नागपुर हाईकोर्ट: जिलाधिकारी से पूछा - किस फंड से विकास कार्य हो रहा है, केन्द्र से कहा- सीजीआईटी के न्यायाधीश की तत्काल नियुक्ति करें

  • खेल का मैदान पार्क में तब्दील करने का मामला
  • जिलाधिकारी से सोमवार तक मांगा स्पष्टीकरण

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-01 13:53 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर. अमरावती के राधानगर इलाके स्थित खेल को मैदान पार्क में तब्दील करने का दावा करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में जनहित याचिका दायर की गई है। इस मामले में गुरुवार को हुई सुनवाई में जिलाधिकारी द्वारा दायर शपथपत्र में यह स्पष्ट नहीं हो सका की उद्यान के विकास के लिए दी गई धनराशि स्थानीय विधायक निधि से दी गई या जिला विकास निधि से। इतना ही नहीं कोई संबंधित विधी अधिकारी भी वह जवाब देने के लिए मौजूद नहीं थे। इसलिए कोर्ट ने जमकर फटकार लगाई। साथ ही कोर्ट ने जिलाधिकारी को इस बात पर सोमवार तक स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का आदेश दिया कि यह विकास कार्य किस निधि से कराया जा रहा है। नागपुर खंडपीठ में बालू भुयार ने यह जनहित याचिका दायर कर दावा किया कि सौंदर्यीकरण के नाम पर राधानगर में प्रगति स्कूल के पास 4 हजार 760 वर्ग मीटर के इस मैदान का स्वरूप बदलने की कोशिश की जा रही है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने मनपा आयुक्त और लोक निर्माण विभाग के कार्यकारी अभियंता को इस मैदान का संयुक्त तौर पर निरीक्षण कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था। साथ ही कोर्ट ने मौखिक निर्देश दिया था कि सौंदर्यीकरण करें लेकिन मैदान का अस्तित्व खत्म न करें। पिछली सुनवाई में कोर्ट में जानकारी दी गई थी कि, मनपा की मालकी के इस खुले मैदान पर लोक निर्माण विभाग द्वारा विधायक निधि से सौंदर्यीकरण का काम किया जा रहा है। इस पर कोर्ट ने सवाल करते हुए कहा कि, किस अधिनियम के तहत लोक निर्माण विभाग को मनपा की जमीन पर काम करने की अनुमति दी गई थी? यह किसने निर्णय लिया कि लोक निर्माण विभाग यह कार्य करेगा? क्या यह कुछ खास लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए काम किया जा रहा है? साथ ही कोर्ट ने इस मामले में जिलाधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा था। मामले पर गुरुवार को न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष हुई सुनवाई में जिलाधिकारी द्वारा शपथपत्र दायर किया गया। लेकिन विकास कार्य के लिए वितरित किए गए निधी पर संतोषजनक जवाब न मिलने से कोर्ट ने उक्त आदेश जारी किया है। कोर्ट ने आदेश के अनुसार सोमवार 5 अगस्त को दोपहर 2.30 बजे मामले पर सुनवाई होगी। इस समय अमरावती जिलाधिकारी को जवाब के साथ प्रत्यक्ष या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा उपस्थित रहना है। याचिकाकर्ता की ओर से एड. पी. एस. पाटिल ने पैरवी की। कोर्ट में जिलाधिकारी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार मैदान में चल रहे विकास कार्यो के लिए स्थानीय विधायक निधि से यह पैसा वितरित किया गया है। लेकिन शपथपत्र के दस्तावेज से यह पैसा जिला विकास निधि से दिए जाने का कोर्ट को संदेह है। इसलिए कोर्ट ने जिलाधिकारी से यह स्पष्टीकरण मांगा है।

सीजीआईटी के न्यायाधीश की तत्काल नियुक्ति करें, केंद्र सरकार को आदेश

उधर केंद्रीय औद्योगिक न्यायाधिकरण (सीजीआईटी) नागपुर में पिछले चार साल से न्यायाधीश और अन्य पद रिक्त होने के कारण प्रलंबित मामलों की संख्या बढ़ रही है ऐसा दावा करते बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में जनहित याचिका दायर की है। साथ ही रिक्त पद जल्द से जल्द भरने की मांग की गई है। इस मामले पर हुई सुनवाई में कोर्ट ने सीजीआईटी नागपुर के सदस्य की तत्काल नियुक्ति करने के केंद्र सरकार को आदेश दिए हैं। साथ ही कोर्ट ने 28 अगस्त तक इस मामले में अनुपालन रिपोर्ट मांगी है।  खंडपीठ में मोहनलाल खरे ने यह जनहित याचिका दायर की है। याचिका के अनुसार, याचिकाकर्ता वेस्टर्न कोलफिल्ड लि. के नागपुर मुख्यालय में पिछले 7 सालों से वर्कमैन पद पर कार्यरत है। ठेका पद्धति की यह नियुक्ति नियमित करने की मांग याचिकाकर्ता ने की थी। वेस्टर्न कोलफिल्ड लि. ने याचिकाकर्ता को नियमित करने से इनकार कर दिया। इसके विरोध में याचिकाकर्ता ने केंद्रीय औद्योगिक न्यायाधिकरण नागपुर में याचिका दायर की थी। लेकिन 2019 से न्यायाधीश का पद रिक्त होने से मामले पर सुनवाई नहीं हुई। इसके अलावा कर्मचारीयों की संख्या कम होने से न्यायाधिकरण का काम प्रभावित हो रहा है। पिछले चार सालों से न्यायाधिकरण नागपुर के न्यायाधीश और अन्य कर्मचारीयों के पद रिक्त होने से प्रलंबित मामलों की संख्या बढ़ रही है। इस कारण न्यायाधिकरण पर बोझ बढ़ रहा है, श्रमिक को याचिका दायर करने में असुविधा हो रही है। लेकिन सरकार ने न्यायाधिकरण के रिक्त पदों को भरने के लिए उचित कदम ना उठाने के वहज से याचिकाकर्ता ने यह जनहित याचिका दायर की है। मामले पर न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष सुनवाई हुई। केंद्र सरकार की ओर से डेप्युटी सॉलिसिटर जनरल एड. नंदेश देशपांडे ने रिकॉर्ड पर जानकारी रखते हुए कोर्ट को बताया कि नागपुर में सीजीआईटी के सदस्य की नियुक्ति का मुद्दा कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी) के समक्ष विचाराधीन है। विचाराधीन मुद्दा पिछले दो महीने से अधिक समय से समिति के समक्ष लंबित है। इस लिए कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए उक्त आदेश जारी किए। याचिकाकर्ता की ओर से एड. राहुल धांडे ने पैरवी की।

पहले अहमदाबाद अब जबलपुर के पास प्रभार

पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया था कि, औद्योगिक न्यायाधिकरण नागपुर का प्रभार अब औद्योगिक न्यायाधिकरण अहमदाबाद को सौंपा गया है। इस पर याचिकाकर्ता के वकील राहुल धांडे ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि, नागपुर से अहमदाबाद काफी दूर है, नागपुर के श्रमिक को याचिका दायर करने लिए अहमदाबाद जाने का खर्च नहीं उठा रहा है। इसलिए न्यायाधिकरण नागपुर के रिक्त पदें तत्काल भरने की मांग की गई। अब नागपुर का प्रभार सीजीआईटी अहमदाबाद से इसे सीजीआईटी जबलपुर में स्थानांतरित करने की बात कोर्ट के समक्ष रखी गई।


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