सारस संवर्धन: कोर्ट ने वेटलैंड पहचान के लिए अब तक उठाए गए कदमों की प्रशासन से मांगी रिपोर्ट

  • कोर्ट का नागपुर सहित 4 जिलाधिकारियों को आदेश
  • उठाए कदमों की प्रशासन से रिपोर्ट मांगी

Bhaskar Hindi
Update: 2024-06-17 11:44 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर. बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने सारस पक्षियों के संवर्धन और उनके अधिवास के लिए वेटलैंड की पहचान करने के लिए उठाए गए कदमों कि रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट के आदेशानुसार नागपुर, चंद्रपुर, भंडारा और गोंदिया के जिलाधिकारी को एक सप्ताह में वेटलैंड पहचान पर जवाब दायर करना है। हाल के वर्षों में नागपुर विभाग के गोंदिया-भंडारा और चंद्रपुर में पाए जाने वाले सारस पक्षियों की संख्या तेजी से कम हो रही है। समाचार-पत्रों में इस विषय के प्रकाशित होने के बाद हाई कोर्ट ने मामले का संज्ञान लेकर सू-मोटो जनहित याचिका दायर की है। विविध पहलुओं पर गौर करने के बाद कोर्ट ने गोंदिया-भंडारा और चंद्रपुर में पाए जाने वाले सारस पक्षियों के संवर्धन के लिए हर जिले में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में स्वतंत्र सारस संवर्धन समितियां गठित की हैं। बाद में नागपुर जिलाधिकारी को भी इसमें जोड़ा गया।

इस समिति को अपने जिले के क्षेत्र में सारस पक्षियों के संवर्धन और उनके अधिवास के लिए वेटलैंड की पहचान करना है, लेकिन राज्य वेटलैंड प्राधिकरण में कार्यरत अधिकारी और कर्मचारियों की कमी को देखते हुए राज्य वेटलैंड प्राधिकरण ने नेशनल सेंटर फॉर सस्टेनेबल कोस्टल मैनेजमेंट (एनसीएससीएम) नामक शोध संस्था के साथ समझौता करार किया है। यह शोध संस्था गोंदिया, भंडारा और चंद्रपुर के जिलाधिकारी को वेटलैंड संबंधी दस्तावेज तैयार करने में सहायता करने वाली है। मामले पर न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष हुई सुनवाई में कोर्ट ने नागपुर सहित चंद्रपुर, भंडारा और गोंदिया के जिलाधिकारी को वेटलैंड पहचान के बारे रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं। याचिका पर अब 26 जून को सुनवाई रखी गई है। मामले में एड. राधिका बजाज न्यायालय मित्र की भूमिका में हैं। राज्य सरकार की ओर से एड. दीपक ठाकरे ने पैरवी की।

डेटा न मिलने से देरी : गोंदिया और भंडारा के जिलाधिकारी ने शपथ-पत्र में नेशनल सेंटर फॉर सस्टेनेबल कोस्टल मैनेजमेंट (एनसीएससीएम) शोध संस्था द्वारा वेटलैंड संबंधी सर्वे डेटा उपलब्ध न होने से पहचान करने में देरी होने की बात कही है। चंद्रपुर के जिलाधिकारी ने शपथ-पत्र में एनसीएससीएम द्वारा डेटा मिलने की बात कही है। वहीं नागपुर जिलाधिकारी द्वारा अब तक शपथ-पत्र दायर न करने की जानकारी न्यायालय मित्र ने दी है।

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