हाईकोर्ट: वरिष्ठ नागरिकों को वित्तीय सहायता देन पर भूमिका स्पष्ट करें, केंद्र को चार सप्ताह का वक्त
- राज्य सरकार ने 5 हजार की सहायता देने किया था इंकार
- निराश्रित वरिष्ठ नागरिकों की वित्तीय सहायता का मामला
डिजिटल डेस्क, नागपुर. बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में निराश्रित वरिष्ठ नागरिकों की वित्तीय सहायता को लेकर जनहित याचिका प्रलंबित है। इस मामले पर मंगलवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने वरिष्ठ नागरिकों को वित्तीय सहायता देने पर अपनी भूमिका स्पष्ट करने के लिए केंद्र सरकार को चार सप्ताह का वक्त दिया है।नागपुर खंडपीठ में शिक्षाविद हेरंब कुलकर्णी और सामाजिक कार्यकर्ता महेश पवार ने यह जनहित याचिका दायर की है। याचिका के अनुसार, इस महंगाई के दौर में वरिष्ठ नागरिकों को मौजूदा पेंशन से अपना गुजारा करना मुश्किल हो रहा है। 2020 में देश में महंगाई दर 6.2 फीसदी था। इसमें और बढ़ोतरी हुई है। सभी नागरिकों के जीवन के अधिकार की रक्षा करना सरकार की जिम्मेदारी है। इसलिए याचिकाकर्ताओं का कहना है कि कोर्ट इस संबंध में जरूरी निर्देश जारी करे। इस मामले पर सोमवार को न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि, यही मुद्दा सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है, इसलिए जवाब दायर करने किए चार सप्ताह का समय अवधी देने का कोर्ट से अनुरोध किया। कोर्ट ने केंद्र का अनुरोध मंजूर करते हुए मामले में 13 अगस्त को अगली सुनवाई रखी है। याचिकाकर्ता की ओर से एड. स्मिता सिंगलकर ने पैरवी की।
राज्य सरकार ने 5 हजार की सहायता देने किया था इंकार
पिछली सुनवाई में राज्य सरकार ने कोर्ट में शपथपत्र दायर किया था। इसके अनुसार, राज्य सरकार वर्तमान में श्रावण बाल सेवा राज्य पेंशन योजना के तहत विभिन्न मानदंडों को पूरा करने वाले वरिष्ठ नागरिकों को प्रति माह 1500 रुपये तक की सहायता कर रही है। शुरुआत में इन्हें 600 रुपये तक की सहायता की जाती थी। राज्य की वित्तीय स्थिति को देखते हुए समय-समय पर इसमें वृद्धि की गयी। लेकिन राज्य की वर्तमान वित्तीय क्षमता के अनुसार याचिकाकर्ता की मांगें स्वीकार नहीं की जा सकतीं। साथ ही राज्य सरकार ने यह भी कहा था कि, निराश्रित वरिष्ठ नागरिकों को प्रति माह 5 हजार रुपये की वित्तीय सहायता और हर साल इस राशि में 500 रुपये की बढ़ोतरी की मांग न्यायसंगत नहीं है। इसलिए इस मांग को स्वीकार नहीं किया जा सकता।