Beed News: संकट हरने वाली तलवाडा की त्वरिता माता, नवरात्रों में लगता भक्तों का तांता
- माता तुलजा भवानी के दर्शन की प्रथा
- पुलिस का कड़ा बंदोबस्त
- संकट हरने वाली है तलवाडा की त्वरिता माता
Beed News : सुनील चौरे। नवरात्रि पर्व पर गेवराई तहसील के तलवाडा की त्वरिता माता मंदिर रौशनी से सज चुका है। इस नवरात्रि लाखों भक्त त्वरिता माता के दर्शन के लिए आने वाले हैं। साढ़े तीन फुट ऊंची माता त्वरीता की अत्यंत भव्य मूर्ति देखते ही बनती है। जगदंबा देवी का यह स्थान प्राचीन है, जिसे मजबूत पत्थर को काटकर बनाया गया है। इसका निर्माण लगभग साढ़े तीन सौ वर्ष पूर्व हुआ था। मंदिर के प्रवेश द्वार के सामने 4 दीपमालाएं हैं। एक शिलालेख भी है। जो पौराणिक है। प्रवेश द्वार से प्रवेश करने पर परिसर का डिज़ाइन महल जैसा दिखता है। भैरवनाथ का एक छोटा सा मंदिर भी है।
देवी की प्रतिमा साढ़े तीन फीट ऊंचे सिंहासन पर विराजमान है। यहां माता की अत्यंत सुंदर काले पत्थर की मूर्ति है। वह साढ़े तीन फीट लंबी भी हैं ।
माता तुलजा भवानी के दर्शन की प्रथा
तलवाड़ा गांव से त्वरीता माता मंदिर की ओर जाते वक्त जहां सीढ़ियां शुरू होती हैं, वहां तुलजाभवानी माता का एक छोटा सा मंदिर भी है। पहले वहां दर्शन फिर सीढ़ियां चढ़कर देवी के दर्शन करने की प्रथा है।
इसलिए कहते हैं त्वरिता माता
माता त्वरिता माता पार्वती के अनेक नामों में एक है। उन्हें माता त्वरिता परमेश्वरी के नाम से जाना जाता है, क्योंकि वह अपने भक्तों की प्रार्थनाओं के तहत वरदान देने के लिए शिव को विनती करती हैं। वह शिव से अपने उत्साही भक्तों को वरदान देने का अनुरोध करती है। माता त्वरिता की कहानी अर्जुन द्वारा शिवजी से पाशुपतास्त्र प्राप्त करने के प्रयास से संबंधित है। अर्जुन ने शिव से पाशुपतास्त्र प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। शिव यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि अर्जुन दिव्य हथियार प्राप्त करने के योग्य है। शिव ने किरात (शिकारी) का रूप धारण किया और माता पार्वती कीर्ति (शिकारी की पत्नी) के रूप में अर्जुन के पास पहुंचीं।
अर्जुन अपने दाहिने पैर के अंगूठे पर खड़े होकर तपस्या कर रहे थे, शिव को एहसास हुआ कि अर्जुन का अहंकार उन्हें पाशुपतास्त्र धारण करने से रोक रहा था। शिव भगवान ने बाहर आने का फैसला किया। माता पार्वती देवी दोनों की शक्ति और स्वभाव को अच्छी तरह से जानकर डर गईं।
अर्जुन ने भगवान शिव पर बाणों की वर्षा की और भगवान शिव ने खुद को फुलों की पहाड़ी से ढंक लिया था। पश्चाताप और तीव्र पीड़ा से परेशान अर्जुन ने अपने प्रिय भगवान शिव के चरणों में प्रणाम किया, क्षमा मांगी। शिव ने अपने शिष्य की पूर्ण भक्ति देख गले से लगा लिया। तब पशुपति के रूप में शिव ने अर्जुन को महान पाशुपतशास्त्र का ज्ञान दिया था। इसी बीच माता पार्वती लगातार शिव से युद्ध बंद करने और अर्जुन को वरदान देने की विनती करती रहीं, जिसके वे हकदार थे, इसलिए पार्वती को त्वरिता माता कहा जाने लगा।
पुलिस का कड़ा बंदोबस्त
पुलिस निरक्षक सोमनाथ नरके के मुताबिक नवरात्रि पर्व पर त्वरिता माता के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है। श्रद्धालुओं को कोई भी परिशानी ना हो, इसलिए पुलिस कर्मी, होम गार्ड सहित कड़ा बंदोबस्त तैनात रहेगा।
घर-घर कलश की घटस्थापना
नवरात्रि पर्व की 3 अंक्टूबर से शुरूआत होगी। गुरुवार को कलश की घटस्थापना पूजा अर्चना करने के बाद होगी।