नाराजगी: बाह्यस्रोत से कर्मचारी नियुक्ति का विरोध
विधायक केदार के नेतृत्व में जिलाधिकारी को सौंपा ज्ञापन
डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य सरकार ने सभी सरकारी, अर्धसरकारी प्रबंधनों में बाह्यस्रोत से कर्मचारी नियुक्ति का निर्णय लिया है। सेवा प्रदाता एजेंसी भी नियुक्त की है। कांग्रेस के जिला परिषद, पंचायत समिति पदाधिकारी व सदस्यों ने जिलाधिकारी कार्यालय के सामने धरना देकर सरकार से यह निर्णय रद्द करने की मांग की है। विधायक सुनील केदार के नेतृत्व में जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें बाह्यस्रोत से कर्मचारी भर्ती का निर्णय रद्द करने, मवेशियों के बाजार से पाबंदी हटाने व अतिवृष्टि से हुए नुकसान की भरपाई देने की मांग की गई।
बेरोजगारों की निराशा : साल 2015 से कर्मचारी भर्ती नहीं हुई। इस दरमियान कार्यरत कर्मचारियों की मृत्यु तथा सेवानिवृत्ति से अनेक पद रिक्त हो गए। रिक्त पदों का अतिरिक्त कार्यभार कार्यरत कर्मचारियों पर पड़ने से विकासकार्य प्रभावित हो रहे हैं। समय पर काम नहीं होने से आम नागरिक परेशान हैं। राज्य सरकार ने बाह्यस्रोत से कर्मचारी भर्ती करने का निर्णय लेकर सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे बेरोजगार युवाओं को निराश किया है। बाह्यस्रोत से कर्मचारी भर्ती का निर्णय रद्द कर रिक्त पदों पर स्थायी कर्मचारी भर्ती करने की मांग की गई।
बाजार से पाबंदी हटाएं : लम्पी संक्रमण ने जिले में दस्तक देने पर मवेशियों के बाजार भराने तथा एकत्रित लाने पर पाबंदी लगाई गई है। जिले में लम्पी का प्रादुर्भाव लगभग खत्म हो गया है, लेकिन पाबंदी अभी भी लागू है। मवेशियों के खरीदी, बिक्री के व्यवहार करने में दिक्कत आने से पाबंदी हटाने की मांग जिलाधिकारी से की गई।
नुकसान की भरपाई दें : सितंबर महीने की 20 और 22 तारीख को जिले में हुई अतिवृष्टि से फसलों का नुकसान हुआ। कई लोगों के मकान ढह गए। मवेशियों की मृत्यु हुई। सड़कें और पुल उखड़ जाने से नुकसान हुआ। अतिवृष्टि से हुए नुकसान का सर्वेक्षण कर भरपाई देने की मांग की गई। जिलाधिकारी ने अपने स्तर की समस्याएं शीघ्र सुलझाने व शासन स्तर की समस्या के संबंध में आवश्यक कार्रवाई करने का आश्वस्त किया। केदार के नेतृत्व में जिलाधिकारी से मिले प्रतिनिधिमंडल में जिला परिषद अध्यक्ष मुक्ता कोकड्डे, उपाध्यक्ष कुंदा राऊत, सभापति अवंतिका लेकुरवाले, मिलिंद सुटे, राजकुमार कुसुंबे, प्रवीण जोध, पूर्व अध्यक्ष रश्मि बर्वे, विविध पंचायत समिति सभापति, जिला परिषद तथा पंचायत समिति सदस्यों का समावेश रहा।