नागपुर: शुरू होगा बंद पड़ा का सेतु केंद्र, एक ही जगह बन सकेंगे अलग-अलग प्रमाणपत्र

  • 3 महीने में पूरी करनी होगी टेंडर प्रक्रिया
  • शासकीय दर पर एक ही जगह बन सकेंगे अलग-अलग प्रमाणपत्र
  • शुरू होगा बंद पड़ा नागपुर का सेतु केंद्र

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-21 14:31 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर। पिछले पांच साल से बंद पड़ा नागपुर का सेतु केंद्र फिर एक बार शुरू होने जा रहा है। राज्य सरकार ने नागपुर समेत राज्य के सभी जिला व तहसील स्तर के बंद पड़े सेतु केंद्र शुरू करने का आदेश जारी किया है। सेतु केंद्र बनने पर लोगों के समय व पैसे की बचत होने के साथ ही एक ही जगह पर विभिन्न प्रकार के प्रमाणपत्र बन सकेंगे। जिलाधीश को 3 महीने में टेंडर प्रक्रिया पूरी करके फिर से सेतु केंद्र शुरू करने है। जिला मुख्यालय (नागपुर कलेक्टरेट) व तहसील स्तर पर सेतु केंद्र चलाए जाते थे। 19 जनवरी 2018 से जिला व तहसील स्तर के सेतु केंद्र बंद होना शुरू हुआ। ठेकेदार का ठेका खत्म होने, नए टेंडर जारी नहीं होने व अन्य कारणों से सेतु केंद्र बंद हो गए। सरकार ने आपले सरकार सेवा केंद्रों पर जोर दिया आैर लोग सेवा केंद्रों पर जाकर प्रमाणपत्र बनवाने लगे। सेवा केंद्रों की लगातार मिल रही शिकायतों को देखते हुए राज्य सरकार ने नागपुर समेत राज्य भर में फिर से जिलाधीश कार्यालय परिसर व तहसील स्तर पर सेतु केंद्र शुरू करने का आदेश जारी किया। जिलाधीश को तुरंत टेंडर जारी कर टेंडर प्रक्रिया 3 महीने में पूरी करनी हैै। पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता का विशेष ध्यान रखना है। पहले 3 साल के लिए ठेका जारी होगा। करार खत्म होने के बाद नए सिरे से टेंडर जारी किए जाएंगे। अगर किसी कारणवश टेंडर जारी नहीं किए जा सके तो जिला प्रशासन एक साल और अधिकमत दो साल के लिए ठेकेदार के काम की अवधि बढ़ा सकते है।

विभागीय आयुक्त होगी आर्बिट्रेटर

ठेका जारी करने के बाद ठेकेदार के साथ किसी प्रकार का विवाद या करार का उल्लंघन होने की स्थिति में इसका निपटारा विभागीय आयुक्त के पास हो सकेगा। विभागीय आयुक्त आर्बिट्रेटर (ट्रीब्यूनल) की भूमिका में रहेंगे। ठेकेेदार सेतु केंद्र से संबंधित शासकीय आदेश से बंधा रहेगा।

प्रशासन धृतराष्ट्र, हो रही है लूटखसोट

सरकार ने जगह-जगह आपले सरकार केंद्र शुरू करने की अनुमति इसलिए दी ताकि लोगों को जिलाधीश कार्यालय या तहसील कार्यालय के चक्कर काटने न पडे। देखा गया है कि आपले सरकार सेवा केंद्र में दस गुणा ज्यादा शुल्क वसूला जा रहा है। जिला प्रशासन धृतराष्ट्र की भूमिका में होने से आपले सरकार सेवा केंद्र के संचालक चांदी काट रहे हैै। अगर किसी ने जिला प्रशासन को जानकारी दी तो भी जिला प्रशासन ध्यान नहीं देता। उपजिलाधीश या तहसीलदार कभी भी सेवा केंद्रों में जाकर तहकीकात नहीं करते। बेशर्मी से सफाई देते है कि हमें शिकायत नहीं मिली। खुद की जिम्मेदारी का एहसास ही नहीं है। हालांकि तेज प्रशासन होने का दावा जिला प्रशासन करता है।

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