भंडारा-रामटेक लोकसभा क्षेत्र: कभी बाबासाहब उपचुनाव नहीं जीत पाए, 4 बार जीते पटेल भी चुनाव लड़ने से बचते रहे
- परिसीमन के बाद बदली तस्वीर
- यहां दिग्गजों को भी चखना पड़ा पराजय का स्वाद
डिजिटल डेस्क, नागपुर, रघुनाथ लोधी। राज्य के पूर्वी छोर पर भंडारा-रामटेक लोकसभा क्षेत्र में कई दिग्गज नेताओं को पराजय का स्वाद चखना पड़ा है। चुनाव परिणाम के लिहाज से देखा जाए तो यह क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ रहा है। लेकिन बीते दो दशक में कांग्रेस को भी चुनाव मैदान में पटखनी मिलती रही है। इस बार भाजपा ने सुनील मेंढे को दोबारा उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने प्रशांत पडोले को मैदान में उतारा है। कुल 18 उम्मीदवारों में से अधिकतर उम्मीदवार निर्दलीय की भूमिका में हैं। बसपा, वंचित आघाडी व पूर्व कांग्रेस विधायक सेवक वाघाये की उम्मीदवारी इस चुनाव में चर्चा में रह सकती है। लेकिन मुख्य मुकाबला महायुति व महाविकास आघाडी के बीच ही होने के अनुमान लगाए जा रहे हैं।
कांग्रेस की वापसी
इस क्षेत्र में लगभग 70 वर्ष तक कांग्रेस का ही दबदबा रहा है। लेकिन उम्मीदवारी के मामले में कांग्रेस ने 25 वर्ष बाद वापसी की है। दरअसल 1999 में राकांपा की स्थापना के बाद गठबंधन की राजनीति में कांग्रेस इस क्षेत्र में राकांपा की समर्थक बनी रही। महाविकास आघाडी की ओर से राकांपा उम्मीदवार ही चुनाव लड़ता रहा है। दो दशक में 2009 में राकांपा की जीत को छोड़ दिया जाए तो भाजपा ही यहां चुनाव जीतते रही है। लेकिन भाजपा दावा नहीं कर सकती है कि यह क्षेत्र उसका गढ़ बन चला है। 2009 के ही चुनाव को देखा जाए तो इस क्षेत्र में भाजपा को तीसरे स्थान पर रहना पड़ा था। निर्दलीय नाना पटोले दूसरे स्थान पर थे। क्षेत्र में जातीय समीकरण प्रभावी रहा है। कुनबी व पोवार समाज की संख्या अधिक है। उम्मीदवारी को लेकर अब जातीय आधार भी देखा जाने लगा है। लेकिन यह भी सब जानते हैं कि क्षेत्र में ऐसे उम्मीदवार भी चुनाव जीतते रहे हैं जिनकी जातीय संख्या कम रही है।
क्षेत्र का इतिहास
1951 में हुए देश के पहले आम चुनाव में कांग्रेस के नेता तुलाराम चंद्रभान सखारे को जीत मिली थी। 1954 में हुए उपचुनाव में यह सीट प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के कब्जे में चली गई। हालांकि, 1955 में जब आम चुनाव हुए तो कांग्रेस की अनुसुईया बाई बोरकर सांसद बनीं। इसके बाद 1957 से लेकर 1971 तक इस सीट पर कांग्रेस का ही कब्जा रहा। आपातकाल के दौरान 1977 के चुनाव में जनता पार्टी का यहां खाता खुला। जनता पार्टी से लक्ष्मणराव मानकर निर्वाचित हुए। हालांकि, 1980-84 में यह सीट एक बार फिर से कांग्रेस के पास चली गई और केशवराव पारधी सांसद रहे।1989 में भाजपा के खुशाल बोपचे चुने गए। 1991 से लेकर 1998 तक कांग्रेस नेता प्रफुल्ल पटेल यहां से सांसद रहे। 1999 और 2004 में सीट फिर से भाजपा के पास चली गई और क्रमश: चुन्नीलाल ठाकुर और शिशुपाल पटले चुने गए।
परिसीमन के बाद बदली तस्वीर
लोकसभा चुनाव परिसीमन आयोग की 2002 की सिफारिश पर अमल करते हुए 2008 में भंडारा-गोंदिया लोकसभा क्षेत्र अस्तित्व में आया। गोंदिया जिले के देवरी-आमगांव विधानसभा क्षेत्र को गडचिरोली लोकसभा क्षेत्र से जोड़ दिया गया। फिलहाल भंडारा-गोंदिया लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा क्षेत्र है- तुमसर, भंडारा, साकोली, अर्जुनी मोरगांव, तिरोडा व गोंदिया। परिसीमन के बाद 2009 मे राकांपा के प्रफुल पटेल जीते। 2018 के उपचुनाव में भी राकांपा के मधुकर कुकडे जीते। दो विधानसभा क्षेत्र में राकांपा के विधायक है। क्षेत्र में प्रफुल पटेल 4 बार व केशव पारधी, रामचंद्र हजरनवीस 2-2 बार चुनाव जीते थे।
दिग्गज पराजित
क्षेत्र में दिग्गज नेता पराजित हुए। देश के पहले कानून मंत्री रहे डॉ.बाबासाहब आंबेडकर ने कांग्रेस से मतभेद के बाद सितंबर 1951 में मंत्रीपद से इस्तीफा देकर शेडयूल कास्ट फेडरेशन संगठन बनाया। 1954 में उन्होंने उत्तर मुंबई लोकसभा क्षेत्र से चुना लड़ा। वहां बाबासाहब के पीए रहे कांग्रेस उम्मीदवार ने बाबासाहब को पराजित कर दिया। 1955 में भंडारा में उपचुनाव में बाबासाहब को कांग्रेस उम्मीदवार अनुसया बोरकर ने पराजित कर दिया। यह वह दौर था जब आरक्षण के तहत एक ही क्षेत्र से दो सांसद चुने जाते थे। भंडारा में सोशलिस्ट पार्टी के अशोक मेहता भी चुनाव जीते थे। उच्च शिक्षित व शून्य बजट की संकल्पना रखनेवाले कांग्रेस नेता श्रीकांत जिचकार भी पराजित हुए थे। प्रफुल पटेल 4 बार चुनाव जीते लेकिन अपने ही कार्यकर्ता से पराजित भी हुए। पराजय का दौर कुछ ऐसे चला कि पटेल कई बार चुनाव लड़ने से बचते रहे।
चुनाव 2019 का परिणाम
कुल मतदाता-18,08,734
मतदान-12,34,896
वैध-12,34,407
प्रमुख उम्मीदवार
सुनील मेंढे-भाजपा -6,50,243
नाना पंचबुद्धे-राकांपा-4,52,849
विजय नांदूरकर-बसपा- 52,659
केएन नन्हे -वंचित आघाडी- 45,842
मतदाता संख्या-2024
कुल-18,20,531
पुरुष-9,06,665
महिला-9,13,653
उम्मीदवार-18
अब तक लोकसभा सदस्य
वर्ष-नाम-दल
1951-तुलाराम साखरे-कांग्रेस
1951-चतुर्भुज जसानी-कांग्रेस
1954-अशोक मेहता प्रजा सोशलिस्ट पार्टी
1955- अनसूया बोरकर-कांग्रेस
1957-रामचंद्र हजरनवीस-कांग्रेस
1957-बालकृष्ण वासनिक-कांग्रेस
1962-रामचंद्र हजरनवीस-कांग्रेस
1967-अशोक मेहता-कांग्रेस
1971-विश्वंभरदास दुबे-कांग्रेस
1977-लक्ष्मणराव मानकर-जनता पार्टी
1980- केशवराव पारधी-कांग्रेस
1984- केशवराव पारधी-कांग्रेस
1989-खुशाल बोपचे-भाजपा
1991- प्रफुल पटेल –कांग्रेस
1996- प्रफुल पटेल –कांग्रेस
1998- प्रफुल पटेल –कांग्रेस
1999-चुन्नीलाल ठाकुर-भाजपा
2004-शिशुपाल पटले-भाजपा
2009-प्रफुल पटेल- राकांपा
2014-नाना पटोले-भाजपा
2018 उपचुनाव-मधुकर कुकडे-राकांपा
2019-सुनील मेंढे-भाजपा