न डॉक्टरों का प्रशिक्षण शुल्क रद्द करने की मांग बरसों से की जा रही है। विद्यार्थियों को प्रशिक्षण के लिए 5 हजार रुपए का भुगतान करना पड़ता है। यह शुल्क लेना बंद करने के लिए नीमा द्वारा बार-बार सरकार से अनुरोध किया जा रहा था। इस विषय को लेकर नीमा के पदाधिकारी व चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ के बीच एक बैठक हुई। बैठक में प्रशिक्षण शुल्क रद्द करने के साथ ही संबंधित विभाग को निर्देश देने की जानकारी नीमा नागपुर स्टूडेंट फोरम के अध्यक्ष डॉ. वैभव ठवकर ने दी है।

प्रक्रिया तुरंत पूरा करने को कहा

डॉ. ठवकर के अनुसार बीएएमएस डिग्री प्राप्त करने के लिए इंटर्न को एक साल प्रशिक्षण पूरा करना पड़ता है। प्रशिक्षण अवधि के दौरान 6 महीने अस्पताल में व 6 महीने सरकारी स्वास्थ्य संस्थान में काम करना पड़ता है। सरकारी स्वास्थ्य संस्थान के महीने की कालावधि में 3 महीने ग्रामीण अस्पताल में व 3 महीने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में काम कर प्रशिक्षण पूरा करना पड़ता है। प्रशिक्षण पूरा करने से पहले गैर अनुदानित आयुर्वेद महाविद्यालयों में विद्यार्थियों से 5 हजार रुपए प्रशिक्षण शुल्क लिया जाता है। यह शुल्क रद्द करने नीमा द्वारा बरसों से सरकार से मांग की जा रही है। बैठक के बाद 8 जनवरी 2023 को जारी की अधिसूचना रद्द करने की मांग की गई है।

इसके साथ ही गैर अनुदानित सभी महाविद्यालयों में प्रशिक्षण शुल्क रद्द करने का आश्वासन दिया गया। इस बारे मे संबंधित विभाग के अधिकारियों को तुरंत प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं। बैठक में नीमा के पदाधिकारियों में डॉ. वैभव ठवकर, डॉ. राम मासुरके, डॉ. शैलेश निकम, डॉ. विष्णु बावणे, डॉ. सागर कारंडे, डॉ. संकेत झाडे, डॉ. तुषार सूर्यवंशी, डॉ. अभिजित कोहार आदि उपस्थित थे।

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