नागपुर: लाड़-प्यार में बिगड़ न जाएं बच्चे, गलत आचरण संकट में डाल सकता है जीवन

  • विज्ञापनों पर प्रतिबंध जरूरी
  • यातायात नियमों पर दिया गया जोर
  • परिवार में संस्कार होना चाहिए

Bhaskar Hindi
Update: 2024-05-28 11:07 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर। लाड़-प्यार में पले बच्चे सामाजिक जीवन में अंधाधुंध आचरण करते हैं और दूसरों के जीवन से खिलवाड़ करते हैं। यह अक्सर निर्दोष नागरिकों के जीवन को खतरे में डालते हैं। समाज में जागरूकता लाने के लिए सोमवार को ‘प्ले सेफ, स्टे सेफ' विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया। इस दौरान गणमान्य लोग और अतिथियों ने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि यातायात के संबंध में या यातायात नियमों के पालन की शुरुआत अपने घर से ही करना आवश्यक है, साथ ही उचित आचरण की शिक्षा देना भी जरूरी है। परिवार से ही बच्चों में संस्कार आते हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता विदर्भ गौरव प्रतिष्ठान ट्रस्टी डॉ. गिरीश गांधी ने की।

विज्ञापनों पर प्रतिबंध जरूरी

इसी विषय पर ज्ञानेश्वर रक्षक ने परिवारों पर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रभाव पर गंभीरता व्यक्त की। सबसे पहले अगर कुछ करना है तो टीवी पर विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाना जरूरी है। बच्चों को घर पर शिक्षा नहीं मिलती। यह बच्चों के अव्यवस्थित व्यवहार का कारण भी है। अनिल सारडा ने कहा कि मेरे माता-पिता और ड्राइवर का 1997 में निधन हो गया, इसलिए उन्होंने यह राय व्यक्त की कि पैसे ज्यादा और संस्कार कम होने के कारण ये घटनाएं हो रही हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि स्कूलों में ट्रैफिक के बारे में भी एक विषय होना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन रामकृष्ण शेनॉय ने किया।

यातायात नियमों पर दिया गया जोर

इस अवसर पर आनंद परचुरे ने कहा कि बहुत से लोगों की धारणा है कि कानून तोड़ने के लिए ही होते हैं। हिट एंड रन के कई मामले सामने आए हैं, लेकिन लोग इस बारे में गंभीरता से नहीं सोच रहे हैं। अनुपमा सकदेव ने कहा कि हम स्कूल में बच्चों को अनुशासित करते हैं। 10वीं कक्षा के छात्र स्कूल में चार पहिया या दोपहिया वाहन लेकर आते हैं, हम इस पर कार्रवाई करते हैं, माता-पिता को सचेत करते हैं। अरविंद गिरि ने कहा कि मैं 5 साल तक ट्रैफिक में सहायक पुलिस आयुक्त रहा। यातायात प्रबंधन में 3-ई है 1. इंजीनियरिंग, 2. एजुकेशन-यातायात नियमों का ज्ञान, 3. इंफोर्समेंट-प्रभावी। इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए। जनाक्रोश के रवींद्र कासखेडीकर ने कहा कि हम पिछले 12 वर्ष से यातायात के प्रति आम लोगों को जागरूक कर रहे हैं। हम सभी को मिलकर काम करने की जरूरत है। पुणे की घटना लापरवाही के कारण हुई है। इसके बारे में सिर्फ बातें नहीं, जन जागरूकता जरूरी है।

परिवार में संस्कार होना चाहिए

गिरीश गांधी, अध्यक्ष के मुताबिक हमारे सामने जो भी समस्याएं हैं, उन्हें हमें अलग तरीके से सुलझाना होगा। बच्चे परिवार में नियंत्रण से बाहर हो जाते हैं। आपको खुद से यह सवाल पूछने की जरूरत है। 1974 का जयप्रकाशजी का आंदोलन भ्रष्टाचार के विरुद्ध था। सामाजिक परिवेश को बदलने के लिए परिवारों में संस्कार होना चाहिए। किसी सिस्टम को दोष देना उचित नहीं है।

व्यापक चर्चा करना जरूरी

संदीप जोशी, पूर्व महापौर के मुताबिक मूलतः इसे राजनीति के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए, व्यवस्था बहुत खराब हो रही है। क्या हममें से कोई माता-पिता अपने बच्चे को समझेंगे? पुणे के मामले में इसका प्रबंधन अस्पताल तक किया गया है। अमरावती, नागपुर में भी हिट एंड रन के मामले सामने आए हैं। इस पर व्यापक विचार किया जाना चाहिए। सभी लोग स्वयं से शुरुआत करें, तो व्यवस्था में सुधार किया जा सकता है।


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