नागपुर: मराठी मीडियम के स्कूलों की हालात खराब, विद्यार्थी ढूंढ़ने गांव-गांव खाक छान रहे शिक्षक

  • नौकरी बचाने वाहन सुविधा
  • कॉपी-किताबें देने की भर रहे हामी
  • टार्गेट पूरा करने में हो रहा नाक में दम

Bhaskar Hindi
Update: 2024-05-12 14:35 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर. इंग्लिश मीडियम स्कूलों के अच्छे दिन चल रहे हैं। वही अन्य मीडियम के स्कूलों का अस्तित्व खतरे में है। इंग्लिश मीडियम स्कूलों में प्रवेश के लिए कतारे लग रही हैं। पालक मुंह मांगा डोनेशन देने के लिए तैयार हैं। अन्य मीडियम के स्कूलों में प्रवेश कराने के लिए शिक्षकों को दर-दर भटकना पड़ रहा है। मराठी मीडियम के स्कूलों की हालात और भी खराब है। शिक्षक विद्यार्थियों को ढूंढने के लिए बस्ती-बस्ती खाक छान रहे हैं।

ग्रामीण क्षेत्र में बहाना पड़ रहा पसीना

स्थानीय निकाय संचालित तथा अनुदानित स्कूलों के शिक्षक अपनी जेब से बच्चों को घर से स्कूल लाने-ले जाने के लिए वाहन सुविधा, कॉपी-किताबें देने की हामी भर रहे हैं। शहर के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्र में मराठी स्कूलों का अस्तित्व बचाने के लिए शिक्षकों को कड़ी धूप में ज्यादा खून-पसीना बहाना पड़ रहा है।

नौकरी से हाथ धोने की सता रही चिंता

ग्रामीण क्षेत्र में मराठी स्कूलों का प्रमाण ज्यादा है। उसमें भी स्थानीय निकाय संचालित तथा अनुदानित स्कूलों की संख्या ज्यादा है। ग्रामीण पालकों में अपने बच्चों को शहरों में पढ़ाने का रुझान बढ़ रहा है। जिनकी आर्थिक स्थिति बेहतर है, वह निजी इंग्लिश मीडियम स्कूल में बच्चों को दाखिला दिला रहे हैं। जिनकी आर्थिक स्थिति सामान्य है, वह शहर के किसी अनुदानित स्कूल में बच्चों को दाखिल कर रहे हैं। ग्रामीणों का शहरों की ओर रुझान बढ़ने से गांव के स्कूल विद्यार्थियों के अभाव में बंद पड़ने की कगार पर पहुंच रहे हैं। विद्यार्थी संख्या कम होने से शिक्षकों को नौकरी से हाथ धोने की चिंता सता रही है। शिक्षक अपनी नौकरी बचाने के लिए विद्यार्थियों की खोज में दर-दर भटक रहे हैं।

टार्गेट पूरा करने में हो रहा नाक में दम

अनुदानित स्कूलों की मान्यता बचाने और गैरअनुदानित स्कूल संस्था की आर्थिक स्थिति मजबूत करने संचालकों ने शिक्षकों को एडमिशन लाने का टार्गेट दिया है। विद्यार्थी संख्या पर उनका वेतन निर्भर है। ग्रामीण क्षेत्र में भी इंग्लिश मीडियम स्कूलों ने जाल फैलाने से मराठी मीडियम स्कूलों के शिक्षकों को टार्गेट पूरा करने में नाक में दम हो रहा है।

छुट्टियों का मजा किरकिरा

स्कूलों को गर्मी की छुट्टियां शुरू हो गई। जिन स्कूलों में प्रवेश के लिए कतार लग रही हैं, उन स्कूलों के शिक्षक छुट्टियों का मजा ले रहे हैं। जिन स्कूलों की विद्यार्थी संख्या कम है, उसे बढ़ाने के लिए शिक्षकों पर दबाव डाला जा रहा है। ऐसे स्कूलों के शिक्षकों को विद्यार्थी ढुंढने पड़ने से उनका छुट्टियों का मजा किरकिरा हो गया है।

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