लोस रण 2024: महायुति व महाविकास आघाड़ी में कड़ी टक्कर के आसार, जोरदार प्रचार हुआ शुरू

  • पूर्व विदर्भ की 5 सीटाें के लिए प्रचार
  • प्रचार सभाओं का किया जा रहा है नियोजन
  • क्षेत्रीय संगठनों में भी उत्साह

Bhaskar Hindi
Update: 2024-04-01 14:09 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर. लोकसभा के लिए राज्य में पहले चरण के चुनाव में पूर्व विदर्भ की 5 सीटों के लिए सबसे पहले मतदान होगा। इन सीटों के लिए उम्मीदवारों के चुनाव चिन्ह भी तय हो गए हैं। लिहाजा रविवार से अधिकृत तौर पर प्रचार शु रू हो गया है। उम्मीदवारों के नामांकन के समय जो माहौल देखा गया उसके आधार पर अनुमान लगाया जा रहा है कि सभी सीटों पर महायुति अर्थात भाजपा गठबंधन व महाविकास आघाड़ी अर्थात कांग्रेस गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला होगा। इन सीटों पर बहुजन समाज पार्टी अकेले बल पर चुनाव लड़ेगी। प्रकाश आंबेडकर की वंचित बहुजन आघाड़ी ने नागपुर छोड़ अन्य सीटों के लिए उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। आम आदमी पार्टी कुछ क्षेत्रों में प्रभाव दिखाती रही है। लेकिन इस बार उसने महाविकास आघाड़ी को समर्थन दिया है। इन दलों का प्रदर्शन देखना होगा। इनके अलावा क्षेत्रीय संगठनों में भी उत्साह देखा जा रहा है लेकिन इन संगठनों के उम्मीदवारों को किसी न किसी गठबंधन की रणनीति का हिस्सा दर्शाया जा रहा है। पूर्व विदर्भ में पहले चरण के चुनाव के लिए 19 अप्रैल को मतदान होंगे। इन सीटों में नागपुर, रामटेक, भंडारा-गोंदिया, गड़चिरोली-चिमूर व चंद्रपुर शामिल हैं। इनमें से रामटेक अनुसूचित जाति व गड़चिरोली-चिमूर अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है।

रामटेक में घमासान के आसार

रामटेक क्षेत्र में सबसे अधिक 28 उम्मीदवार है। शिवसेना व कांग्रेस में घमासान होने के आसार हैं। शिवसेना शिंदे गुट ने कांग्रेस विधायक राजू पारवे को पार्टी में शामिल कर उम्मीदवार बनाया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले के गृहक्षेत्र में भाजपा उम्मीदवारी पाने से चूक गई है। कांग्रेस में उम्मीदवारी को लेकर उलटफेर हुआ। पूर्व जिप अध्यक्ष रश्मि बर्वे की कांग्रेस ने नामांकन रैली निकाली थी। लेेकिन रश्मि के पति श्याम बर्वे को उम्मीदवार बनाना पड़ा। जाति प्रमाण पत्र के कारण रश्मि का नामांकन रद्द हुआ। शिवसेना से दो बार चुनाव जीते कृपाल तुमाने इस बार मौन साधे हुए हैं। क्षेत्र में बसपा व वंचित आघाड़ी प्रभाव दिखाती रही है। इस बार दोनों के उम्मीदवार हैं।

राकांपा को उम्मीदवारी नहीं मिल पाई

भंडारा-गोंदिया में राकांपा अजित गुट के नेताओं की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी। क्षेत्र में राकांपा अजित गुट के 2 विधायक हैं। पार्टी के कार्याध्यक्ष प्रफुल पटेल हैं। लेकिन राकांपा को उम्मीदवारी नहीं मिल पाई। भाजपा ने सांसद सुनील मेंढे को दोबारा उम्मीदवार बनाया है। उम्मीदवारी की दौड़ में रहे परिणय फुके की भूमिका भी देखनी होगी। कांग्रेस ने नए चेहरे प्रशांत पडोले पर दांव लगाया है। इस क्षेत्र में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले अधिक ध्यान दे सकते हैं। पूर्व विधायक सेवक वाघाये निर्दलीय उम्मीदवार हैं। उनके निशाने पर कांग्रेस के नेता हैं।

गडचिरोली-चिमूर

गडचिरोली-चिमूर क्षेत्र में सांसद अशोक नेते को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है। उनके मुकाबले कांग्रेस के नामदेव किरसान मैदान में है। इस क्षेत्र में मतांे का विभाजन महत्व रखता है। उम्मीदवारी के दावेदार रहे केबिनेट मंत्री धर्मराव बाबा आत्राम की भूमिका भी देखनी होगी। इस क्षेत्र में भी बसपा व वंचित आघाड़ी काफी मतदान पाते रही है।

चंद्रपुर में कड़ा मुकाबला

चंद्रपुर में कड़े मुकाबले की संभावना जताई जा रही है। भाजपा उम्मीदवार सुधीर मुनगंटीवार का मुकाबला कांग्र्रेस उम्मीदवार प्रतिभा धानोरकर से होगा। मुनगंटीवार को विकास कार्यों पर भरोसा है। धानोरकर को समाज व क्षेत्रीय मतदाताओं पर भरोसा है। 2019 में राज्य में यह एकमात्र सीट थी जहां कांग्रेस जीती थी। यहां आम आदमी पार्टी एक लाख वोट पाने का आंकड़ा पार कर चुकी है। भीतरघात का अंदेशा भाजपा को है तो कांग्रेस भी निश्चिंत नहीं है।

नागपुर में प्रचार शुरू

पहले से ही स्थिति अधिक स्पष्ट दिखती रही है। महायुति के उम्मीदवार नितीन गडकरी के मुकाबले महाविकास आघाड़ी ने विकास ठाकरे को उम्मीदवारी दी है। गडकरी को 5 लाख मतों के अंतर से जिताने का लक्ष्य भाजपा ने रखा है। 2019 के चुनाव में गडकरी 2.16 लाख मतों के अंतर से जीते थे। 2014 के चुनाव में उनकी जीत का अंतर कम हुआ था। इस बार गडकरी के समर्थन में जोगेंद्र कवाडे, सुलेखा कुंभारे सहित अन्य आंबेडकरवादी नेता प्रचार के लिए मैदान में हैं। बसपा ने पूर्व नगरसेवक को उम्मीदवार बनाया है। वंचित आघाड़ी ने महाविकास आघाड़ी को समर्थन दिया है। भाजपा को गडकरी की विकास पुरुष की छवि पर भरोसा है, महाविकास आघाडी सामाजिक मतों के गणित के अाधार पर दावा कर रही है कि यहां कांग्रेस मजबूत है। पोस्टर, बैनर नहीं लगाने के दावे को अलग रख गडकरी पदयात्रा व समाज प्रतिनिधियों की बैठक में शामिल हो रहे हैं।

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