सियासी स्थिति: विदर्भ की सभी लोकसभा सीटों पर कांग्रेस का दावा कायम
- सीट साझेदारी को लेकर होगी पुन: चर्चा
- सर्वे रिपोर्ट बनी आधार
डिजिटल डेस्क, नागपुर. लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस गठबंधन में सीट साझेदारी की प्रक्रिया शुरू हो गई है। राज्य में बदली हुई राजनीतिक स्थिति को देखते हुए कांग्रेस ने 48 में से 25 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा किया है। कांग्रेस के दावे पर शिवसेना उद्धव गुट ने तंज कसा है। ऐसे में दावा किया जा रहा है कि कांग्रेस सीट साझेदारी में कम सीटों तक सीमित रह सकती है, लेकिन बात विदर्भ की हो तो वह किसी तरह का समझौता नहीं करेगी। कांग्रेस ने विदर्भ की 10 सीटों पर अपना दावा कायम रखा है। जल्द ही सीट साझेदारी को लेकर पुन: चर्चा होगी।
राज्य में सीटों की स्थिति
राज्य में लोकसभा की 48 सीटें हैं। 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने 24, राकांपा 19, शिवसेना 23 व भाजपा ने 25 सीट पर चुनाव लड़ा था। तब राकांपा व शिवसेना में विभाजन नहीं हुआ है। कांग्रेस गठबंधन में राकांपा तो भाजपा गठबंधन में शिवसेना थी। उस चुनाव में कांग्रेस ने एकमात्र चंद्रपुर की सीट जीती। भाजपा ने 23, राकांपा 4 व शिवसेना ने 18 सीटें जीती थी। कांग्रेस व राकांपा की स्थिति का आकलन किया जाए तो सीट जीतने के मामले में आगे रहने के बाद भी राकांपा मतदान पाने में पीछे थी। कांग्रेस को 16.14 प्रतिशत तो राकांपा को 15.66 प्रतिशत मतदान मिले थे। बदली हुई स्थिति में कांग्रेस का कहना है कि राकांपा व शिवसेना का विभाजन हो गया है। राकांपा व शिवसेना के अधिकतर लोकसभा सदस्य भाजपा से जुड़े गुट में चले गए हैं। ऐसे में राज्य में कांग्रेस ही विपक्ष का एकमात्र दल है जो पहले की स्थिति पर कायम है।
विदर्भ की स्थिति
विदर्भ में कांग्रेस स्वयं को सबसे अधिक मजबूत मानती है। स्थापना दिन समारोह के माध्यम से कांग्रेस ने नागपुर से ही लोकसभा चुनाव की तैयारी का आगाज किया है। 2019 के चुनाव में कांग्रेस को राज्य में जिस एकमात्र सीट चंद्रपुर में जीत मिली थी, वह भी विदर्भ में ही है। हालांकि चंद्रपुर से कांग्रेस के लोकसभा सदस्य बालू धानोरकर की असमय मृत्यु से राज्य में कांग्रेस के पास एक भी लोकसभा सदस्य नहीं है। विदर्भ की 10 सीटों में नितीन गडकरी भाजपा नागपुर, कृपाल तुमाने शिवसेना शिंदे रामटेक, सुनील मेंढे भाजपा गाेंदिया-भंडारा, भावना गवली शिवसेना शिंदे यवतमाल-वाशिम, रामदास तडस भाजपा वर्धा, नवनीत राणा भाजपा समर्थक निर्दलीय अमरावती, प्रताप जाधव शिवसेना शिंदे बुलढाणा, संजय धोत्रे भाजपा अकोला, अशोक नेते भाजपा गडचिरोली से लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। धानाेरकर की मृत्यु के बाद चंद्रपुर में चुनाव नहीं हो पाया है।
सर्वे रिपोर्ट बनी आधार
कांग्रेस ने विदर्भ की सर्वे रिपोर्ट के आधार पर अपना दावा कायम रखा है। लोकसभा क्षेत्र स्तर पर कांग्रेस ने पर्यवेक्षक िनयुक्त किए हैं। नागपुर में लंबे समय तक कांग्रेस चुनाव जीतती रही है। पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हाराव व वरिष्ठ नेता मुकुल वासनिक रामटेक से लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। गाेंदिया-भंडारा में कांग्रेस के समर्थन के बिना डॉ.बाबासाहब आंबेडकर भी चुनाव नहीं जीत पाये थे। चंद्रपुर, वर्धा में भी कांग्रेस का दबदबा रहा है। अमरावती, अकोला में कांग्रेस के समर्थन से आरपीआई भी चुनाव जीतने में सफल रही है। यहां तक कि 2019 में शिवसेना ने विदर्भ की 4 में से 3 सीटें जीती उनमें भी कांग्रेस का प्रभाव रहा है। रामटेक में शिवसेना की जीत के पहले कांग्रेस ही जीतती रही है। जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे गुलाम नबी आजाद यवतमाल से कांग्रेस के लोकसभा सदस्य रहे हैं। अमरावती व बुलढाणा में भी यही स्थिति रही है।